कन्यादान नहीं कर पाए तो पिंडदान कर दिया!

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
एक ओर जहां देश के विभिन्न हिस्सों से हिन्दू लड़कियों के साथ लवजेहाद और टुकड़े कर फ्रीज और सूटकेस में पैक कर ठिकाने लगाने की वारदातें सामने आ रही हैं। इसके बावजूद भी कुछ लड़कियां अपने माता-पिता की इच्छा के खिलाफ मुस्लिम युवकों से निकाह कर मा-बाप के अरमान का जनाजा निकाल रही हैं। ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर में सामने आया है यहाँ हिन्दू ब्राह्मण लड़की ने मुस्लिम युवक के साथ निकाह कर लिया। इस निकाह का बाकायदा आमंत्रण कार्ड छापा गया। इस आमंत्रण कार्ड में लड़की का धर्म परिवर्तन कर उजमा फातिमा नाम कोष्ठक में अनामिका हिन्दू नाम छापा गया। इस कार्ड के वायरल होने से मचे बवाल के बाद जब लड़की के अभिभावकों को पता चला कि उनकी लड़की मुस्लिम मतांतरित कर मुस्लिम लड़के अयाज के साथ सात जून को निकाह कर रही है तो परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने लड़की पर दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन लड़की घर छोड़कर मुस्लिम परिवार के साथ रहने लगी। हैरत की बात यह है कि उसे मतांतरित करने वालों ने जनवरी में ही लड़की की अयाज के साथ कोर्ट मैरिज रजिस्ट्रेशन करवा दिया था। लड़की के बालिग होने के कारण अभिभावक हाथ मलते रह गए। उन्होंने पुलिस से शिकायत की लेकिन जब लड़की घर वापसी को राजी नहीं हुई, तो लड़की के व्यवहार से बुरी तरह आहत परिवार ने उसे मृत घोषित करते हुए शोक संदेश का कार्ड छपवा कर सार्वजनिक कर दिया है। सोशल मीडिया पर यह शोक संदेश कार्ड जमकर वायरल हुआ, जिसमें मृत्युभोज और पिंडदान के कार्यक्रम की सूचना दी गई हैं।
दरअसल, जबलपुर में कथित लव जिहाद और लवस्टोरी के द्विकोणीय इस मामले में मुस्लिम लड़के अयाज खान ने पहले हिंदू बन कर लड़की अनामिका दुबे से चैट शुरू की फिर उसे अपने प्रेमजाल में फंसाया, उससे कोर्ट मैरिज की। लड़की अपने पिता के घर सामान्य रूप से रहती रही, लेकिन अब जब सामाजिक मुस्लिम रिवाजों के साथ किए जानेवाले उसके निकाह का शादी कार्ड जिसमें कि उसका नाम भी बदलकर अनामिका की जगह उजमा फातिमा कर दिया गया है, वह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तब जाकर लड़की के घर वालों को पता चल सका कि सात जून को ये दोनों निकाह करने जा रहे हैं। मुस्लिम लड़के अयाज खान ने उनकी बेटी का धर्म परिवर्तन भी करा दिया है।
अनामिका दुबे से उजमा फातिमा बनी लड़की के परिजनों ने मुस्लिम युवक मोहम्मद अयाज पर लव जिहाद का आरोप लगाया है लेकिन लड़की और मुस्लिम लड़के द्वारा छह महीने पहले ही कोर्ट मैरिज कर रजिस्ट्रेशन कराने की वजह से कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। अनामिका के पिता चन्द्रिका प्रसाद दुबे की ओर से शोक संदेश के कार्ड समाज को वितरित किए गए। इस शोक संदेश कार्ड में लिखा है कि- बड़े दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि श्री चन्द्रिका प्रसाद दुबे की पुत्री अनामिका दुबे का स्वर्गवास दिनांक 02-04-2023 दिन रविवार को हो गया है। जिसकी आत्मा की शांति हेतु मृत्युभोज एवं पिण्डदान दिनांक 11-06-2023 दिन रविवार को होना निश्चित हुआ है। कृपया पधारकर नरकगामी आत्मा को शांति प्रदान करें। इसके बाद जबलपुर के नर्मदा तट गौरीघाट में पूरे विधि विधान के साथ परिवार वालों ने पिंडदान का संस्कार संपन्न कराया। परिजनों का कहना है कि बड़े ही लाड प्यार के साथ उन्होंने बेटी अनामिका की परवरिश की थी, लेकिन उसने मुस्लिम धर्म के युवक के साथ निकाह कर पूरे परिवार की बदनामी कराई है। इसके चलते उनके लिए अब उनकी बेटी के जिंदा रहने के कोई मायने नहीं रह गए हैं। युवती के भाई अभिषेक दुबे का कहना है कि उसने अपनी बहन की शादी के लिए सपने संजोए थे, लेकिन उसकी जिद ने सारे सपने तोड़ दिए। कभी सोचा भी नहीं था कि जीते जी उसका पिंडदान करना पड़ेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिता का आरोप है कि ब्राह्मण परिवार की बेटी का ब्रेन वॉश कर धर्म परिवर्तन कराया गया है। अनामिका की मां का कहना है कि वह अब उनके लिए मर चुकी है। उसने अपने धर्म को त्याग दिया है लेकिन हमारे संस्कार अभी जीवित हैं, इसलिए अपनी बेटी के हर वो संस्कार पूरे करेंगे जो किसी परिजन की मौत के बाद किए जाते हैं। इस मामले में पुलिस का कहना है कि उसे इसमें लव जिहाद का एंगल नहीं मिला।बहरहाल बाकायदा परिचितों व रिश्तेदारों को बुलाकर अनामिका उर्फ उजमा फातिमा का तेरहवीं व पिंडदान किया गया।
सवाल उठता है कि क्या लड़की के परिजनों की यह सोच स्वीकार करने योग्य अथवा सराहनीय है या सिर्फ उनके अहम की तुष्टि के लिए की गयी बचकाना हरकत है। सुप्रसिद्ध महिला हितचिंतक समाज सेविका सुश्री इंदु सिंह मानतीं है कि लड़की ने निसंदेह गलत किया है लेकिन उसके पिता व परिवार द्वारा पिंडदान करने की कार्रवाई कर पिता मुक्त नहीं हो सकते हैं। ऐसा करके वह अपनी बेटी के लिए ही मुश्किल खड़ी कर रहे हैं क्योंकि अब उसके मुस्लिम ससुराल वाले यही मानेंगे कि इस लड़की का कोई नहीं। यह अनाथ है तो वह उसके साथ किसी भी तरह की मनमानी व अत्याचार कर सकते हैं। इसके अलावा यह परंपरा भी गलत शुरू की जा रही है कि हर माता-पिता ऐसी बेटियों का पिंडदान कर दे तो उससे कुछ फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन इसकी जगह वह अपनी बेटी को इस तरह से पालन पोषण करें कि वह उनकी मर्जी के बिना ऐसे कदम न उठाएं और न ही किसी लव जिहादी के चंगुल में फंसे। यह इस समस्या का समाधान नहीं है।यह बिल्कुल सही बात है कि यदि इस मामले को लवजेहाद से प्रेरित साजिश माना जाए तो भी लड़की का पिंडदान करना जेहादियों के सामने घुटने टेक देने जैसा है।क्या गारंटी है कि अनामिका के साथ साक्षी, अंतिमा या खुशी परिहार जैसा अत्याचार नहीं किया जा सकता है?
बेशक लड़की ने एक पिता एक परिवार के दिल पर गहरी चोट पहुंचाने का काम किया है लेकिन इसके लिए उनकी परवरिश और शिक्षा में रह गयी कमी ही मूल रूप से जिम्मेदार है। उन्होंने समय रहते अपनी परी को बाहरी खतरों और जेहादी तत्वों के मारीच की तरह स्वर्ण मृग बनकर हिन्दू लडकियों को प्यार के जाल में फंसा कर धर्मान्तरण करने के षडयंत्र से आगाह क्यों नही कराया। बचपन से ही बच्चियों में अपने धर्म के प्रति प्रतिबद्धता का पाठ पढ़ाने स्वच्छंदता की सोच पर लगाम देकर उनके अंतर्मन मे ंपारिवारिक व सामाजिक प्रतिष्ठा के खाकसार होने के भय का विचार रोपना तथा यौनाचार की पवित्रता व मर्यादाओं का विचार अंकुरित करना भी इस तरह की स्वच्छंदता पर लक्ष्मणरेखा साबित हो सकता है। अब जब लड़की बिना संस्कारों की नाव पर सवार होकर दिशाहीन हो गई तब पिंडदान कर अपने दायित्व से मुक्त हो पाना कठिन है। कानूनी तौर पर लड़की जीवित है और पिता की सम्पत्ति में हिस्सा भी मांग सकती है। (हिफी)