आम्बेडकर जयंती के संदेश

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
संविधान निर्माता बाबा साहेब डा. भीमराव आम्बेडकर को श्रद्धांजलि देश भर मंे दी गयी। जगह-जगह आयोजन हुए और बाबा साहेब को याद किया गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बाबा साहेब की 131वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के हजरतगंज मंे आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए कहा कि हमंे बाबा साहेब के बताए रास्ते पर चलना होगा। उन्हांेने कहा एक स्वतंत्र भारत को कैसा भारत बनाना चाहिए, यह बाबा साहेब आम्बेडकर ने बताया था। अपनी बात को और अधिक स्पष्ट करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत के संविधान में समानता और बंधुत्व का भाव आम्बेडकर ने दिया। इसी भावना से देश और प्रदेश आगे बढ़ रहा है। यूपी में आम्बेडकर जयंती पर भाजपा नेताओं ने समरसता दिवस मनाया। कुछ लोग इसे राजनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। उनका मानना है कि भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनावा मंे बसपा के वोट बैंक मंे सेंध लगायी और बाकी बची कसर अब पूरी कर रही है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी बाबा भीमराव आम्बेडकर जयंती पर अपनी पार्टी के शक्ति प्रदर्शन का प्रयास किया है लेकिन इस देश की जनता आम्बेडकर जयंती के संदेश पर भले ही ध्यान न दे लेकिन बाबा साहेब आम्बेडकर ने जो मार्ग बताया था, उस पर जरूर ध्यान दे। उन्होंने उपेक्षित वगों के हित साधन के लिए संघर्ष किया था। यह संघर्ष अनवरत जारी रहना चाहिए। यह संघर्ष सिर्फ अनुसूचित जातियों तक सीमित नहीं है बल्कि भारत मंे रहने वाली सभी जातियों और वर्गों का है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की 131वीं जयंती पर उनको नमन किया। सीएम योगी ने लखनऊ के हजरतगंज में डा आम्बेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित किया। आम्बेडकर महासभा के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि बाबा साहेब ने कहा था चुनौती से भागना नहीं, सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र भारत को कैसा भारत बनना चाहिए यह बाबा साहब अंबेडकर ने बताया था। योगी ने आगे कहा कि भारत के संविधान में समानता और बंधुत्व का भाव अंबेडकर ने दिया जिसका नतीजा है कि आज दुनियां में भारत एक नई प्रेरणा के रूप में आगे बढ़ रहा है। सीएम योगी ने कहा कि भीमराव अंबेडकर के पंच तीर्थों की स्थापना पीएम नरेंद्र मोदी ने की। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने हर गरीब और वंचित को आवास दिया। यूपी में 43 लाखघ् गरीबों को अब तक आवास दिए गए है। भारतीय संविधान के निर्माण में बाबा साहेब के योगदान के लिए देशवासी सदैव उनके प्रति कृतज्ञ रहेंगे। उन्होंने आजीवन अनुसूचित जाति वर्ग सहित सभी उपेक्षित वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के सशक्तीकरण के प्रयास हम सभी को प्रेरणा देते रहेंगे। भेदभावरहित एवं समरस समाज का निर्माण ही हम सभी की डा. आम्बेडकर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आम्बेडकर जयंती पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने जो कहा, उस पर ईमानदारी से अमल भी होना चाहिए। सवर्ण जाति के लोग भी उपेक्षितों की तरह जीवन यापन कर रहे हैं जबकि सम्पन्न जीवन जीने वाले भी आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। इसीलिए कुछ लोग कहते हैं कि बीजेपी लोकसभा चुनावों से पहले बीएसपी के दलित वोट बैंक में सेंधमारी करने में जुट गई है। इस बार विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने जिस तरह बीएसपी के वोटों में सेंध लगाई है, उससे बीजेपी का मनोबल बढ़ा है और अब भारतीय जनता पार्टी ने बीएसपी को बड़ा सियासी झटका देने की व्यूह रचना शुरू कर दी है। इसके लिए दिन चुना गया है अंबेडकर जयंती का। बीजेपी ने अंबेडकर जंयती को समरसता दिवस के रूप में मनायी है। इस दिन बीजेपी पूरे प्रदेश में जिले से लेकर मंडल स्तर पर अंबेडकर जयंती मनाकर दलितों के बीच रही।
बाबा साहेब का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। उन्होंने दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों के लिए जीवन भर संघर्ष किया। इसके साथ ही उन्होंने कई ऐसी बातें भी कहीं, जो हर इंसान को समझनी चाहिए। धर्म मनुष्य के लिए है, न कि मनुष्य धर्म के लिए। धर्म कर्तव्य का दूसरा नाम है। हम अपनी जिम्मेदारियां और कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाएं तो हम सच्चे धार्मिक हैं। मुझे वह धर्म पसंद है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है। बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिएहम सबसे पहले और अंत में, भारतीय हैं।
डॉ. आंबेडकर द्वारा हमारे संविधान में सामाजिक न्याय का जो ब्लू प्रिंट बनाया गया वह उस समय की सामाजिक स्थिति और अर्थव्यवस्था पर आधारित था। उस समय भेदभाव की स्थिति यह थी कि जाति के आधार अस्पृश्यता, घृणा और तिरस्कार सामान्य व्यवहार में शामिल थे। उस समय अधिकतर शिक्षा सरकारी क्षेत्र में थी और आर्थिक अवसर सरकारी नौकरियों में। इनमें भागीदारी दिलाने के लिए हमारे संविधान में आरक्षण की व्यवस्था दी गई, जिसका बहुत लाभ भी हुआ। हां, कुछ क्षेत्रीय असमानताएं जरूर दिखीं क्योंकि आरक्षण आधारित अवसरों का लाभ सभी को सामान रूप से नहीं मिल सका। प्रारंभ में सामाजिक न्याय की पात्र केवल अनुसूचित जाति और जनजातियां थीं, क्रमानुसार अन्य पिछड़ी जातियों, महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को भी जोड़ा गया। अब ट्रांस-जेंडर कल्याण के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। आजादी के 75 वर्ष में बहुत कुछ बदला और काफी कुछ हमें मिलकर अब बदलना है। सरकारें विकास की स्कीमें विकसित करेंगी ही लेकिन समाज में एक दूसरे की मानवीय स्वीकार्यता विकसित करने की भी जरूरत है, जिसमें साहित्य, सोशल मीडिया और, मीडिया का भी बड़ा रोल है।
इसके लिए जरूरी है कि हम राजनीतिक स्वार्थ का चश्मा उतारकर आरक्षण जैसी व्यवस्था पर भी नये सिरे से विचार करें। कटु सत्य यह है कि राजनीति जातियों को तोड़ने की जगह उन्हंे ज्यादा मजबूत कर रही है। इसी बार बाबा साहेब की जयंती पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने प्रदेश कार्यालय में संविधान निर्माता डा. भीमराव आंबेडकर की जयन्ती पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद कहा कि देश की राजनीति में हमेशा से यह स्पष्ट रहा है कि खासकर कांग्रेस व भाजपा आदि जातिवादी पार्टियां किसी भी दलित को भले ही सांसद, विधायक, मंत्री, उपमुख्यमंत्री एवं राष्ट्रपति आदि बना दें, लेकिन तब भी वह व्यक्ति अपने उपेक्षित समाज का उद्धार व तरक्की कतई नहीं कर सकता। इसके साथ पार्टी नेता ने अरोप लगाते हुए कहा कि यदि अपवाद स्वरूप वह व्यक्ति इसके लिए कुछ प्रयास भी करता है तो ये पार्टियां उसे अपनी पार्टी व सरकार से निकाल देती हैं। मायावती ने कहा कि ऐसे में दलितों को केवल उनका गुलाम ही बनकर रहना पड़ता है। मायावती ने कहा कि बाबा साहेब के सपनों को साकार करने के लिए निजी स्वार्थों, आपसी खींचतान व मतभेदों को भुलाकर हमें बसपा के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के साथ जुटना ही होगा, वरना अपने साम, दाम, दण्ड, भेद व धनबल आदि हथकण्डों से बाबा साहेब के इस कारवां को पछाड़ने के लिए विरोधी पार्टियां अलग-अलग होते हुए भी एक होकर षडयंत्र करती रहेंगी। बसपा नेता ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में किए गये विकास कार्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने राजधानी लखनऊ में बनाए गये पार्क और स्मारकों का भी उल्लेख किया लेकिन यह नहीं बताया कि क्या प्रदेश के सभी दलितों, अनुसूचित जाति के लोगों का सामाजिक स्तर ऊपर उठा दिया गया है। सच्चाई यह है कि अमीर और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब और गरीब हो रहा है। बाबा साहेब न तो ऐसा समाज चाहते थे और न ऐसी राजनीति। (हिफी)