औरंगजेब हमारे आदर्श नहीं हो सकते

(मनीषा-हिफी फीचर)
मुगल सम्राट औरंगजेब को महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आजमी ने हमारे आदर्श की संज्ञा दी है। माफ करना आजमी साहेब, औरंगजेब के बारे मंे जितना पढ़ा और सुना है, उसको देखते हुए वे आप जैसे चंद लोगों के आदर्श हो सकते हैं लेकिन हमारे जैसे करोड़ों लोगों के लिए औरंगजेब एक क्रूर शासक था। वह भारत के लिए दुर्भाग्य बनकर आया था। उसको हम आदर्श कतई नहीं मान सकते। आज कितने ही मुसलमान, जिनके पूर्वज पहले हिन्दू थे, वे उस जुल्म को स्वीकार भी करते हैं। पाकिस्तान के क्रिकेटर सकलेन मुश्ताक ने दो दिन पहले ही बताया था कि उनके पूर्वज हिन्दू (मिश्र) थे। अबू आजमी पता नहीं किस इतिहास की बात करते हैं और लोगों को बरगलाना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत 5 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधान परिषद में ठीक ही कहा कि अबू आजमी के बयान का खंडन करना चाहिए। योगी ने तो सख्त लहजे मंे सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से कहा कि उस कम्बख्त को निकाल दीजिए, नहीं तो उत्तर प्रदेश ले आइए, इलाज हम कर देंगे। सीएम योगी ने सपा को याद दिलाया कि पार्टी डाक्टर राममनोहर लोहिया को अपना आदर्श मानती है, उन्हीं डाक्टर लोहिया ने कहा था कि भारत की संस्कृति के भगवान राम-कृष्ण और शंकर आधार हैं। हम उसे आदर्श मानते हैं जिसने सिखाया था कि माता-पिता को सबेरे उठकर प्रणाम करो। औरंगजेब ने तो अपने पिता को जेल मंे बंद कर दिया था, अपने भाई का कत्ल किया था। औरंगजेब आदर्श कैसे हो सकता है?
इन दिनों देश की राजनीति में मुगल शासक औरंगजेब चर्चा में है और समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के इसके महिमामंडन की कोशिश को लेकर विवाद बढ़ गया है। इतिहास के पन्नों में देखें तो विवादास्पद मुगल शासकों में सबसे बड़ा नाम औरंगजेब का है। औरंगजेब ने गैर-मुसलमानों पर जजिया कर जैसी भेदभावपूर्ण नीतियां लागू कीं। औरंगजेब ने सिखों के गुरु तेग बहादुर का सिर कलम करवा दिया था। उसने गुरु गोविंद सिंह के बेटों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया, वहीं संभाजी महाराज की आंखें फोड़ दीं और नाखून उखाड़ लिये। इसके शासन काल में भारत में शरियत के आधार पर फतवा-ए-आलमगीरी लागू किया और बड़ी संख्या में हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया गया। काशी और सोमनाथ मंदिरों को नष्ट करवाया और लाखों हिंदुओं की हत्या करवाई। इसकी क्रूरता के कारण करीब-करीब पूरे भारतीय उपमहादीप में मुगल साम्राज्य अपना सबसे ज्यादा विस्तार कर पाया। औरंगजेब की मृत्यु 1707 ईस्वी में हुई थी। कहा जाता है कि मौत से पहले इसको अपने किये गुनाहों पर पछतावा था और औरंगजेब ने अपने बेटों, आजम शाह और काम बख्श को अपने खेद व्यक्त करने के लिए पत्र लिखे थे। इन पत्रों में उसने अपने पापों और असफलताओं के बारे में जिक्र किया। औरंगजेब ने अपने आखिरी पत्र में जो लिखा वह उसके पछतावे की कहानी कहता है। औरंगजेब ने मरने से पहले अपने बेटों को लिखी एक चिट्ठी में अपने पापों का जिक्र किया था। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि उन्होंने लोगों का भला नहीं किया और उनका जीवन निरर्थक बीत गया। उन्होंने यह भी लिखा था कि उन्हें अपने पापों का परिणाम भुगतना होगा। औरंगजेब के पिता शाहजहां थे। औरंगजेब ने अपने पिता पर भी काफी जुल्म किये थे। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को आगरा के किले में कैद करके रखा और उन्हें पानी के लिए तरसाया था। शाहजहां ने अपनी आत्मकथा ‘शाहजहांनामा’ में औरंगजेब के लिए बहुत कठोर शब्दों का प्रयोग किया था। शाहजहां ने लिखा कि खुदा करे कि ऐसी औलाद किसी के यहां पैदा न हो। शाहजहां ने लिखा है कि औरंगजेब से अच्छे तो हिंदू हैं, जो अपने माता-पिता की सेवा करते हैं और उनकी मृत्यु के बाद तर्पण करते हैं।
औरंगजेब अपने सम्राज्य को अपने पुत्रों में विभाजित कर देना चाहता था। वह उत्तराधिकार खत्म करना चाहता था, लेकिन उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। उनके बेटों के बीच भी सिंहासन के लिए यद्ध हुआ। उसके तीन बेटे मुहम्मद मुअज्जल, मुहम्मद आजम और कामबख्श के मध्य उत्तराधिकार का युद्ध हुआ। युद्ध में उनका बड़ा पुत्र शाहजादा मुअज्जल जीता और उसने अपने भाई मुहम्मद आजम को 18 जून 1707 ईस्वी को जजाऊ में और कामबख्श को हैदराबाद में जनवरी 1709 ईस्वी में मार डाला। ऐसे लोग किसी के आदर्श नहीं हो सकते।
अबू आजमी के बयान पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीखा हमला बोला। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी को अबू आजमी के बयान का खंडन करना चाहिए। उस कम्बख्त को निकाल दीजिये पार्टी से। नहीं तो उत्तर प्रदेश ले आइए इलाज हम कर देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा सपा भारत के विरासत पर गौरव की अनुभूति नहीं करती। कम से कम जिनके नाम पर राजनीति करती है उन्ही की बातों को मान ले। डॉक्टर लोहिया ने कहा था भारत की संस्कृति के भगवान राम कृष्ण व शंकर आधार है। आज समाजवादी पार्टी डॉक्टर लोहिया के सिद्धांतों से दूर चली गई है। आज इन्होंने अपना आदर्श औरंगजेब को मान लिया है। औरंगजेब के पिता शाहजहां ने लिखा था खुदा करे ऐसी औलाद किसी को न दे। आप जाइये शाहजहां की जीवनी पढ़ लीजिये। औरंगजेब भारत की आस्था पर प्रहार करने वाला था,वो भारत का इस्लामीकरण करने आया था, कोई भी सभ्य व्यक्ति अपनी औलाद का नाम औरंगजेब नहीं रखता। समाजवादी पार्टी का नेता है वह औरंगजेब को अपना आदर्श बताता है।
सपा विधायक अबू आजमी को अब मुगल बादशाह औरंगजेब की तारीफ करनी भारी पड़ती दिख रही है। पहले तो उन्हें विधानसभा के बजट सत्र से सस्पेंड कर दिया गया। वहीं अब उनपर गिरफ्तारी की तलवार लटकती दिख रही है। अबू आजमी ने औरंगजेब की तारीफ में बयान दिया था, जिसके बाद विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ‘जो भी छत्रपति संभाजी महाराज का अपमान करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।’ विधान परिषद में जब उद्धव गुट के नेता अंबादास दानवे ने सवाल किया कि ‘अबू आजमी को कब जेल में डालेंगे?’ तो इस पर सीएम फडणवीस ने दो टूक जवाब दिया, ‘100 फीसद जेल में डालेंगे।’ उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘जब जितेंद्र आव्हाड ने छत्रपति शिवाजी महाराज की तुलना औरंगजेब से की थी और उसे विशाल व अच्छे कद-काठी का बताया था, तब किसी ने विरोध नहीं किया। विपक्ष निंदा करने में चयनात्मक नहीं हो सकता।’ फडणवीस ने कहा कि ‘नेहरू की किताब ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में भी छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की गई है। क्या विपक्ष में हिम्मत है कि वे नेहरू की निंदा करें?’ अबू आजमी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि ‘मैंने सिर्फ वही कहा है जो प्रोफेसर और अकादमिक लोग औरंगजेब के बारे में कहते हैं। मैंने कभी राज्य के महापुरुषों के खिलाफ कुछ नहीं कहा।’ हालांकि, विधानसभा में उनके बयान को लेकर नाराजगी बरकरार है और उनके निलंबन के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। अबू आजमी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग बढ़ रही है। महाराष्ट्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले को हल्के में नहीं लिया जाएगा। (हिफी)