रतन टाटा ने भारत को दीं नई ऊंचाइयां

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
रतन टाटा ने अपने जीवन में करोड़ों-अरबों रुपए कमाये होंगे लेकिन उनसे कहीं अधिक उनके जाने के बाद उनके व्यक्तित्व को लेकर देश की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों और समाज की विभिन्न विभूतियों ने श्रद्धासुमन के रूप में रतन टाटा को जो सम्मान दिया वह उनकी भौतिक कमाई से कहीं अधिक मूल्यवान है। जीवन का सत्य भी यही है कि इंसान की असली कमाई कर्मों द्वारा अर्जित यश, कीर्ति ही है जो मरने के बाद भी उसे जीवित रखती है।
भारत के दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद प्रमुख रतन टाटा एक ऐसे दिलदार उदार परिश्रमी दृढ़ संकल्पी राष्ट्रभक्त कुशल नेतृत्वकारी शख्सियत थे कि उनके जैसे लोग बिरले ही पैदा होते हैं। रत्न टाटा ने बुधवार रात मुंबई के बीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। टाटा समूह ने सूचना जारी करते हुए लिखा कि अपार दुख के साथ हम अपने प्रिय रतन के शांतिपूर्ण निधन की घोषणा करते हैं। हम, उनके भाई, बहन और स्वजन, उनकी प्रशंसा करने वाले सभी लोगों के प्रेम और सम्मान से सांत्वना महसूस करते हैं। अब जब वह व्यक्तिगत रूप से हमारे बीच नहीं हैं, उनकी विनम्रता, उदारता और सेवा भावना की उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
टाटा समूह के अध्यक्ष एन. चन्द्रशेखरन ने कहा कि अत्यंत दुख के साथ हम स्तन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं। वह वास्तव में एक असाधारण नेतृत्वकर्ता थे, जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह, बल्कि राष्ट्र को भी आकार दिया है। टाटा समूह के लिए रतन टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वह एक गुरु, मार्गदर्शक व मित्र थे। उत्कृष्टता और नवीनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में वैश्विक स्तर का विस्तार किया। परोपकार और समाज के विकास के प्रति स्तन टाटा के समर्पण ने लाखों लोगों का जीवन प्रभावित किया है। शिक्षा से स्वास्थ्य सेवा तक उनकी पहल ने गहरी छाप छोड़ी, जिससे भावी पीढ़ियों को लाभ होगा। टाटा परिवार की ओर से मैं प्रियजनों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी, क्योंकि हम उन सिद्धांतों को कायम रखने का प्रयास करेंगे, जिनकी उन्होंने बहुत दिल से वकालत की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अपनी एक्स पोस्ट में लिखा- रतन टाटा के दुखद निधन से भारत ने एक ऐसे प्रतीक को खो दिया है जिसने राष्ट्र निर्माण के साथ कारपोरेट विकास और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने महान टाटा विरासत को आगे बढ़ाया तथा इसे और अधिक प्रभावशाली वैश्विक उपस्थिति प्रदान की। उन्होंने अनुभवी पेशेवरों और युवा छात्रों को समान रूप से प्रेरित किया। मानवता की सेवा और परोपकार में उनका योगदान अमूल्य है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीन पोस्ट करते हुए एक्स पर लिखा-रतन टाटा एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और एक असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान बोर्ड रूम से कहीं आगे तक गया। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के कारण वह कई लोगों के प्रिय बन गए। स्तन टाटा के सबसे अनूठे पहलुओं में से एक बड़े सपने देखना और उन्हें समाज को देने का जुनून था। मेरा मन रतन टाटा के साथ अनगिनत संवादों से भरा हुआ है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो मैं उनसे अक्सर मिलाता था। हम विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करते। मुझे उनका दृष्टिकोण बहुत समृद्ध लगा।
रतन टाटा के निधन पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष पहचान रखने वाले अनेक लोगों ने रतन टाटा के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की है। भारत के प्रिय रतन को दी गई श्रद्धांजलियों से नारद पुराण का यह कथन कि ‘आचार से स्वर्ग मिलता है। आचार से सुख मिलता है। आचार से मोक्ष मिलता है। आचार से क्या-क्या नहीं मिलता? पूरी तरह से उचित बैठता है।’ चाणक्य सूत्र में कहा गया है कि ‘मनुष्य का भौतिक शरीर मरता है। उसकी यश या कीर्ति रूपी देह नहीं अर्थात् उसकी कीर्ति बराबर बनी रहती है।’
रत्न टाटा का व्यक्तिगत जीवन कठिनाइयों भरा रहा उनके माता पिता के मध्य संबंध विच्छेद के कारण उनकी दादी मां ने उनकी परवरिश की। जिस कारण वह इच्छित उच्च शिक्षा लेने के लिए भी कुछ असहज हालात से गुजरे लेकिन उन्होंने कार्लोस से आर्कीटेक्कचर की डिग्री हासिल कर ली। यही नहीं जीवन में चार अफेयर के बावजूद हालात और परिस्थितियों ने उनके प्यार को विवाह में परिणीत नहीं होने दिया। एक बार अमेरिका में अफेयर हुआ लेकिन 1962 के भारत चीन युद्ध के कारण उन्हें भारत अकेले लौटना पड़ा और उनकी लवमैट किसी दूसरे से शादी कर निकल गयी। इसके बाद अभिनेत्री सिम्मी ग्रेवाल से दशकों तक नजदीकी रही लेकिन शादी नहीं हो सकी और रत्न टाटा आजीवन कुंआरे ही रह गए। टाटा ने नमक से लेकर जगुआर गाड़ी और अब चीन की मोनोपोली को खत्म करने के लिए सेमीकंडक्टर का निर्माण किया। वह देश की जरूरत के प्रति भी अपनी जिम्मेदारी समझते थे और निबाहते भी थे। उन्होंने एक लाख रुपये में हर आम आदमी को टाटा नैनो गाड़ी का मालिक बनाने का सपना न सिर्फ दिखाया वरन साकार भी किया। यह अलग बात है कि आम भारतीय सस्ती उपलब्ध वस्तु की ईज्जत करना नहीं जानता क्योंकि उस के भीतर बड़ा दिखने की जीजिविषा पलती है।
आज रतन टाटा शारीरिक रूप से बेशक नहीं रहे लेकिन अपने कर्मों से की कमाई के कारण प्राप्त यश के कारण वह हमेशा जीवित रहेंगे। रतन टाटा ने अपने जीवन में करोड़ों-अरबों रुपए कमाये होंगे लेकिन उनसे कहीं अधिक उनके जाने के बाद उनके व्यक्तित्व को लेकर देश की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर राजनीतिज्ञों, उद्योगपतियों और समाज की विभिन्न विभूतियों ने श्रद्धासुमन के रूप में रतन टाटा को जो सम्मान दिया वह उनकी भौतिक कमाई से कहीं अधिक मूल्यवान है। जीवन का सत्य भी यही है कि इंसान की असली कमाई कर्मों द्वारा अर्जित यश, कीर्ति ही है जो मरने के बाद भी उसे जीवित रखती है। (हिफी)