लेखक की कलम

जन कल्याण में सक्रिय योगदान

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

गोस्वामी तुलसी दास ने आपदा के समय संबन्धों के परख का उल्लेख किया है। वर्तमान समय में व्यक्ति के साथ ही सामाजिक संस्थाएं भी इस परिधि में समाहित है। इनकी भी वास्तविक परख आपद काल में होती है। वर्तमान पीढ़ी को अभूतपूर्व कोरोना आपदा का सामना करना पड़ा। इसके नाम से भी लोग अनभिज्ञ थे। इस अवधि में लॉक डाउन भी लगा। अनेक लोगों के समक्ष जीवन के साथ आजीविका का भी संकट उतपन्न हुआ। सरकार ने अपने स्तर से बहुत प्रयास किये। जरूरतमंदों को सहायता पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। फिर भी सामाजिक संस्थाओं की अपनी भूमिका थी। जब लोग घरों में रहने को विवश थे, उस समय भी अनेक सामाजिक संस्थाओं ने अपने दायित्व का निर्वाह किया। गोमती नगर जनकल्याण समिति ने भी इस अवधि में राहत कार्यों का बखूबी संचालन किया।
महासमिति तीन दशकों से सेवा कार्यों में सक्रिय रही है। इसके द्वारा अनेक नागरिक समस्याओं के समाधान संबन्धी प्रभावी प्रयास होते रहते हैं किंतु कोरोना संकट के दो वर्ष विशेष रूप से उल्लेखनीय है। महासमिति प्रतिवर्ष अपना स्थापना दिवस उत्सव उत्साह के साथ मनाती रही है लेकिन इस संबन्ध में भी दो वर्ष अलग रहे है। कोरोना काल में महासमिति ने व्यापक स्तर पर स्थापना उत्सव नहीं मनाया। फिर भी परिस्थितियों के अनुरूप अपनी परम्परा का निर्वाह अवश्य किया। इस दौरान महासमिति ने कोरोना योद्धा सम्मान के रूप में स्थापना दिवस को मनाया। इस तरह उसने आपदा के समय उत्सव को भी सेवा कार्यों से जोड़ने का कार्य किया। दो वर्षों बाद पहले की तरह स्थापना उत्सव मनाने का अवसर मिला। इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। जन कल्याण महासमिति के महासचिव डॉ राघवेंद्र शुक्ला ने राजनाथ सिंह और बृजेश पाठक को ग्यारह सूत्रीय मांग पत्र सौंपा।
गोमतीनगर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में शामिल है। उनके माध्यम से जरूरतमंदों को राशन किट भेजी जा रही थी। महासमिति ने उसके उचित वितरण में योगदान दिया। इसके अलावा तत्कालीन नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन,तत्कालीन विधि मंत्री बृजेश पाठक का विधान सभा क्षेत्र यहां तक था। इनके द्वारा भेजी गई राहत सामग्री का भी वितरण महासमिति द्वारा सुनिश्चित किया गया। महासमिति ने अपने स्तर से भी लगातार सेवा व राहत कार्यों का संचालन किया। गोमतीनगर जनकल्याण महासमिति कोरोना काल में नियमित रूप से राहत कार्य संचालन के साथ ही सेवा योद्धाओं को सम्मानित भी करती रही। इसमें जरूरतमंदों को फूड पैकेट,राशन वितरण व सेनेटाइजेशन कार्य शामिल था। महासमिति की ओर से स्वच्छता कर्मियों को सम्मानित किया गया था। एलपीजी सिलेंडर घरों में पहुंचाने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए जागरूक किया गया। इन कर्म योद्धाओं पर फूलों की वर्षा की गई थी। उनको गिफ्ट प्रदान किये गए थे।
बृजेश पाठक द्वारा महिला कोरोना योद्धाओं और मीडियाकर्मियों को सम्मानित किया था। इस दौरान कोरोना योद्धाओं को अंग वस्त्र, हैंड सैनिटाइजर,मास्क और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया था। कोरोना योद्धाओं को सम्मान के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से एक-एक पौधा भेंट किया गया था। इस प्रकार महासमिति के कोरोना संकट के समय बहुत से लोगों ने सेवा कार्य किया। गरीब जरूरतमंद लोगों की सेवा की। हर स्तर पर जाकर लोगों की मदद की और राशन भोजन दिया। कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करने का काम गोमतीनगर जन कल्याण महासमिति की तरफ से किया गया। गोमतीनगर जन कल्याण महासमिति की तरफ से कोरोना संकटकाल में सराहनीय काम किया गया। गोमती नगर के कई इलाकों में सैनिटाइजेशन, मास्क और हैंड सैनिटाइजर वितरण का काम किया गया है। विकास व नागरिक सुविधाओं संबन्धी कार्यों में भी महासमिति सक्रिय योगदान करती है। गोमती नगर रेलवे स्टेशन का अंतर्राष्ट्रीय स्तर का नवीनीकरण,समता मूलक चैराहा से लक्ष्मण पुरी,रविन्द्र पल्ली की तरफ जाने के लिए फ्लाईओवर, कठौता झील में पर्याप्त पानी की सप्लाई एवं अन्य कार्य जैसे सड़कों की मरम्मत, नालियों को जोड़ना, पार्कों का जीर्णोद्धार एवं उनके सबमर्सिबल पंप की मरम्मत आदि अनगिनत कार्य शामिल है। इस क्षेत्र का अभूतपूर्व विकास हो रहा है। इसके दृष्टिगत महासमिति भी प्रयास कर रही है।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक चिकित्सा सुविधाओं का स्वयं भी निरीक्षण करते हैं। इसी क्रम में बाराबंकी के जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे। आम आदमी की तरह अस्पताल पहुंचने पर पर्चा बनवाया, ओपीडी, अल्ट्रासाउण्ड कक्ष समेत कई स्थानों का निरीक्षण किया। हर जगह उन्हें अव्यवस्था मिली। इस पर सीएमएस को फटकार लगाते हुए तत्काल सुधार करने के निर्देश दिए। इससे पहले लखनऊ के केजीएमयू का भी डिप्टी सीएम ने निरीक्षण किया था। उसके बाद मानसिक क्लीनिक पहुंचे यहां पर उखड़ा प्लास्टर और खुले में पड़ी दवाएं देख भड़क उठे। सिरिंज भी खुले में पड़ी थी। ब्रजेश पाठक बोले अभी स्टॉक चेक करेंगे तो यही दवाएं कम होंगी फिर कार्रवाई करनी पड़ेगी। दवाओं को अच्छे से रखें। वहीं पर एक मशीन पन्नी में पैक मिली। बोले मशीन आई थी तब से इसे चलाकर नहीं देखा। फिर इमरजेंसी वार्ड पहुंचे और मरीजों से
हाल चाल लिया।वार्डों में गंदगी और लावारिस मरीजों की देखभाल बेहतर न होने पर नाराजगी जताई। निरीक्षण के दौरान गायब मिले रेडियोलॉजिस्ट से स्पष्टीकरण लेने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य मंत्री का पारा उस समय चढ़ गया जब वह मानसिक क्लीनिक का निरीक्षण कर रहे थे और उन्हें गत्तों पर दवाएं खुली पड़ी मिलीं। सिरींज
बिखरी मिलीं। बोले कि यह सरकारी पैसा खर्च होने पर आता हैं और यहां इनकी कोई कदर नहीं है। इतने में उनकी नजर एक बंद मशीन पर पड़ी। बोले कि यह कौन सी मशीन है और कब आई थी। इस सवाल पर मानसिक रोग चिकित्सक डॉ. राहुल सिंह बगले झांकते नजर आए।
ऐसे ही कुछ कारण हैं जिससे सरकार के प्रयास फलीभूत नहीं हो पाते हैं। (हिफी)

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