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देवभूमि में महक रहीं घरों की दहलीज

देहरादून। उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा से जुड़ा पर्व फूलदेई आज से मनाया जा रहा है। गढ़वाल व कुमाऊं में विशेष रूप से मनाया जाने वाले इस पर्व पर सुबह फुलारी यानी छोटे बच्चों ने देहरी पूजन कर फूलों से सजाया। अष्टमी के दिन इन फुलारी को लोग मिष्ठान भेंट करेंगे। पर्वतीय अंचलों में ऋतुओं के अनुसार पर्व मनाए जाते हैं। यह पर्व जहां हमारी संस्कृति को उजागर करते हैं, वहीं पहाड़ की परंपराओं को भी कायम रखे हुए हैं। इन्हीं में शामिल फूलदेई पर्व। वसंत ऋतु के आगमन की खुशी में चौत्र मास की संक्रांति पर आज उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
देहरादून में भी विभिन्न कालोनियों में बच्चों ने देहरी पूजा की। कई सामाजिक संगठन चित्रकला, नृत्य, गीत आदि र्प्रतियोगिता शुरू करेंगे। कूर्मांचल सांस्कृतिक एवं कल्याण परिषद के अध्यक्ष कमल रजवार ने बताया कि सुबह गढ़ी कैंट क्षेत्र में बच्चों द्वारा आसपास घरों के देहरी पर फूल, चावल से सजाया गया। इसके बाद मुख्यमंत्री आवास में भी फूलदेई पर कार्यक्रम होगा।
उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूलदेई के अवसर पर भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में बड़ी संख्या में क्षेत्र के बच्चों ने पारम्परिक मांगल गीतों के साथ रंग-बिरंगे प्राकृतिक पुष्पों की वर्षा की। बच्चों के साथ विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डॉ. धनसिंह रावत, सौरभ बहुगुणा, डॉ. प्रेम चन्द अग्रवाल, विधायक अनिल नौटियाल आदि ने बच्चों से भेंट कर अपनी लोक संस्कृति एवं लोक परम्पराओं से जुड़ने के लिए उनका उत्साह वर्धन किया। विधान सभा अध्यक्ष के साथ सभी ने इस पावन पर्व की बधाई देते हुए कहा कि हमारे पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने तथा उसके संरक्षण का संदेश देते हैं। अपनी लोक परम्पराओं एवं समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संजोये रखने की भी जरूरत बतायी।
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समस्त प्रदेशवासियों को फूलदेई पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल ने कहा कि प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक यह लोकपर्व समस्त प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और खुशहाली लेकर आए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सांस्कृतिक दृष्टि से एक अत्यंत समृद्ध प्रदेश है। राज्य की अनूठी परंपराएं जीवंत संस्कृति तथा सुंदर लोकपर्व अपनी अलग पहचान रखते हैं।

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