स्टालिन के बहाने राहुल को नसीहत

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
– हत्यारे को सम्मान देना हमारी संस्कृति नहीं
– पेरारिवलन से स्टालिन की मुलाकात पर बोले संजय राउत
शिवसेना के नेता संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के हत्यारे पेरारिवलन की रिहाई और उनसे सीएम स्टालिन की मुलाकात पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी पेरारिवलन की रिहाई के बाद तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने उससे मुलाकात की थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा है कि राजीव गांधी देश के नेता थे। उनके हत्यारों को इस तरह सम्मान देना हमारी संस्कृति और नैतिकता के दायरे में नहीं आता है। तमिलनाडु में एमके स्टालिन की पार्टी द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम डीएमके के साथ कान्ग्रेस का समझौता हुआ है और डीएमके ने कांग्रेस को अपनी सरकार में भी साझीदार बनाया है। महाराष्ट्र में स्थिति इससे थोड़ी भिन्न है। यहां कांग्रेस और शिव सेना ने विधानसभा चुनाव अलग अलग लडा था लेकिन सरकार मिलकर बनायी है। यहाँ शिवसेना की सरकार है लेकिन कांग्रेस अक्सर ऐसी बयानबाजी करती है जिससे शिवसेना कभी-कभी मुश्किल में पड जाती हैं। उधर तमिलनाडु में डीएमके अपनी वोट की राजनीति के चलते कांग्रेस की भावनाओं को ठेस तक पहुंचा देती है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का राजीव गाँधी के हत्यारे से मिलना ऐसा ही कदम है। कांग्रेस की मजबूरी है कि तमिलनाडु में द्रमुक से आँखे तरेर कर बात नहीं कर सकती लेकिन द्रमुक को तो कम से कम इतना लिहाज करना ही चाहिए। कांग्रेस को भी पार्टी की गरिमा से समझौता नहीं करना चाहिए। शिवसेना नेता संजय राउत ने पिछले दिनों स्टालिन के बहाने राहुल गाँधी को ही नसीहत दी है।
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। फैसले के बाद डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पेरारिवलन और उसके परिवार से मुलाकात की थी। इस पर शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने अपनी प्रतिक्रिया दी। राउत ने कहा, ‘तमिलनाडु की राजनीति क्या है, यह सबको मालूम है। राजीव गांधी पूरे राष्ट्र के नेता थे, जिन्होंने देश के लिए शहादत दी।’ उन्होंने आगे कहा, ‘तमिलनाडु में ही उनकी हत्या हुई थी। राज्य के मुख्यमंत्री अगर उनके हत्यारों को इस तरह सम्मानित करते हैं तो मुझे लगता है कि वो हमारी संस्कृति और नैतिकता नहीं है।’ इससे पहले कांग्रेस ने राजीव गांधी की हत्या के दोषी को रिहा करने के फैसले पर अपनी निराशा जताई थी। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा था कि एक आतंकवादी, आतंकवादी होता है और उसके साथ आतंकवादियों की तरह ही व्यवहार करना चाहिए। वहीं मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और फौरन पेरारिवलन और उनके परिवार से मुलाकात की। पेरारिवलन से मुलाकात के बाद स्टालिन ने कहा था कि पेरारिवलन 31 वर्षों के बाद खुले आसमान के नीचे सांस ले सकेंगे। वहीं विपक्षी अन्नाद्रमुक ने भी पेरारिवलन की रिहाई के लिए दिवंगत जे जयललिता द्वारा उठाए गए कदमों को याद करते हुए आदेश का स्वागत किया। इस प्रकार तमिलनाडु की दोनों बडी पार्टियों के नेता लिट्टे के समर्थन में ही खडे हो गये। अन्ना द्रमुक तो कांग्रेस के विरुद्ध है लेकिन द्रमुक तो साथ में है। उसे गठबंधन धर्म निभाना चाहिए था। कांग्रेस को दर्द हो रहा है। संजय राउत ने महाराष्ट्र में यही गठबंधन धर्म राहुल गांधी को याद दिलाया है।
दरअसल, पेरारिवलन ने अपनी रिहाई में होनी वाली देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी। साल 2018 में तमिलनाडु सरकार ने उन्हें रिहा करने की सिफारिश की थी। इसके बाद ये मामला कानूनी पेच में फंस गया था। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था। पीठ ने कहा था, ‘राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा।’ संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू न होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है। राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था। सभी को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया। इसके बाद 2016 और 2018 में जे. जयललिता और ए.के. पलानीसामी की सरकार ने दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी. मगर बाद के राज्यपालों ने इसका पालन नहीं किया और अंत में इसे राष्ट्रपति के पास भेज दिया। लंबे समय तक दया याचिका पर फैसला नहीं होने की वजह से दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
शिवसेना तो कांग्रेस का हर तरह से बचाव करती है। अभी हाल में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ की गयी ‘केरोसिन’ वाली टिप्पणी का समर्थन करते हुए शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी ने भी यही बात अलग शब्दों में कही है। राहुल गांधी ने लंदन में एक कार्यक्रम में कहा था कि भारतीय जनता पार्टी ने देशभर में केरोसिन छिड़क दिया है और एक चिंगारी से आग भड़क सकती है। गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर राउत ने कहा, ‘उन्होंने जो कहा, सच है। हमने भी अलग शब्दों में यही बात कही है। यह केंद्रीय जांच एजेंसियों की मदद से देश के लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। केंद्र सरकार पर हमला जारी रखते हुए राउत ने कहा, ‘आप उन लोगों के खिलाफ अभियान देख सकते हैं जो केंद्र सरकार के खिलाफ बोलते हैं। यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।श्शिवसेना नेता ने कहा, ‘हमारे देश के लोग भयभीत हैं और सच बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। केंद्र सरकार के खिलाफ बोलने वाले किसी भी व्यक्ति को केंद्रीय एजेंसियों की एक के बाद एक जांच का सामना करना पड़ता है।
एक तरफ शिवसेना का कांग्रेस के प्रति सकारात्मक रवैया है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के
अध्यक्ष नाना पटोले शिवसेना की सरकार को ही गिराने का बंदोबस्त कर रहे हैं। नाना पटोले ने शरद पवार नीत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा राज्य में कांग्रेस पार्टी को कथित तौर पर कमजोर करने संबंधी हालिया राजनीतिक कदमों के बारे में पार्टी आलाकमान को सूचित किया है। गौरतलब है कि नवंबर 2019 में महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने शिवसेना से हाथ मिलाया था। शिवसेना ने भाजपा के साथ गठबंधन तोड़कर कांग्रेस, राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। केंद्रीय स्तर पर नेतृत्व की समस्याओं से घिरी कांग्रेस के साथ, महाराष्ट्र में पार्टी के संगठन की मजबूती प्रभावित हो रही है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और विश्लेषकों के अनुसार, 2019 के अंत में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस की त्रिपक्षीय महा विकास अघाड़ी सरकार के गठन के बाद से ही कुछ मुद्दे लटके हुए हैं। पार्टी के आला अधिकारियों के बीच समन्वय के मुद्दे भी हैं। शरद पवार की राकांपा और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली वैचारिक रूप से विरोध करने वाली शिवसेना के साथ परस्पर विरोधी हितों के साथ कांग्रेस अपने को असहज महसूस करती है। कई कांग्रेस विधायक विशेष रूप से राकांपा केश्प्रभुत्व से परेशान हैं और श्री पवार की पार्टी की विस्तारवादी आकांक्षाओं का मुकाबला करने के लिए मजबूत कांग्रेस नेतृत्व की कमी है।
महाराष्ट्र कांग्रेस का संकट 2014 के बाद भाजपा के प्रभुत्व के बाद विशेष रूप से स्पष्ट हो गया है, जो वरिष्ठ कांग्रेसी अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोराट और अब नाना पटोले के महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के प्रमुख के रूप में कार्यकाल के साथ मेल खाता है। सन 2012 में पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के निधन ने पार्टी को महाराष्ट्र में एक प्रमुख जन-आधारित नेता के रूप में छोड़ दिया था, जो कि अहमद पटेल और ऑस्कर फर्नांडीस जैसे केंद्रीय स्तर पर अनुभवी ट्रबल-रिमूवल के निधन से और जटिल हो गया है। इन लोगों ने राज्य में पार्टी के संगठनात्मक संकट को हल करने में गहरी दिलचस्पी ली थी। अब चिंतन शिविरों मंे भी इस प्रकार की चर्चा नहीं होती। (हिफी)