स्वास्थ जगत

चीन से निकला एक और वायरस

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
एक और वायरस चीन में हाहाकार मचा रहा है लेकिन चीन दुनिया को कोई जानकारी नहीं दे रहा है। परेशानी का सबब यह है कि तमाम सावधानियों और बचाव के उपायों के बावजूद देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण भारत में पहुंच गया है। थोड़ी चिंता की बात है, लेकिन इससे डरने, भयभीत अथवा आतंकित होने की जरूरत नहीं है। इसका कारण है कि कोरोना के बाद से कई नए वायरस के आने की खबरें आती ही रहती है और भविष्य में भी आती ही रहेंगी। चिंता की बात इसलिए भी नहीं है, क्योंकि मानव इतिहास की सबसे बड़ी एवं भयावह महामारी कोरोना का हमलोगों ने जिस प्रकार से मुकाबला किया है, उसके बाद से हमलोग ऐसे वायरस से मुकाबला करने के लिए अभ्यस्त हो चुके हैं। इसलिए चाहे वह एचएमपीवी हो या कोई अन्य वायरस दहशत में आने और दूसरों के बीच दहशत फैलाने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं हैं, हां जरूरत है कि सतर्कता बरती जाए, क्योंकि एक ही दिन में जिस प्रकार से 6 जगहों में वायरस मिला है, उससे साफ हो गया है कि देश में तेजी से इसका संक्रमण हो सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कर्नाटक में दो बच्चों में एचएमपीवी संक्रमण पाया है। तीन महीने की बच्ची और आठ महीने के बच्चे में संक्रमण मिला है। इसके अलावा गुजरात में भी दो महीने के बच्चे में संक्रमण पाया गया है। चीन में इन दिनों ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) का प्रकोप देखने को मिल रहा है।
वायरस से बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने की खबरें आ रही हैं। इसे लेकर भारत में भी स्वास्थ्य मंत्रालय ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। कई राज्यों ने एडवाइजरी और अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही भारत में एचएमपीची वायरस के 6 केस सामने आए हैं। मंत्रालय ने कहा कि बेंगलुरू के बैपटिस्ट अस्पताल में तीन महीने की एक बच्ची को ब्रोन्कोन्यूमोनिया बीमारी के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। बच्ची में एचएमपीवी होने की जानकारी मिली। उसे छुट्टी दे दी गई है। इसी अस्पताल में आठ महीने के बच्चे को भी संक्रमित पाया गया। उसका तीन जनवरी 2025 को नमूना लिया गया था। बच्चे की हालत भी ठीक है। दोनों संक्रमित बच्चों और उनके परिजनों का कोई भी अंतरराष्ट्रीय यात्रा का इतिहास नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एचएमपीवी पहले से ही भारत सहित दुनिया भर में प्रचलन में है। इससे जुड़ी श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले कई देशों में सामने आए हैं। वहीं आईसीएमआर और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) नेटवर्क के मौजूदा आंकड़ों के आधार पर देश में इंफ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) या गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है। मंत्रालय ने कहा कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है। आईसीएमआर पूरे वर्ष एचएमपीवी प्रचलन के रुझानों पर नजर रखना जारी रखेगा।
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही चीन में किए जा रहे उपायों की जानकारी दे रहा है। इसे लेकर सभी स्वास्थ्य इकाइयां अलर्ट पर हैं। वहीं कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने आपात बैठक बुलाई है। हालांकि इस वायरस से दुनिया में दहशत जरूर फैल गयी है, क्योंकि इसका असर शेयरबाजार पर भी देखने को मिल रहा है। चिकित्सकों के अनुसार कोविड-19 और अन्य श्वसन वायरस की तरह एचएमपीची भी खांसने, छींकने और संक्रमित लोगों के निकट संपर्क से उत्पन्न बूंदों या एरोसोल के माध्यम से फैलता है। बुखार, सांस फूलना, नाक बंद होना, खांसी, गले में खराश और सिरदर्द इसके सामान्य लक्षण हैं लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कुछ मरीजों को इस संक्रमण के कारण ब्रोंकाइटिस और निमोनिया हो सकता है। एचएमपीवी के खिलाफ कोई टीका या प्रभावी दवा नहीं है और इलाज ज्यादातर लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए होता है। अगर देखा जाए तो कोविड-19 महामारी के पांच साल बाद, चीन मौजूदा समय में नए बायरस एचएमपीवी से जूझ रहा है। इस वायरस ने चीन में हजारों लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। यहां हालात बेकाबू हो रहा हैं, अस्पतालों के बाहर मरीजों की भीड़ नजर आ रही है। हालांकि, हर बार की तरह चीन का कहना है कि मीडिया खबरों में कोई सच्चाई नहीं है। ये मौसम बदलने का असर है। ठंड बढ़ने से आमतौर पर लोग खांसी-जुकाम की समस्या से जूझते हैं। ये भी मौसम की वजह से ही हो रहा है। चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर के अंत में चीनी सीडीसी के आंकड़ों के मुताबिक 14 वर्ष और उससे कम आयु के मामलों में एचएमपीवी की पॉजिटिव दर में हाल ही में वृद्धि हुई है। एचएमपीवी वायरस से छोटे बच्चे, वृद्ध और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
चीन के साथ ही दुनिया के अनेक हिस्सों से इस महामारी से पीड़ित लोगों की खबरें आ रही है। चिकित्सकों के अनुसार एचएमपीवी का संक्रमण व्यक्तिगत संपर्क से बढ़ रहा है। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति के किसी सामान को कोई स्वस्थ व्यक्ति छुए या उसके सम्पर्क में आये तो संक्रमण का खतरा बताया जा रहा है। यह वायरस चूंकि नया है, तो इसका अभी कोई टीका नहीं है। इसकी कोई एंटीवायरल दवा भी नहीं है। यह अच्छी बात है कि अधिकांश मामलों में लोगों को मामूली समस्याएं आ रही हैं। ज्यादातर लोग लक्षण के अनुरूप उपचार और आराम से ही ठीक होते जा रहे हैं। चीन ने साफतौर पर कुछ बताया नहीं है, मगर अनुमान यही है कि गंभीर मामलों में लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए अस्पताल में भर्ती होने, ऑक्सीजन थेरेपी या कॉर्टिकोस्टेरॉइड उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अगर मानें, तो इस वायरस का संक्रमण अक्तूबर महीने से ही बढ़ रहा है। अच्छा यही है कि यह बीमारी मौसमी साबित हो और कम से कम लोगों के जीवन पर असर डाले। जहां तक इसकी जांच की बात है तो इसके लिए नाक या गले से सैंपल लिया जाता है। सैंपल के लिए नरम नोक वाली छड़ी (स्वैब) का उपयोग कर सकते हैं (जैसा टेस्ट कोरोना में होता था) वायरस का सैंपल लेने के बाद जांच के लिए इसको लैब भेजा जाता है। सामान्य फ्लू के जितने भी मामले आते हैं उनमें 0. 8 फीसदी एचएमपीवी वायरस के होते हैं यानी, यह एक ऐसा वायरस है जो मौजूद रहता है लेकिन इससे आतंकित होने की जरूरत नहीं है, सिर्फ जरूरत है तो सतर्क रहने की। कोरोना के समय जिस प्रकार से हमलोगों ने अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोने, छींकते समय नाक-मुंह ढंकने की आदत डाली थी, उसको जारी रखा जाए। किसी भी फ्लू से संक्रमित मरीज के पास जाते समय में मास्क पहनने और अपने मुंह एवं नाक को बार-बार छुने से बचें। सावधान और सतर्क रहकर ही हम लोग इस वायरस को देश में और फैलने से रोक सकते हैं।
लगभग 5 वर्ष पूर्व चीन के वुहान शहर से शुरू हुए श्कोरोना वायरसश् ने तबाही मचा दी थी जिसके परिणामस्वरूप विश्व भर में 71 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसलिए चीन ह्यमन मेटान्यूमो वायरस (एच.एम.पी.वी.) नामक तेजी से फैल रहे एक नए वायरस के प्रकोप से बचाना भी जरूरी है। (हिफी)

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