सम-सामयिक

अब क्या मनमोहन होंगे जाइजैक!

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनीति की जंग में सब कुछ जायज है। इसलिए दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को लेकर सहानुभूति और अपनत्व के दांव चल रहे हैं। डा. मनमोहन सिंह राजनेता नहीं बल्कि अर्थशास्त्री थे लेकिन उन्हंे राजनीति के मैदान में अपना हुनर दिखाने के लिए कांग्रेस ने राजी कर लिया था। कांग्रेस उनको अपना नेता भी बताने लगी। गत दिनों उनका निधन हो गया। लगभग एक दशक से वह राजनीतिक परिदृश्य से गायब थे, इसके बावजूद उनके निधन पर देश भर में जनसमुदाय की सहानुभूति उन्हें प्राप्त हुई। मीडिया में उनके जीवन वृत्त को विस्तार से बताया गया। दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और वहां सिखों की आबादी चुनावी समीकरण को प्रभावित भी करती है। इसलिए डा. मनमोहन सिंह की समाधि को लेकर भाजपा और कांग्रेस में वाक्युद्ध छिड़ गया है। भाजपा ने जिस तरह डा. आम्बेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल को हाइजैक कर लिया है, उसी तरह डा. मनमोहन सिंह को भी कांग्रेस से दूर करना चाहती है। कांग्रेस के युवा नेता और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी डा. मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह नहीं देने का आरोप मोदी सरकार पर लगा रहे हैं, वहीं भाजपा श्रीमती इंदिरा गांधी के स्मारक स्थल शक्ति स्थल के पास जमीन देने का विचार कर रही है। इस फैसले से गांधी परिवार खुश नहीं होगा लेकिन खुलकर विरोध भी
नहीं कर पाएगा। मोदी सरकार अपने स्तर से मनमोहन सिंह का स्मारक बनवाकर मनमोहन सिंह को भी हाईजैक कर सकती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में इसका लाभ भी मिल सकता है।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक को लेकर कांग्रेस पार्टी मोदी सरकार खासकर पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर हमलावर है। राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता तक मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जगह नहीं देने पर मोदी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के लगातार हमले के बाद मोदी सरकार भी अब एक्शन में आ गई है। बीजेपी सूत्रों की मानें तो ज्यादा संभावना बन रही है कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए शक्ति स्थल और वीर भूमि के पास जमीन मुहैया कराई जाएगी। मोदी सरकार अगर इन दोनों जगहों के आस-पास मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जमीन आवंटित करती है तो फिर गांधी परिवार इस फैसले को शायद ही पचा पाएगा। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद भी कांग्रेस पार्टी स्मारक पर बयान देती है तो वह एक तरह से एक्सपोज हो जाएगी। दूसरी तरफ बीजेपी फ्रंटफुट पर बैटिंग करेगी और यह कहना शुरू कर देगी कि अब जब स्मारक के लिए जगह मिल गई तो कांग्रेस पार्टी हायतौबा इसलिए मचा रही है, क्योंकि मनमोहन सिंह गांधी परिवार के सदस्य नहीं हैं? हालांकि, मोदी सरकार ने मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के किसान घाट के पास का इलाका और राष्ट्रीय स्मृति स्थल का भी दौरा किया है। राष्ट्रीय स्मृति स्थल के आस-पास भी पूर्व राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार होता है। ऐसे में मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए मिलने वाली जगह को लेकर आने वाले दिनों में विवाद और बढ़ सकता है। मौजूदा वक्त में राजघाट परिसर और उसके आसपास वर्तमान में 18 स्मारक हैं। इनमें पूर्व राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और उप प्रधानमंत्रियों के स्मारक शामिल हैं। दो अपवाद भी हैं जिनमें पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री और संजय गांधी शामिल हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए आवंटित जमीन पर कांग्रेस विरोध करेगी?
केंद्रीय शहरी और आवास मंत्रालय ने स्मारक को लेकर जमीन की तलाश शुरू कर दी है। सूत्रों की मानें, तो मोदी सरकार स्मारक के लिए जिस जगह का चयन करेगी, उससे कांग्रेस खासकर गांधी परिवार का दिमाग चकरा सकता है। क्योंकि, मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए जमीन जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी के स्मारक के बगल में मिलने की ज्यादा संभावना है। केंद्र सरकार के सूत्रों की मानें तो मनमोहन सिंह का स्मारक पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शक्ति स्थल, राजीव गांधी के स्मारक स्थल वीर भूमि और संजय गांधी के स्मारक स्थल के आस-पास हो सकता है। हालांकि, मनमोहन सिंह के स्मारक स्थल को लेकर कुछ और जगहों का जिक्र भी हो रहा है। राष्ट्रीय स्मृति स्थल और किसान घाट के पास भी खाली जमीन को केंद्रीय शहरी आवास मंत्रालय की टीम ने दौरा कर देखा है लेकिन, शक्ति स्थल और वीर भूमि के पास जमीन ज्यादा होने की वजह से मनमोहन सिंह का स्मारक बनने की संभावना ज्यादा लग रही है।
ऐसे में अगर केंद्र सरकार शक्ति स्थल, वीर भूमि या संजय गांधी के समाधि स्थल के पास जमीन देती है तो गांधी परिवार इससे असहज महसूस कर सकता है। क्योंकि, गांधी परिवार नहीं चाहेगा कि जहां उनके परिवार के सदस्यों का स्मारक है, वहां पर देश के किसी दूसरे शख्सियत के स्मारक के लिए जगह दी जाए। मोदी सरकार अपने इस फैसले से कांग्रेस खासकर गांधी परिवार पर ‘गुगली’ फेंककर असहज स्थिति में ला सकती है। बड़ा सवाल यह है कि अभी तक मनमोहन सिंह के मेमोरियल को लेकर आरोप लगाने वाली कांग्रेस क्या मोदी सरकार के इस फैसले का विरोध करेगी?
सरदार पटेल को लेकर भी कांग्रेस के साथ यही हुआ। प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया, सरदार पटेल कांग्रेस के दिग्गज नेता थे जो पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित थे। वे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के करीबी साथी थे और भाजपा के वैचारिक गुरु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सख्त विरोधी थे। उन्होंने कहा, आज भाजपा उन्हें अपनाने और उन्हें श्रद्धांजलि देने की कोशिश कर रही है, यह देखकर बहुत खुशी होती है, क्योंकि भाजपा के इस कदम से दो बातें स्पष्ट हैं- पहला यह कि इसका अपना कोई महान स्वतंत्रता सेनानी नहीं है। उनमें से लगभग सभी कांग्रेस से जुड़े थे। दूसरा यह कि सरदार पटेल जैसे महान लोगों के सामने दुश्मनों को भी एक दिन झुकना पड़ता है। प्रियंका का यह हमला उस दिन हुआ जब सरकार ने सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर देश भर में कई कार्यक्रम आयोजित किए। केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने वाड्रा पर पलटवार करते हुए कहा, ष्यह ट्वीट साबित करता है कि आपके लिए पार्टी हमेशा भारत से पहले आती है और दूसरी बात, कांग्रेस के पास हर दूसरे स्वतंत्रता सेनानी पर कॉपीराइट नहीं है। हर स्वतंत्रता सेनानी पहले एक भारतीय है।
बहरहाल, कांग्रेस की लाख कोशिश के बावजूद इन्दिरा गांधी के बलिदान को किनारे रख दिया गया। सिख दंगे की घटना को उभारा गया और पटेल जयंती देश भर में मनायी गयी। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button