विचार-विमर्श से विकसित होती नयी सोच
- संत गुरू साहिब दास ने कहा सत्संगति से मानव होता दिव्य

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
– राजभवन प्रांगण में ज्ञान चर्चा में बोली राज्यपाल आनंदी बेन पटेल
– संत गुरू साहिब दास ने कहा सत्संगति से मानव होता दिव्य
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीवेन पटेल ने एक विशिष्ट कार्यक्रम में कहा कि विचार-विमर्श बहुत जरूरी है। इससे नयी सोच विकसित होती है। प्रजातंत्र का भी यही मूलमंत्र है। लखनऊ के राजभवन में आयोजित ज्ञान चर्चा कार्यक्रम में परम पूज्य श्री साहेब जी महाराज ने भी आशीर्वचन दिये। उन्होंने कहा सत्संग अर्थात अच्छे लोगो के साथ बैठकर जो सुनें, उसे आत्मसात भी करना चाहिए तभी सत्संग का पूरा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा सत्संगति से मानव दिव्य हो जाता है।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में 13 फरवरी को राजभवन प्रांगण स्थित छोटा लॉन में अनुपम मिशन मोगरी, गुजरात के सौजन्य से ज्ञान चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें राज्यपाल ने कहा कि सेवा-भाव से नये भारत का निर्माण करें, महापुरुषों के दर्शन कर उनके द्वारा दी गयी सीख को आत्मसात करते हुए संकल्प करें कि हम अपने समाज को एक आदर्श समाज बनायेंगे। उन्होंने कहा कि स्वयं से संकल्प करें कि मैं अच्छा क्या कर सकता हूँ, कैसे कर सकता हूं, इससे मुझे तथा देश को क्या फायदा होगा। जब हमारे युवा ऐसा सोचेंगे तो देश आगे बढ़ेगा, आपसी वार्तालाप, विचार विमर्श से नये-नये विचार, नया ज्ञान तथा नयी सोच विकसित होती है सही दिशा एवं मार्ग दर्शन देने का कार्य हमारे संत महापुरूष देते है।
राज्यपाल ने बताया कि स्वामी नारायण भगवान का प्राकट्य उत्तर प्रदेश में हुआ था। आजादी के आंदोलन में उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भागीदारी रही है। वर्तमान में चल रहे आजादी के अमृत महोत्सव का उद्देश्य है कि आजादी से जुड़े हर पहलू की जानकारी हमारे युवाओं को मिलें, ताकि वे देश के लिये शहीद होने वाले शहीदों के त्याग एवं बलिदान को समझे और नये भारत के निर्माण हेतु संकल्पबद्ध हों। राज्यपाल जी ने कहा कि हमें युवाओं को बताना होगा कि वे सोचें कि हमारा देश कैसा है, उसे कैसे और अच्छा बनाया जा सकता है इसके लिये किस प्रकार समर्पित होकर कार्य करना है।
इस अवसर पर परम पूज्य श्री साहेब जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में ज्ञान चर्चा के दौरान बताया कि सतसंग सत्य एवं परमात्मा की बाते सुनकर उन्हें आत्मसात करते हुये जीवन में उतारना ही सुखी एवं समृद्ध जीवन का मार्ग है। उन्होंने कहा कि सुख, दुःख जीवन के विकल्प हैं ये आते-जाते रहते है। भगवान एवं संत पुरुष व साधु संतों की संगति से हमारी आत्मा शुद्ध होती है। इससे हमारे जीवन में आनंद आता है। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रा, पदयात्रा, ऋषियों के सानिध्य तथा संत सानिध्य ऐसे मंत्र है जिनसे हम सन्मार्ग की ओर आगे बढ़ते है। इसलिये हम सत्कर्म करें अपने अच्छे कर्म से अपना हृदय परिवर्तन कर दीन, दुखियों, असहायों, जरूरतमंदों की मदद करें तथा भटके हुये लोगों को सही मार्ग पर लाने के लिये प्रयास करें। आपके हृदय में भक्ति होनी चाहिये। कलयुग में आत्मा के कल्याण के लिए भक्ति मार्ग सर्वोत्तम है। अतः भक्तिमय बनें, प्रभु के प्रति आस्था रखें उनके दिये मंत्रों का जाप करें आपका जीवन धन्य हो जायेगा।
संत गुरु साहिब दास जी ने कहा कि देह चला जाता है और परम तत्व यही रह जाता है तथा दिव्य संत की सत्संगति से मानव दिव्य हो जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान का सम्बध प्रत्येक व्यक्ति के रोम-रोम में होता है। इसलिये सभी को प्यार से आर्शीवाद दें, ऐसा करने से आपकी आत्मा भी भगवान की हो जायेगी। अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत कीजिये। जब दिव्य दर्शन होता है तो हमारी आस्था में प्रकाश होता है।
कार्यक्रम में शान्ति दादा, डॉ0 जीतू, शंकर भाई पटेल, विजय भाई ठक्कर, सुरेन्द्र भाई, बिन्दु बा, वर्षा जी सहित राजभवन के समस्त अधिकारीगण एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे।