कारोबारलेखक की कलम

यूपी में औद्योगीकरण का अभियान

योगी आदित्यनाथ की बिजनेस फ्रेंडली नीतियों

 

कुछ वर्ष पहले तक उत्तर प्रदेश को उद्योग की दृष्टि से बीमारू माना जाता था। क्योंकि यहां औद्योगीकरण का कोई माहौल नहीं था। उद्योग स्थापना हेतु मूलभूत सुविधाओं पर पिछली सरकारों का कोई ध्यान नहीं था। बिजली सहित ढांचागत सुविधाओं की किल्लत हुआ करती थी। इसके अलावा कानून व्यवस्था की स्थिति भी लचर थी। निवेशकों को सरकारी मशीनरी का भी अनुकूल सहयोग नहीं मिलता था। क्योंकि पूर्ववर्ती सरकारों में इच्छाशक्ति का ही अभाव था। इसलिए उत्तर प्रदेश के प्रति निवेशकों में कोई उत्साह नहीं था। इतना ही नहीं यहां स्थापित उद्योग भी दूसरे प्रदेशों का रुख कर रहे थे।स्थानीय उद्योग बंद हो रहे थे। योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनते ही इन कमियों को दूर करने का संकल्प लिया। एक जनपद एक उत्पाद योजना से स्थानीय उद्योगों को नया जीवन और विस्तार मिला। बिजली की पर्याप्त अपूर्ति सुनिश्चित की गई। कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया। ईज ऑफ डुईग बिजनेस में अप्रत्याशित सुधार हुआ।व्यवस्था में सकारत्मक बदलाव के चलते यूपी बिजनेस हब बनकर उभरा है।
योगी आदित्यनाथ की बिजनेस फ्रेंडली नीतियों के परिणाम स्वरूप अब उद्यम प्रदेश बन रहा है। विगत पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश के प्रति उद्योग जगत की मान्यता बदली है। इसके पहले यहां निवेश में उनका कोई उत्साह नहीं रहता था। निवेश के लिए आवश्यक सभी तत्वों का यहां अभाव था। इसमें पहला तत्व कानून व्यवस्था का होता है ।योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले इस ओर ही ध्यान दिया था। योगी का कहना है कि बेहतर व्यवस्था में ही विकास कार्यों का क्रियान्वयन सम्भव होता है। जिस प्रदेश में कानून व्यवस्था ठीक नहीं होती, उधर उद्योगपति निवेश का जोखिम नहीं उठाना चाहते। पहले उत्तर प्रदेश की यही दशा थी। इसके बाद व्यापार सुगमता की आवश्यकता होती है। योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में इसका रिकार्ड भी शानदार हो गया। उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य की छवि से निकल कर विकसित हो रहा है। यहां केवल निवेश प्रस्ताव नहीं आ रहे है, बल्कि हजारों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव जमीन पर भी उतर रहे है। योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूसरी पारी के सौ दिनों के भीतर नया अध्याय लिखा। उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश तीसरी बार देश के अग्रणी उद्योगपतियों और निवेशकों के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार हुआ। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का शुभारंभ किया था। उन्होंने अस्सी हजार करोड़ रुपए से अधिक निवेश की चैदह सौ से अधिक परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। यह उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
विगत पांच वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश में ढांचागत व अन्य निर्माण के रिकार्ड कायम हुए हैं। इसमें एक्सप्रेस वे और कनेक्टिविटी भी शामिल है। औद्योगिक विकास के लिए इन सुविधाओं का विस्तार अपरिहार्य होता है। इसके साथ ही बिजली की उपलब्धता, कानून व्यवस्था की सुदृढ़ स्थिति,सिंगल विंडो की पारदर्शी व्यवस्था,भूमि बैंक की स्थापना आदि भी आवश्यक होते हैं। योगी आदित्यनाथ ने एक्सप्रेस वे को औद्योगिक विकास और प्रगति से जोड़ दिया है। उन्होंने एक्सप्रेस वे निर्माण मात्र को ही पर्याप्त नहीं माना। इनकी वास्तविक उपयोगिता औद्योगिक विकास से ही हो सकती है। वर्तमान सरकार इसी मान्यता के आधार पर एक्सप्रेस वे का निर्माण करा रही है। योगी सरकार ने पूर्ववर्ती व्यवस्था में रिफॉर्म करके, परफॉर्म करते हुए ट्रांसफॉर्म किया है। उत्तर प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल कायम हुआ है। इसी के परिणाम स्वरूप देश के सबसे बड़े व तीन सफल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन संभव हुआ। उद्योगपतियों की उत्तर प्रदेश में निवेश के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। यह अनुकूल माहौल के कारण संभव हुआ है। यूपी देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य के रूप में आगे बढ़ा रहा है। यूपी देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। इसे आगे बढ़ाया जा रहा है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए राज्य ने दस लाख करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य के लिए औद्योगिक विकास प्रधिकरणों को सभी जरूरी तैयारी करने के निर्देश योगी आदित्यनाथ ने दिए हैं। प्रदेश के औद्योगिक विकास अनुकूल माहौल ने दूसरे देशों को राज्य में निवेश के लिए आकर्षित किया है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने की राज्य सरकार की नीतियों के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। केवल यूपीसीडा के माध्यम से ही बीते दो वर्षों में सात देशों से बत्तीस सौ करोड रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है। इसमें ब्रिटेन और अमेरिका से पच्चीस सौ करोड़ रुपये, इटली से ढाई सौ करोड़ रुपये, कनाडा से सवा सौ करोड़ रुपये तथा फ्रांस से प्राप्त तीन सौ करोड़ रुपये से अधिक का एफडीआई शामिल है। इनसे रोजगार का सृजन भी हुआ है। योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यमुना इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी में अपैरल पार्क, एमएसएमई पार्क, टॉय पार्क लॉजिस्टिक, पार्क, डाटा सेंटर पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क जैसे क्लस्टर आधारित सात इंडस्ट्रियल पार्कों का विकास किया जा रहा है। टॉय पार्क स्थापित करने वाला यूपी देश का पहला राज्य बन गया है। इसके साथ ही टॉय एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रतिनिधियों से भी संवाद किया जा रहा। अपैरल पार्क में महिला स्वावलंबन को बढ़ावा देते हुए अस्सी प्रतिशत से अधिक महिलाएं ही सेवायोजित होंगी। यह पार्क रोजगार सृजन की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी होंगे। इनकी कार्यवाही समयबद्ध रूप से पूरी होगी।निवेशकों को भूमि आवंटन की व्यवस्था निर्धारित की गई है। जिससे कार्य प्रांरभ होने में देरी ना हो। यूपीसीडा पहला प्राधिकरण है, जहां ई-ऑक्शन से औद्योगिक भूखंड आवंटित किए जाते हैं। कोरोना के चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच बीते दो वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है कि दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल से प्रतिष्ठित इकाइयों ने यूपीसीडा के माध्यम से प्रदेश में सैंतीस सौ करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। यूपीसीडा के अंतर्गत विगत पांच वर्षों में तीन हजार नई औद्योगिक इकाइयां क्रियाशील हो चुकी हैं। चैबीस सौ से अधिक इकाइयां निर्माणाधीन हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्राधिकरणों को अपने दैनिक कार्य व्यवहार मे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अनुसार काम करना होगा। निवेशक की एमओयू से लेकर इकाई स्थापना तक हर प्रक्रिया को सुगमता आगे बढ़ाने की व्यवस्था आवश्यक है। अधिकारियों को इस दिशा में कार्य करना होगा। इंडस्ट्रियल एरिया में सड़क, स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज की अच्छी व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए। आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले इंडस्ट्रियल लैंड बैंक को अधिकाधिक विस्तार देना होगा। (हिफी)

(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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