लेखक की कलम

राष्ट्र और समाज हित में समर्पित संघ

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक विशुद्ध सामाजिक सांस्कृतिक संगठन है। समाज की सेवा में यह कभी पीछे नहीं रहा है। भारत मंे भी कोरोना महामारी ने भरी तबाही मचाई थी। संघ के कार्यकर्ताओं ने प्रभावितों की हर तरह से मदद की। इसी तरह राष्ट्र हित में संघस सतत् जुटा रहता है। अयोध्या में भगवान रामलला के मंदिर से भारत के जन-जन को जोड़ने का काम संघ ने किया है। राम मंदिर निर्माण में
धनराशि एकत्रित करने के लिए संघ के 40 लाख कार्यकर्ता लगे थे। यह अभियान 27 फरवरी तक चला था। इसी के साथ स्वाधीनता के अमृत महोत्सव से भी संघ जनसामान्य को जोड़ रहा है।
कोरोना काल में संघ के साढ़े पांच लाख 60 हजार से अधिक स्वयंसेवक सेवा कार्य में जुटे थे। स्वयंसेवकों ने देशभर में सेवा भारती के माध्यम से 92,656 स्थानों पर सेवा कार्य किए। संघ ने 73 लाख राशन किट वितरित कराया। साढ़े चार करोड़ लोगों को भोजन पैकेट वितरित किया गया। नब्बे लाख मास्क का वितरण किया औ 20 लाख प्रवासी लोगों की सहायता की गई। इसके अलावा ढ़ाई लाख घुमंतू लोगों की सहायता की। स्वयंसेवकों ने 60 हजार यूनिट रक्तदान भी किया। संघ के अलावा समाज के अनेक संगठनों, मठ, मंदिर, गुरुद्वारों ने भी समाज की सेवा की।
कोरोना की दूसरी लहर बहुत भयावह थी। असंख्य परिवारों को जहां असहनीय संकटों का सामना करना पड़ा वहीं बड़े पैमाने पर जनहानि भी हुई। ऐसे समय में जब अंतिम संस्कार करने के लिए कोई नहीं मिलता था ऐसे समय में संघ के स्वयंसेवक ही मिलते थे। जैसे तैसे तीसरी लहर से निजात मिली।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोरोना के संभावित तीसरी लहर का सामना करने हेतु देशव्यापी “कार्यकर्ता प्रशिक्षण” वर्ग का आयोजन किया। संघ ने 10 लाख से अधिक युवा कार्यकर्ताओं को प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद जब कोरोना वैक्सीन आ गयी तब शत -प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा करने में स्वयंसेवकों ने अपना योगदान दिया।
निधि समर्पण अभियान में 40 लाख कार्यकर्ता लगे
इसके बाद राम व राष्ट्र के प्रति समर्पण का स्वर्णिम अवसर राम मंदिर के लिए निधि समर्पण अभियान आया। मंदिर निर्माण के लिए मकर संक्रांति से लेकर 27 फरवरी तक चलाए गए 44 दिनों के निधि समर्पण अभियान में देश के 12 करोड़ से अधिक परिवारों में संघ कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया। निधि समर्पण अभियान में राम मंदिर के लिए मजदूर, किसान, किन्नर तथा वनवासी अंचल से लेकर घुमंतू वर्ग के लोगों ने भी यथायोग्य निधि समर्पण कर प्रभु श्रीराम के प्रति अपनी प्रगाढ़ आस्था व्यक्त की। इस अभियान में 10 लाख टोलियों बनायी गयी थी जिसमें 40 लाख कार्यकर्ता लगे थे। इस अभियान में संघ के कार्यकर्ता राम काज के लिए गांव-गांव गये थे। समाज का इस कार्य में अपार सहयोग व समर्थन मिला। इस अभियान में स्वयंसेवकों का उद्देश्य अधिक से अधिक निधि एकत्र करना नहीं था बल्कि अधिक से अधिक गांवों तथा परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य था. इससे पहले इतना व्यापक जनसंपर्क अभियान कभी नहीं हुआ था। देश के साढ़े पांच लाख गावों तक जाने वाला विश्व इतिहास का सबसे बड़ा संपर्क अभियान सिद्ध हुआ।
अमृत महोत्सव के तहत गांव-गांव हुए कार्यक्रम
इसके बाद स्वाधीनता के अमृत महोत्सव का सुअवसर आया। इसके लिए संघ ने क्षेत्र,प्रान्त,जिला,खण्ड नगर व बस्ती स्तर तक कमेटी गठित की गयी।
स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के उलक्ष्य में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जन्मोत्सव से विजय दिवस तक (19 नवम्बर से 16 दिसम्बर) तक 28 दिवसीए भारत माता पूजन,तिरंगा यात्रा व गोष्ठी जैसे अनेक कार्यक्रम हुए। उत्तर प्रदेश में दो हजार से अधिक सार्वजनिक कार्यक्रम हुए। जिनमें 12 लाख से अधिक लोगों की सहभागिता हुई। गांव-गांव भारत माता पूजन के कार्यक्रम हुए। नगरों में तिरंगा यात्राएं निकाली गयी। स्कूलों में वंदेमातरम का गायन हुआ।
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन की सबसे बड़ी विशेषता थी कि यह केवल राजनैतिक नहीं, अपितु राष्ट्रजीवन के सभी आयामों तथा समाज के सभी वर्गों का साथ रहा। 1947 में हमें राजनीतिक स्वतंत्रता तो मिल गयी लेकिन स्वधर्म, स्वसंस्कृति, स्वभाषा, स्वदेशी और स्वराज जो अपेक्षित था वह पीछे छूट गया। यह सब बताने के लिए गांव गांव कार्यक्रम तय किये गये। (हिफी)

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