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जोशीमठ व चारधाम परियोजना को लेकर केंद्र व राज्य सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल। हाई कोर्ट ने जोशीमठ व कर्णप्रयाग के एनटीपीसी प्रोजेक्ट तथा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन और चारधाम परियोजना को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार, एनटीपीसी सहित अन्य पक्षकारों को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में दिल्ली निवासी अजय गौतम की जनहित याचिका के माध्यम से कोर्ट का ध्यान आकर्षित कराया गया कि उत्तराखंड के जोशीमठ में 600 से ज्यादा और कर्णप्रयाग में 50 से ज्यादा घरों में दरार आ चुकी है। जो परिवार पीपलकोटी या अन्य जगह शिफ्ट किए गए हैं, वह सुविधाजनक हालत में नहीं हैं। उन्हें उचित मुआवजा भी नहीं मिला है। प्रभावित परिवारों के साथ जो गोवंश और अन्य पशु थे, वह भी बेसहारा हो गए हैं।
जोशीमठ की आबादी तकरीबन 15 से 20 हजार है और यात्रा काल में यह एक लाख तक हो जाती है। वहां कोई भी सीवर सिस्टम नहीं है। जिस कारण सीवरेज को गड्ढों में डाला जा रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट से जोशीमठ और कर्णप्रयाग को बचाने के लिए एक्सपर्ट कमेटी बनाने की मांग की गई। मामले की अगली सुनवाई के लिए दो अगस्त की तिथि नियत की गई है।
अजय गौतम की दूसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि एनटीपीसी परियोजना तथा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना एवं चारधाम सड़क परियोजना में लगातार ब्लास्ट किए जा रहे हैं। रोड कटिंग का मलबा नदी में फेंका जा रहा है। लगातार ब्लास्टिंग करने से पहाड़ कमजोर हो रहे हैं। इससे चारधाम यात्रियों के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए जानमाल का खतरा पैदा हो गया है। इसलिए एक्सपर्ट कमेटी की गाइडलाइंस की जरूरत है, जब तक एक्सपर्ट कमेटी गाइडलाइन न बनाए तब तक इन परियोजनाओं पर रोक लगाई जाए। न्यायालय ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर छह हफ्ते में जवाब मांगा है। इस मामले की भी अगली सुनवाई के लिए दो अगस्त की तिथि नियत की गई है।
हाई कोर्ट ने पिछले साल चमोली जिले के रैणी क्षेत्र की धौलीगंगा में आई आपदा के बाद लापता शवों को खोजने ओर उनके अंतिम संस्कार को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य व केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।
अगली सुनवाई के लिए छह सप्ताह की तिथि नियत की गई है। आचार्य अजय गौतम की ही जनहित याचिका में कहा गया कि रैणी गांव के धौलीगंगा में बाढ़ से कई लोग लापता हो गए थे। 206 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई थी। लापता शवों को राज्य सरकार द्वारा खोजा नहीं गया।
अभी भी उस क्षेत्र में 122 लोग लापता हैं, जिसमें देश के ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश के लोग भी शामिल थे। लापता लोगों के शव खोजना व रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। 2013 की केदारनाथ आपदा में अभी भी 3322 लोग लापता हैं। जिनकी खोजबीन राज्य सरकार नहीं कर रही है।

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