
एक बहुत ही पुराना तालाब था, जिसमें अनेक प्रकार के जल-जंतुओें के साथ-साथ तीन बड़े मगरमच्छ भी रहते थे। जीव-जंतुओं का अपना एक विचित्र संसार होता है। जिस पानी में डूबकर मरने से हम लोग डरते हैं, वे उसी पानी में दिन-रात रहते हैं और उनका जीवन ही इस जल में है। जल से बाहर निकलते ही वे मर जाते हैं और मानव जाति पानी में डूबकर मर जाती है।गुलाम
यह तीन मगरमच्छ भी इसी जल में रहते थे। एक बार कुछ धोबी उस तालाब पर कपड़े धोने के लिए आए। उन्होंने जैसे ही तालाब में तैर रही हजारों मछलियों को देखा तो उनके मुँह में पानी भर आया। एक तो खुशी से चिल्लाता हुआ बोला, ‘‘अरे रामू! देख, इस तालाब में मछलियों के ढेर हैं। एक बार इन्हें पकड़ेंगे तो आनंद ही आनंद है। खूब मजे से खाएँगे। अब तो रोज ही खाते रहेंगे।’’
‘‘हा…हा…, एक पंथ दो काज वाली बात हो गई। कपड़े भी धोएँगे और मछलियाँब्रोकली के पकौड़े भी पकड़ेंगे…हा…हा…हा…।’’
धोबी जोर-जोर से हँस रहे थे। इनकी बातें पानी में तैर रहे एक मगरमच्छ ने सुन ली थीं। वह झट से नीचे मछलियां के पास गया और उनसे जाकर बताया कि ऊपर जो धोबी कपड़े धो रहे हैं, वे सब तुम्हारी जान के दुश्मन हैं।
मुसीबत… मुसीबत… भयंकर मुसीबत! मौत को सामने देखकर हर प्राणाी की जान खुश्क हो जाती है। ऐसे गंभीर प्रश्न पर सब लोग ही विचार करने लगे कि आखिर इनसे बचा कैसे जाए?
बहुत सोच-विचार के पश्चात यह निर्णय लिया गया कि इस तालाब को ही छोड़कर किसी दूसरे तालाब में आसरा लिया जाए। ऐसे ही अवसर पर यह कहा गया है कि-
‘यदि शत्रु ताकतवर हो तो भाग जाना ही अच्छा होता है ओर किसी किने के अंदर आश्रय लेना चाहिए। जिन लोगों को अन्य स्थान पर सुख मिले, ऐसे विद्वान लोग जाने के कष्ट को नहीं सोचते।’
दूसरे मगरमच्छ ने जैसे ही अपने मगरमच्छ साथी के मुँह से यह बात सुनी, तो बोला, ‘‘भाई! आप ठीक कहते हैं, मैं भी यही सोच रहा हूँ कि अब इस स्थान पर रहना ठीक नहीं। हमें यथाशीघ्र यहाँ से निकल जाना चाहिए। मैंने भी किसी विद्वान से सुना था-अत्यंत मोही और नपुंसक लोग परदेश के नाम से डरते हैं।’’
वह कौवे की भाँति बुजदिल और हिरण की भाँति अपने देश में भूखे मरते हैं। जो स्वदेश में ही भूखा मरे, वह आदमी क्या।
जो खारे कुएँ का पानी इसलिए पीता रहता है कि उसे उसके बाप-दादा ने बनवाया, उससे अधिक पागल कौन होगा?
अपने शत्रु की शक्ति को न समझ कर जो लोग युद्ध करने जाते हैं, वे आग में जलते पतंगों की भाँति स्वयं नष्ट हो जाते हैं। सारी शक्ति संगठन की होती है। इसलिए हम सबको मिलकर कल सुबह तक इस तालाब को छोड़ देना होगा, नहीं तो यह धोबी हमें जिंदा नहीं छोड़ंेगे।’’
मगरमच्छों के कहने पर सुबह तक सारे जानवर रातों-रात वहाँ से निकल गए। सुबह जैसे ही धोबी मछली पकड़ने के लिए आए तो उन्होंने देखा कि तालाब में कोई मछली नहीं है। सब मछलियाँ रातों-रात तालाब छोड़कर चली गई थीं।
शिक्षा-शत्रु यदि बलवान हो तो भाग जाना चाहिए या फिर किसी किले का सहारा लेकर अपने को बचाना चाहिए। जिनका किसी स्थान पर जाकर भी सुख से समय बीत जाए तो विद्वान लोग जाने के कष्ट और स्थान से जुदा होने के दुःख की बात नहीं सोचते। (हिफी)