नए कुलसचिव के आने से पहले छात्र नेताओं ने कक्ष और कुर्सी पर छिड़का गंगाजल

उज्जैन । इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से स्थानांतरित किए डा. प्रज्ज्वल खरे ने उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के 25वें कुलसचिव का पदभार संभाल लिया।
उनके पदभार संभालने से पहले युवा कांग्रेस और एनएसयूआई के छात्र नेताओं ने माधव प्रशासनिक भवन में बने कुलसचिव कक्ष और उनकी कुर्सी पर गंगा जल छिड़ककर शुद्धिकरण किया। छात्र नेता बबलू खिंची और प्रीतेश शर्मा ने कहा कि लोकायुक्त जांच और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे निवृत्तमान कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक के कक्ष का गंगा जल से शुद्धीकरण जरूरी था।
मालूम हो कि डा. खरे का तबादला आदेश उच्च शिक्षा विभाग ने छह महीने पहले 28 दिसंबर 2022 को जारी किया था, मगर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डा. रेणु खरे द्वारा उन्हें सेवा से कार्य मुक्त न करने के कारण वे तय अवधि में शासन के आदेश का पालन नहीं कर पाए। दो दिन पहले मंगलवार को कुलपति ने उन्हें कार्य मुक्त किया। पारिवारिक कारणों से बुधवार को अवकाश पर रहकर गुरुवार को विक्रम विश्वविद्यालय पहुंच कुलसचिव का पद संभाल लिया। पदभार की कार्रवाई कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय के कक्ष में हुइ।
औपचारिक स्वागत, सत्कार के बाद डा. खरे ने अपने कक्ष में कुर्सी पर बैठने से पहले भगवान का स्मरण कर हाथ जोड़ प्रमाण किया और फिर कुर्सी पर बैठ कामकाज शुरू किया। खास बात यह रही कि पदभार सौंपने के वक्त निवृत्तमान कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक मौजूद नहीं थे। कुलपति ने कहा कि डा. पुराणिक राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी है, वे अब अपने मूल विभाग में यही दायित्व निभाएंगे।
विक्रम विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा-2022 की ओएमआर शीट में काट-छांट कर अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों को उत्तीर्ण दर्शाने के मामले में आरोपित डा. प्रशांत पुराणिक के कुलसचिव पद से हटने के बाद लोकायुक्त जांच में तेजी आने की उम्मीद है। कहा गया है कि जल्द ही आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया जाएगा।
इसी कड़ी में गुरुवार को पीएचडी कांड की विश्वविद्यालय स्तरीय जांच कमेटी के अध्यक्ष रहे माधव विज्ञान महाविद्यालय के प्रोफेसर डा. इंद्रेश मंगल, सदस्य महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. दिलीप सोनी और विक्रम विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी सांइस डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डा. सोनल सिंह से लोकायुक्त ने पूछताछ की।
यहां बता दें कि जांच समिति से इस्तीफा देते वक्त डा. मंगल ने यह स्वीकार किया था कि जांच में वह परेशानी महसूस कर रहे हैं। प्रोसिडिंग के दो पन्ने सहित गोपनीय दस्तावेज ही अब गायब हो रहे हैं। इसलिए हमने यह महसूस किया कि इस जांच से हट जाना ही उचित होगा। उनके इस्तीफा देने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने कम्प्यूटर सेंटर में सिस्टम इंजीनियर डा. विष्णु सक्सेना को निलंबित कर दिया था, हालांकि बाद में उनकी बहाली भी कर दी गई थी।