बच्चो का कोनाहमारे होनहार

मन के हारे हार है मन के जीते जीत

मन में नियंत्रण रखकर करें पढ़ाई

 

इसमें दो राय नहीं है कि हमारे शरीर में मन का सबसे अधिक महत्व होता है। शायद यही एकमात्र वजह है कि बिना मन एकाग्र किये बगैर किसी भी कार्य का वांछित फल हासिल नहीं होता है।
यही नहीं मन की तीव्र गति वायु को वेग से भी कहीं ज्यादा प्रबल है। तभी तो पलक झपकते ही व्यक्ति की मन की शक्ति के द्वारा चंद मिनटों में समस्त संसार का भ्रमण कर आता है वहीं अन्य दूसरी तरफ आकाश की ऊंचाईयों को भी बड़ी आसानी से स्पर्श कर लेते हैं।
मन की गति असीमित है अतः यह स्पष्ट है कि यदि मन गति को नियंत्रित रखा जा सके तो हम किसी भी सुनिश्चत लक्ष्य तक अवश्य पहुंच सकते हैं लेकिन मन पर पूरा नियंत्रणनियंत्रण न कर पाने के परिणाम स्वरूप सोचे हुए कार्यों की दिशा एवं दशा बदलने लगती है और एक ऊहोपोह और तनाव की स्थिति स्वयंमेव उत्पन्न हो जाती है। ऐसे में अक्सर व्यक्ति अपने विवेक का सही-सही उपयोगकर स्वयं को असमंजस में डाल लेते हंै। उनका ज्यादातर समय क्या करें क्या न करें कैसे करें इसी सोच में फंसा रह जाता है। चाहते हुए भी व्यक्ति हाथ में लिए काम को जैसा करना चाहता है वैसे नहीं कर पाता और बाद में पछताता है। छात्रों को ऐसी मन स्थिति से अक्सर ही गुजरना पड़ता है।
खासकर यह स्थिति उस समय देखने को अधिक मिलती है जब छात्रों की परीक्षा उनके सिर पर मंडराने लगती है। इस दौरान अधिकांश छात्र अपने मन को काबू करके शांत करने में असमर्थ हो जाते हैं। फलस्वरूप मन हारता है तो टूटने लगता है बिखरने लगता है। मन के टूटने से ही छात्रों का हौसला बिखर जाता है और वे परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन करने में असफल साबित हो जाते हैं। इसलिए जहां तक संभव हो सके ऐसे समय में छात्रों को अपने मन को काबू करके शांत रखना चाहिए तो ही बेहतर साबित होगा।
एक विद्वान का कहना है कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत तो वहीं दूसरे का कहना है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा। देानों ही परिस्थितियों में स्पष्ट है कि किसी भी व्यक्ति की मनोदशा पर ही उसके द्वारा लिए गए निर्णयों तथा किये गये कार्यों का दारोमदार रहता है। इसलिए विद्यार्थियों को चाहिए कि परीक्षा के दिनों में भरसक यही प्रयत्न करें कि उनके मन मंे किसी प्रकार की कुंठा या तनाव की स्थिति न होने पाए। इसके लिए वह इन कुछ उपायों को अमल में ला सकते हैं।
तनाव से बचें और पुरानी असावधानिों और गलतियों को बार-बार याद करने के बजाय आशावादी बनें और मन में यही दोहराएं कि सब कुछ ठीक हो रहा है। इस तरह से आप न केवल मन में उठती आशंकाओं पर काबू कर सकते हैं और सकारात्मक सोच द्वारा अपनी ध्यान शक्ति और एकाग्रता में कई गुना इजाफा कर सकते हैं। इससे आपके प्रयत्न और ज्यादा केन्द्रित हो सकेंगे और पढ़ाई पर पूरा ध्यान केन्द्रित करके आप मनोवांछित फल पा सकेंगे। बेहतरीन अंक पाने और परीक्षा में उच्च स्थान पाने के लिए आपको अपने मन को और नियंत्रित रखना चाहिए तभी आपके प्रयत्नों को सही दशा व दिशा मिलेगी।
चुपचाप न बैठें-अपने मन को टूटने से बचाने के लिए हमेशा स्मरण रखें कि चुपचाप कभी न बैठे क्योंकि प्रत्येक के मन में कुछ न कुछ चलता रहता है जिसे महसूस करते हुए किसी दूसरों को अपनी भावनाओं से परिचित करवायें। ऐसा करने मात्र से आप कितने सही हैं ओर कितने गलत हैं खुद व खुद ज्ञात हो जायेगा।
छात्रों को चाहिए यदि किसी प्रश्न का सटीक उत्तर नहीं निकल रहा है तो ऐसी स्थिति में अपनी समस्या का समाधान टीचर से मिलकर ढूंढे। मन के भीतर रखेंगे तो सिवाय परेशानी के कुछ नसीब नहीं होगा। इसलिए कोशिश करें कि मन में उठ रहे सवाल को दूसरे की सहायता से समाधान ढंूढकर मन को शांत करें।
योग का सहारा अवश्य लें-मन को शांत करने की सबसे बेहतरीन औषधि योग के सिवाय कुछ और हो ही नहीं सकती क्योंकि योग के बलबूत से ही मन धीरे-धीरे एकाग्र होने लगता है जो परीक्षा में बैठे रहे परीक्षार्थियों के लिए परम आवश्यक होता है। इसलिए सुबह के समय छात्र योग की साधना करना कतई न भूलें।
पढ़ाई करते समय तनावग्रस्त होने से बचें-काम कैसा भी हो, पढ़ाई या फिर और कुछ, कोशिश यही करंें कि उसे समझ बूझकर ओर शांत मन मंे करने का प्रयास करें। यदि कोई प्रश्न समझ पाने की कठिनाई हो रही है तो उसे छोड़कर आगे की पढ़ाई या रिवीजन करें और इस तरह से स्वयं को चिंता या तनावग्रस्त होने से बचाएं। बाद में जब आप स्वयं को और शांत तथा स्थिर चित्त महसूस करें तो छोड़े हुए प्रश्नों पर दोबारा प्रयास किया जा सकता है।
परीक्षा की तैयार करते समय यही रहना चाहिए कि जो विषय किसी कारण से छूट गए हांे या जिन्हें कठिन समझ कर छोड़ दिया हो उन पर सबसे बाद में ध्यान दें। नहीं तो इन कठिन प्रश्नों और विषयों का रिवीजन करने मेें ही तना समय लग सकता है कि बाकी कई विषयों के लिए समय न बचे। इसलिए पहले उन विषयों को मजबूत करें जो आपके लिए आसान हों। उसके बाद उनसे कठिन और ऐसे करते हुए कठिन विषयों पर जाएं। इससे मन में अशांति तथा तनाव बहुत कुछ कम हो जाएगा। कभी-कभी इस तरह से पढ़ाई करते हुए छोड़े हुए प्रश्नोें का हल स्वयंमेव निकल आता है। अतः एकाग्रचित होकर तथा शान्त मन से पढ़ाई करना चाहिए।
भ्रम के भाव को मन में नहीं लायें-अंत में यह अवश्य ध्यान रखें कि नकारात्मक या बहकाने वाले विचार जैसे कि काश ऐसा होता तो सब अच्छा होता और शायद मेरे पढ़े हुए प्रश्न ही प्रश्नपत्र में आये। ऐसा होने वाले भावों को मन में कदापि न लाएं क्योंकि ऐसा सोचकर मन को दिलासा तो दी जा सकती है परंतु परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। परिश्रम के रास्ते को आत्मसात कर हल करने की कोशिश करके सफलता हासिल करें। यकीनन सफलता आपके कदमों को अवश्य चूमेेंगी। (हिफी)

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