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क्या गैरसैंण में होगी बड़ी घोषणा

 

देहरादून। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में सोमवार से विधानसभा का बजट सत्र आरंभ हो रहा है। लंबे अरसे बाद मौका आया, जब गैरसैंण के भराड़ीसैंण स्थित विधानसभा भवन में फिर से चहल-पहल नजर आएगी। ठीक दो साल पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्वकाल में यहां सत्र हुआ था। तब से राज्य की राजनीति में काफी कुछ बदल गया। इस सत्र के तुरंत बाद त्रिवेंद्र की विदाई हो गई और तीरथ सिंह रावत के सिर ताज सजा। त्रिवेंद्र चार साल मुख्यमंत्री रहे, मगर तीरथ तो चार महीने से पहले ही पूर्व हो गए। उसके बाद पुष्कर सिंह धामी लगातार दो बार मुख्यमंत्री बने।
त्रिवेंद्र ने बतौर मुख्यमंत्री गैरसैंण में लगातार दो साल विधानसभा सत्र के दौरान बड़ी घोषणाएं की थीं। दोनों गैरसैंण के लिए, इसीलिए सत्ता के गलियारों में इस बार भी सुगबुगाहट है कि मुख्यमंत्री धामी कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं गैरसैंण क्षेत्र के विकास को लेकर। हमें भी इंतजार है।
राज्य में भाजपा पिछले नौ सालों से अविजित है। लगातार दो लोकसभा चुनाव में पांचों सीटें जीत कर कांग्रेस का सूपड़ा साफ तो किया ही, लगातार दो विधानसभा चुनाव में सत्ता हासिल कर कांग्रेस को पूरी तरह बैकफुट पर भी धकेल दिया। लब्बोलुआब यह कि भाजपा के हौसले पूरी तरह बुलंद हैं। इसीलिए 2024 के चुनावी रण की तैयारी में जुटे भाजपा नेता प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पर पलटवार का कोई अवसर नहीं गंवा रहे हैं।
दिलचस्प तो यह है कि राज्य में कोई बड़ा घटनाक्रम हो और कांग्रेस उसे लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला बोले, पार्टी के नेता उससे पहले ही जवाब जारी कर दे रहे हैं। जारी कर दे रहे हैं, मतलब मीडिया तक उनके बयान तुरत-फुरत पहुंच जाते हैं। यह कुछ ऐसा ही है, जैसे विकास कार्यों के लिए बजट जारी होने की प्रत्याशा में सरकारी महकमे निर्माण कार्य शुरू करवा देते हैं। है न बिल्कुल अद्भुत राजनीतिक कार्यशैली।
सात साल पहले हरीश रावत सरकार को झटका देकर भाजपा में शामिल हुए हरक सिंह रावत अब यूं तो कांग्रेस में लौट आए हैं, लेकिन मुश्किलें खड़ी करने के मामले में लगता है हरक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का पीछा छोड़ने वाले नहीं। दरअसल, हरक ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए हरिद्वार से दावा ठोक दिया है। बकौल हरक, वह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी इच्छा बता चुके हैं। उधर हरदा, यानी हरीश रावत इस सीट से कांग्रेस टिकट के स्वाभाविक दावेदार हैं। 2009 में हरिद्वार से लोकसभा पहुंच हरदा केंद्र में कैबिनेट मंत्री बने थे। हालांकि 2019 का लोकसभा चुनाव हरदा ने नैनीताल सीट से लड़ा था, लेकिन सक्रियता को पैमाना माना जाए तो इस बार फिर उनकी तैयारी हरिद्वार से ही दिख रही है। हरदा तो बाकायदा चुनाव लड़ाने और हेलीकाप्टर का प्रबंध करने के लिए फाइनेंसर की तलाश में भी जुट चुके हैं।
लोकसभा चुनाव को अब बस एक साल ही बचा है, लिहाजा पालाबदल की चर्चाएं भी दस्तक देने लगी हैं। वैसे छिटपुट पालाबदल, या कहें तो दलबदल राजनीति में चलने वाली सतत प्रक्रिया है, लेकिन बात अगर किसी कद्दावर नेता से संबंधित हो तो कान खड़े होना स्वाभाविक ही है।
इन दिनों इंटरनेट मीडिया में कांग्रेस के एक बड़े नेता के भाजपा का दामन थामने की चर्चा जोरशोर से चल रही है। वैसे, कुछ महीने पहले भी ऐसा ही सुनने में आया था, मगर तब मामला पूरी तरह परवान नहीं चढ़ा। कहा जा रहा है कि जिस नेता का नाम चर्चा में है, उसके अपनी पार्टी के नेताओं के साथ रिश्ते आजकल सामान्य नहीं चल रहे हैं।
नाराजगी दिखाने का कोई अवसर वे चूकते भी नहीं। कहा जा रहा है कि बात केवल गेटिंग-सेटिंग पर अटकी है। मतलब, लोकसभा चुनाव का टिकट और भविष्य की गारंटी मिली तो पालाबदल मुमकिन है।

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