काशी में टेंट सिटी की अनूठी सोच
खुशनुमा मौसम में गंगा की रेती पर पर्यटकों के लिए लगेंगे टेंट पीक आवर्स में बनारस में कम पड़ जाते होटल के कमरे

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी को एक नया स्वरूप देने का जो प्रयास करने जा रहे हैं, उससे उनकी विलक्षण सोच का पता चलता है। बनारस के नेता पंडित कमलापति त्रिपाठी प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और इंदिरा-नेहरू परिवार के निकटतम भी थे लेकिन वे काशी को न तो कोई भव्य कॉरीडोर दे सके और न वहां कभी प्रयागराज के माघ मेले जैसी धर्मनगरी बनाने की सोच पाये। योगी आदित्यनाथ ने गंगा की रेती पर प्रयाग के माघ मेला जैसी नगरी बसाने की जो योजना बनायी है, उससे वहां का आकर्षण तो बढ़ेगा ही साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। नवरात्र से शिवरात्रि तक गर्मी के मौसम में और सर्दियों में नवरात्र से दिसम्बर तक गंगा की रेती पर तम्बुओं का शहर बसाना योगी जैसे नेता की ही सोच हो सकती है। इससे पूर्व पीएम मोदी की इच्छानुसार योगी की सरकार ने 5 लाख स्क्वायर फीट में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनवाया जिसका उद्घाटन 13 दिसम्बर 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने किया था। इस भव्य कॉरीडोर के बनने के बाद काशी में एक लाख के करीब श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं। गंगा की रेती पर टेंट सिटी बनने के बाद काशी का स्वरूप और ज्यादा निखर आएगा।
काशी का आकर्षण पूरी दुनिया में है। गंगा किनारे बसे घाटों की जिंदगी, उनके जीवन का दर्शन व गंगा के एहसास के लिए यहां पूरे विश्व से लोग आते है। दुनिया का सबसे प्राचीन व जीवंत शहर काशी में अब टेंट सिटी बनने जा रहा है। टेंट सिटी काशी के ऐतिहासिक घाटों के ठीक सामने रेत पर करीब नवरात्र से शिवरात्रि तक बसेगा। गंगा के किनारे तम्बुओं के शहर से आप खूबसूरत अर्धचंद्राकार 84 घाटों का नजारा देख सकेंगे। टेंट सिटी में पर्यटकों के लिए खान-पान, पारंपरिक मनोरंजन, अध्यात्म व कॉरपोरेट वर्ल्ड के लिए सेमिनार व कांफ्रेंस करने की भी सुविधाएं होंगी। चांदनी रात में टेंट सिटी की आभा देखने लायक होगी। होटल के बजाय गंगा के किनारे रुकना और सुबह उठकर मां गंगा के दर्शन के साथ घाट की सुंदर आभा को निहारना भी नए अनुभव के रूप में शामिल होगा। गुजरात के रन ऑफ कच्छ और जैसलमेर के सेंड ड्यून्स के तर्ज पर काशी की टेंट सिटी विकसित होगी। वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी कर चुकी है, जिसकी अंतिम तिथि 15 मई 2022 रखी गई है। काशी के कायाकल्प के बाद इसके बदलते स्वरुप को निहारने के लिए वाराणसी में लगातार पर्यटकों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में योगी सरकार पर्यटकों को बेहतर सुविधा देने के लिए गंगा के किनारे टेंट सिटी बनाने का प्रस्ताव ला रही है। वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन के अनुसार गंगा के उस पार अस्सी घाट के सामने रेत पर रामनगर के कटेसर क्षेत्र में लगभग 500 हेक्टेयर में तंबुओं का शहर बसाया जाएगा, जो जरूरत के मुताबिक बढ़ाया जा सकता है। यहां धर्म, अध्यात्म व संस्कृति का संगम होगा। टेंट सिटी में हर वह सुविधा होगी जो किसी पर्यटन स्थल पर होती है। यहां ठेठ बनारसी खान पान के साथ पारम्परिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आनंद खुली हवा में ले सकेंगे। इसके साथ ही वाटर एडवेंचर स्पोर्ट्स (जेट स्की, बनाना बोट पैरासेलिंग, कैमल और हॉर्स राइडिंग, फिसिंग) का लुत्फ भी पर्यटक ले सकेंगे।
पर्यटक निर्मल व अविरल गंगा के कोलाहल के बीच घर जैसा माहौल पाएंगे। योग, मेडिटेशन, लाइब्रेरी ,आर्ट गैलरी के लिए शांत जगह होगी। पर्यटकों के पैकेज टूर में भी टेंट सिटी नजर आएगी। देशी विदेशी पर्यटकों को उनके मनपसंद का व्यंजन भी उपलब्ध होगा। सुबह-ए-बनारस के साथ ही गंगा किनारे सुबह व शाम मां गंगा की आरती होगी। ईशा दुहन की मानें तो आंकड़ों के मुताबिक पीक सीजन में पर्यटकों के आमद से होटल में कमरे कम पड़ जाते है जिसमे ये योजना मददगार साबित होगी। सरकार चाहती है कि काशी आने वाला पर्यटक कम से कम 7 दिनों तक यहां रुके। यहां के मंदिर जो धर्म और आध्यात्म से जोड़ते हैं, वहीं बुद्ध की तपोस्थली सारनाथ जीवन के दर्शन को समझाता है। तम्बुओं के डेरे में उनको बनारस के सभी रस की अनुभूति कराई जाएगी। पहले की सरकारों ने बनारस में पर्यटन उद्योग को लेकर कोई ठोस योजना नहीं बनाई थी। पहले कछुआ सेंचुरी के कारण गंगा पार रेती में किसी तरह के आयोजन पर एनजीटी का आदेश आड़े आ रहा था, लेकिन बीजेपी सरकार के प्रयास से कछुआ सेंचुरी शिफ्ट होने के बाद इस समस्या का भी समाधान हो गया है और गंगा पार फैली रेती को पर्यटन का नया केंद्र बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। तम्बुओं के इस शहर में पूरी दुनिया में मशहूर वाराणसी साड़ी, बनारसी ब्रोकेड,लकड़ी के खिलौने, गुलाबी मीनाकारी स्टोन कार्विंग के साथ ही जीआई उत्पाद व वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट भी होंगे। धर्म की राजधानी काशी में मूलभूत सुविधाएं तेजी से विकसित हुई है। जल, थल व नभ से देश दुनिया से जुड़ने के कारण यहां व्यापारिक गतिविधियां तेजी से बढ़ती जा रही है। टेंट सिटी एनएच-19 से महज 4 किलोमीटर ,रामनगर फोर्ट 1 किलोमीटर ,वाराणसी रेलवे स्टेशन 10 किमी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन से 13 और वाराणसी एयरपोर्ट से 33 किलोमीटर की दूरी पर होगा।
इससे पूर्व करीब 339 करोड़ रुपये की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन हो चुका है। गौरतलब है कि बाबा विश्वनाथ के तीर्थयात्रियों और भक्तों को पवित्र नदी में डुबकी लगाने की सदियों पुरानी परंपरा का पालन करने, खराब रख-रखाव एवं भीड़भाड़ वाली सड़कों से आने-जाने और गंगाजल लेकर मंदिर में अर्पित करने में होने वाली कठिनाइयों को दूर करके उन्हें सुविधा प्रदान करना, प्रधानमंत्री का सपना था। इस सपने को साकार करने के लिए, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को गंगा नदी के तट से जोड़ने के लिए एक सुगम मार्ग के सृजन की परिकल्पना की गई। इसको शुरू करने के लिए, 8 मार्च, 2019 को प्रधानमंत्री ने परियोजना की आधारशिला रखी थी।
इस परियोजना की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह परियोजना लगभग 5 लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैली हुई है, जबकि पहले संबंधित परिसर तकरीबन 3000 वर्ग फुट तक ही सीमित था। कोविड महामारी के बावजूद इस परियोजना का निर्माण कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही पूरा कर लिया गया। परियोजना को लेकर विभिन्न विशेषज्ञों ने आलोचना भी की थी, क्योंकि गलियारे के लिए बड़ी संख्या में पुरानी इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया था। हालांकि परियोजना के वास्तुकार बिमल पटेल ने कहा था कि स्थल को विकसित करते समय मंदिर की मूल संरचना के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई, इस क्षेत्र को सुशोभित करने के अलावा, पर्यटक सुविधाओं को बढ़ाया गया है। (हिफी)