प्रेरणास्पद लघुकथा
☆ लघुकथा – सिहरन… ☆

☆ लघुकथा – सिहरन… ☆
आशा! चल तेरा कस्टमर आया है।
बिटिया तू बैठ, मैं अभी आई काम करके।
जल्दी आना।
थोडी देर बाद फिर आवाज – आशा! आ जल्दी, कस्टमर है।
बिटिया तू खेल ले, मैं अभी आई काम करके।
हूँ —।
बिटिया तू खाना खा ले, मैं अभी आई काम करके।
हूँ – उसने सिर हिला दिया ।
ना जाने कितनी बार आवाज आती और आशा सात – आठ साल की बिटिया को बहलाकर नीचे चली जाती।
ऐसे ही एक दिन – बिटिया तू पढाईकर, मैं बस अभी आई काम करके।
अम्माँ ! अकेले कितना काम करोगी तुम? मैं भी चलती हूँ तेरे साथ काम करने। तुम कहती हो ना कि मैं बडी हो गई हूँ?
वह लडखडाकर सीढियों पर बैठ गई।☆ माँ सी….!☆
डॉ. ऋचा शर्मा
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