तीज-त्योहारलेखक की कलम

साधारण स्वभाव, असाधारण क्षमता

पार्टी के हारे हुए प्रत्याशियों को बंधाया ढांढस

(मनीषा स्वामी कपूर-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

–   बिना राजनीतिक पृष्ठभूमि के तय की मंजिल
–   2014 मंे सदस्यता अभियान के प्रभारी बनकर एक करोड़ नये सदस्य बनाने का स्थापित किया रिकार्ड
–   पार्टी के हारे हुए प्रत्याशियों को बंधाया ढांढस

जनप्रतिनिधि में सेवा भाव और नेतृत्व क्षमता दोनों होनी चाहिए। स्वतन्त्र देव सिंह उत्तर प्रदेश के एक ऐसे ही राजनेता हैं। वे भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रहे। इसके पहले वे उत्तर प्रदेश सरकार में ही परिवहन, प्रोटोकॉल एवं ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रह चुके हैं। अब 2022 में योगी आदित्य नाथ ने लगातार दोबारा सरकार बनायी है और स्वतंत्र देव सिंह को कैबिनेट का दर्जा देकर जलशक्ति, नमामिगंगे तथा ग्रामीण जलापूर्ति, सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण जैसा महत्वपूर्ण विभाग सौंपे हैं।
स्वतंत्र देव सिंह का जन्म मिर्जापुर जनपद के एक ग्राम में 13 फरवरी 1964 में हुआ था। इनकी मां का नाम रामा देवी और पिता का नाम अल्लर सिंह था। इनकी शादी झांसी जनपद के सिगार ग्राम में हुई थी। मिर्जापुर जनपद में जन्मे स्वतंत्र देव सिंह ने बुन्देलखंड के जालौन को कर्मभूमि बनाया। यहीं से राजनीति की शुरुआत करते हुए पूरे प्रदेश में उनका डंका बजने लगा। बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मे स्वतंत्रदेव अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं जो आरएसएस से जुड़कर वर्तमान में बीजेपी जैसी राजनीतिक पार्टी के माध्यम से प्रदेश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
स्वतंत्र देव की पारिवारिक स्थिति बेहद खराब थी लेकिन उनके बडे भाई श्रीपत सिंह की पुलिस में नौकरी लग गयी। उनकी नियुक्ति जालौन में हुयी। पारिवारिक स्थिति ठीक न होने के कारण स्वतंत्र देव सिंह को उनके बडे भाई श्रीपत जालौन ले आये जहां उन्होने इनकी पढाई करवाई। यहीं से स्वतंत्र देव ने राजनीति में कदम रखा। स्वतंत्र देव सिंह ने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र संघ चुनाव से की थी। उन्होने जालौन के उरई मुख्यालय स्थित डीवीसी कालेज से छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लडा लेकिन वह हार गये। उसके बाद 1986 में आरएसएस से जुड़कर स्वयंसेवक के रूप में संघ के प्रचारक का कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। स्वतंत्र देव सिंह ने 1988-89 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में संगठन मन्त्री के रूप में कार्य भार ग्रहण किया। इसके बाद 1991 में भाजपा कानपुर के युवा शाखा के मोर्चा प्रभारी बने। बाद में उन्हे 1994 में बुन्देलखण्ड के युवा मोर्चा के प्रभारी के रूप में विशुद्ध राजनीतिक के रूप में प्रवेश कराया गया। उन्हे 1996 में युवा मोर्चा का महामन्त्री नियुक्त किया गया और 1998 में दोबारा यही दायित्व सौंपा गया। स्वतंत्र देव 2001 में भाजपा के युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी बने। उनकी कर्मठता को देखते हुए विधान भवन में भेजने का फैसला किया गया और 2004 में स्वतंत्र देव सिंह बुन्देलखंड से झांसी-जालौन- ललितपुर विधान परिषद के सदस्य चुने गये व प्रदेश महामन्त्री भी बनाये गये। वह 2004 से 2014 तक दो बार प्रदेश महामन्त्री बनाये गये। इससे पहले 2010 में भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष बनाये गए बाद में 2012 में फिर महामंत्री बने और इसी पद पर रहकर 2017 में भाजपा को बुन्देलखंड क्षेत्र में भारी जीत दिलाई। 2013 में इनको पश्चिम उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था।
संगठन की विभिन्न कसौटियों को पार करते हुए स्वतंत्रदेव सिंह 2014 में प्रदेश में बीजेपी सदस्यता अभियान के प्रभारी बनाए गए थे। उस समय प्रदेश भर से एक करोड़ से ज्यादा नये सदस्य बनाकर स्वतंत्रदेव सिंह ने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया था। स्वतंत्र देव सिंह ने 2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय में बीजेपी युवा मोर्चा अधिवेशन आयोजित कराया था।अपने नेतृत्व में उन्होने भाजपा की सीमा जागरण यात्रा (सहारनपुर से पीलीभीत बॉर्डर, गोरखपुर से बिहार तक) कराई थी। वही केन्द्रीय जलसंसाधन विकास मंत्री उमा भारती की गंगा यात्रा में गढ़मुक्तेश्वर (मुरादाबाद) से बलिया तक प्रमुख इंचार्ज रहे। यूपी में लोकसभा चुनाव से लेकर विधान सभा चुनाव में पीएम मोदी की जितनी भी रैली हुयी है उसे सफल बनाने में स्वतंत्रदेव का बहुत बडा हाथ माना जाता है।
भाजपा के लिए मील का पत्थर बने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद यूपी में 11 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होना था। अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा सत्ता में थी और उससे जीतना एक बडी चुनौती थी। बीजेपी भले ही 11 सीटें नहीं जीत पाई हो लेकिन सहारनपुर सदर सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजीव गुंबर को मिली अप्रत्याशित जीत से साबित हो गया कि स्वतंत्रदेव सिंह किसी भी सीट पर कमल खिला सकते हैं। गौर करने की बात ये है कि इस सीट पर कुर्मी समाज का प्रभाव नाम मात्र का भी नहीं था लेकिन संगठन क्षमता जाति की दीवारों को भी तोड़ सकती है यह स्वतंत्र देव सिंह ने साबित कर दिया था।
अभी हाल ही प्रदेश में विधान सभा के चुनाव सम्पन्न हुए। भाजपा और उसके सहयोगी दलों को 273 विधायक मिले लेकिन पार्टी के कुछ प्रत्याशी पराजित भी हो गये। ऐसे लोग दुखी थे।पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते स्वतंत्र देव सिंह ने यूपी विधानसभा चुनाव में हारे हुए भाजपा के मंत्री और विधायकों को पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में लिखा कि जनता ने भाजपा को एक बार फिर सरकार बनाने का अवसर दिया है। इस असाधारण उपलब्धि का श्रेय सभी प्रत्याशियों के तप, त्याग और परिश्रम को जाता है। स्वतंत्र देव ने उनका हौसला अफजाई करते हुए लिखा कि कुछ मतों से आप पीछे जरूर रह गए, लेकिन भाजपा अपनी जीत में संपूर्णता देखती है। यह हमारे संगठन का संस्कार है। वहीं, उन्होंने अटल जी की लिखी पंक्तियां याद दिलाते हुए लिखा, जनसेवा में वह भी सही, यह भी सही। ध्यान रहे भाजपा के शानदार प्रदर्शन के बावजूद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत राज्य के 11 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा। स्वतंत्र देव सिंह के इस पत्र ने उनकी पूरी ग्लानि मिटा दी। अच्छे नेतृत्व की यही विशेषता होती है । पार्टी कार्यकर्ताओं पर विश्वास जताते हुए उन्हें भी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि यह कर्तव्य पथ पर क्षणिक विराम हो सकता है, विश्राम नहीं। उन्होंने विश्वास जताया कि सभी कार्यकर्ता पूर्व की तरह निष्ठा और समर्पण से जनता की सेवा
करेंगे और देश व प्रदेश की गौरव यात्रा में योगदान देने के लिए अग्रसर रहेंगे। (हिफी)

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