लेखक की कलम

पल्लवी पटेल पर आरोप

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

देश भर मंे इस समय महाराष्ट्र की चचार्प हो रही है क्योंकि वहां बाला साहेब ठाकरे के ही कभी अतिविश्वसनीय रहे एकनाथ शिंदे ने चालीस से अधिक विधायकों को लेकर बगावत कर दी। इस तरह वहां सरकार और शिवसेना पार्टी दोनों इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़े हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी से कई दिनों से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पूछतांछ कर रहा है लेकिन अब उसमंे लोगों को रुचि नहीं है। इसके बजाय उत्तर प्रदेश मंे एक विधायक पर जिस तरह आरोप लगाए गये, उनकी चर्चा जरूर हो रही है। विधायक का नाम है पल्लवी पटेल जिन्होंने इसी साल सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव मंे प्रदेश के उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू विधानभा क्षेत्र मंे पराजित कर दिया था। सिराथू के दिलीप पटेल ने एक शिकायत निर्वाचन आयोग मंे दर्ज करायी थी। केशव प्रसाद मौर्य को विधानसभा चुनाव में पराजित करने वाली पल्लवी पटेल पर आरोप लगाया गया है कि उन्हांेने अपने नामांकन पत्र मंे अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी छिपायी थी। इस प्रकार क्षेत्र के मतदाताओं को गुमराह करने का आरोप लगा। मतदाताओं को गुमराह कौन कर रहा है, यह सचमुच एक यक्ष प्रश्न है। चुनाव आयोग ने पल्लवी पटेल को नोटिस भेजा। इस नोटिस को उन्हांेने चुनौती दी है। चुनाव से पहले पल्लवी पटेल को बहुत कम लोग जानते थे लेकिन चुनाव के बाद ज्यादा लोग जानने लगे हैं और अब चुनाव आयोग के नोटिस के बाद इस मामले मंे लोगों की दिलचस्पी भी बढ़ गयी है। प्रदेश मंे पिछड़े वर्ग के बड़े नेता रहे सोनेलाल पटेल की बड़ी बेटी पल्लवी अपनी मां के साथ अपने पिता के बनाए अपना दल के एक धड़े का नेतृत्व कर रही हैं जबकि उनकी छोटी बहन अनुप्रिया पटेल दूसरे धड़े के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में कौशाम्बी की सिराथू विधानसभा सीट से सपा विधायक पल्लवी सिंह पटेल ने निर्वाचन आयोग के नोटिस को चुनौती दी है। उनकी याचिका की सुनवाई 23 जून को होगी। उन्होंने याचिका में निर्वाचन आयोग की नोटिस को चुनौती दी है। यह आदेश जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस विक्रम डी चैहान की खंडपीठ ने दिया है। दरअसल, सपा विधायक पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे की जानकारी छिपाने का आरोप है। सिराथू के दिलीप पटेल की शिकायत पर निर्वाचन आयोग ने मामले में संज्ञान लिया। उसके बाद एसडीएम सिराथू ने पल्लवी को गत 18 व 25 मई और 3 जून को नोटिस देकर स्पस्टीकरण मांगा था। याचिका में इसी नोटिस को चुनौती दी गई है। आरोप है कि विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने नामांकन पत्र में अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों की जानकारी छिपाई और क्षेत्र के मतदाताओं को गुमराह कर अपने पक्ष में वोट हासिल किए। शिकायत में कहा गया है कि पल्लवी पटेल और उनके पति के खिलाफ लखनऊ में फर्जी दस्तावेजों के जरिए फ्लैट हड़पने का मुकदमा गोमतीनगर थाने में दर्ज है। इसके अलावा कानपुर में भी पैतृक मकान हड़पने का मुकदमा वहां की अदालत में चल रहा है। बीते विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन फॉर्म में उन्होंने ये जानकारियां छिपाई हैं। पल्लवी पर यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने अपनी मां को राज्यसभा का सांसद बनाने का प्रलोभन देकर पारिवारिक संपत्ति हड़पने का प्रयास किया और चुनाव के दौरान चंदे में मिली रकम अपनी ससुराल जबलपुर भेज दी। इसी प्रकार उन्होंने अपना दल कमेरा पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होते हुए समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विधायक निर्वाचित हुईं। इस प्रकार वर्तमान में वह दो दलों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जो निर्वाचन आयोग के नियमों के विपरीत है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में पल्लवी पटेल ने भाजपा प्रत्याशी और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराया था।
यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान कौशांबी की हॉट सीट मानी जाने वाली सिराथू विधानसभा में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। इस सीट पर भाजपा को बड़ा झटका लगा। प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हार का सामना करना पड़ा। सपा की पल्लवी पटेल ने इस सीट पर 7337 वोट से जीत दर्ज की। पल्लवी को 105559 वोट मिले जबकि बीजेपी के केशव मौर्य (98727) को हार मिली। सिराथू सीट पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और सपा की पल्लवी पटेल सहित कुल 18 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। पल्लवी पटेल अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। कौशांबी की मंझनपुर विधानसभा के कोरीपुर में उनकी ससुराल है। पल्लवी अपने परिवार के साथ कानपुर में रहती हैं। समाजवादी पार्टी से अपना दल (कमेरावादी) का गठबंधन हुआ तो पल्लवी पटेल को सिराथू सीट से केशव प्रसाद मौर्य के सामने मैदान में उतारा गया। पहले से ही माना जा रहा था कि इस सीट पर उनकी राह आसान नहीं होने वाली है लेकिन वो पूरी मजबूती के साथ लड़ीं।
पल्लवी पटेल अपना दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की बड़ी बेटी हैं। पिता के मरने के बाद उनकी बहन अनुप्रिया पटेल के बीच पारिवारिक विवाद हुआ तो पार्टी दो हिस्सों में बंट गई। पल्लवी पटेल ने अपनी मां के साथ मिलकर अपना दल (कमेरावादी) का गठन किया जबकि अनुप्रिया पटेल ने अपने पति के साथ मिलकर अपना दल(एस) के नाम से पार्टी बना ली। अनुप्रिया पटेल ने भाजपा से गठबंधन कर 2017 में ही पार्टी को सीट जिताने में कामयाबी हासिल की थी। इस बार के चुनाव में भी अनुप्रिया भाजपा के साथ तो पल्लवी पटेल ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। वहीं इस सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान तमाम उतार-चढ़ाव के दौर भी देखने को मिले। कई गांव में सपा और भाजपा के समर्थकों के बीच झड़पें भी हुईं। इन सबको दरकिनार कर आखिरकार पल्लवी पटेल ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को करारी शिकस्त दी।
अपना दल एस की प्रमुख अनुप्रिया पटेल ने एक बार फिर अपनी मां को लेकर अपनी मंशा साफ कर दी थी। उन्होंने कहा कि मां के खिलाफ मेरी पार्टी चुनाव नहीं लड़ेगी। ऐसा इसलिए क्योंकि अनुप्रिया आज जहां भी हैं वह अपनी माता-पिता की बदौलत हैं। उन्होंने कहा कि पल्लवी मेरी बड़ी बहन है। एनडीए गठबंधन के खिलाफ पल्लवी खड़ी हैं। मैं उनके खिलाफ चुनाव लड़ रही हूं। उन्होंने पल्लवी को लेकर कहा कि उन्होंने पिता के सिद्धांतों की ऐसी की तैसी कर दी। अनुप्रिया पटेल ने कहा कि 2009 से पहले हम चारों बहनों ने राजनीति में कदम नहीं रखा था। अनुप्रिया ने कहा 2009 में अपने पिता के संघर्षों को आगे बढ़ाना है। मैं संकल्प लेती हूं कि पिता के सपनों को मरने नहीं दूंगी। आप लोगों ने मुझ पर भरोसा कर एक बेटी से नेता बना दिया। इसी प्रकार की अपील पल्लवी पटेल ने भी की थी। जनता ने उनकी अपील पर मुहर लगायी लेकिन सियासत में जनता की मुहर ही सब कुछ नहीं होती। (हिफी)

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