लेखक की कलम

अपराध की दुनिया में बच्चे

 

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

बच्चे का पढ़ने में मन नहीं लगता था और मां बाप पढ़ने के लिए डांट-फटकार लगाते थे ऐसे में पढ़ाई से छुटकारा पाने के लिए उसके किशोर दिमाग में अपराध का कीड़ा पनपा कि अगर वो जेल चला जाएगा तो पढ़ाई से बच जाएगा। यदि पुलिस और आरोपी छात्र की बात पर भरोसा किया जाए तो यह छात्र पिछले कुछ समय से कोई अपराध कर लम्बे समय के लिए जेल जाना चाहता था ताकि काफी समय तक स्कूल और पढ़ाई से दूर रह सके।

जरा सोचिए क्या आप कल्पना भी कर सकते हैं कि सोलह साल का एक नाबालिग किशोर छात्र सिर्फ पढ़ाई से छुटकारा पाने के लिए जेल जाने का फितूर दिमाग में पैदा कर ले और जेल जाने के अपने ईरादे को पूरा करने के लिए अपने ही स्कूल के एक अंडरएज छात्र की गला दबा कर हत्या कर दी। जाहिर है कि यह सारी बातें गले से नीचे नहीं उतरती हैं लेकिन गाजियाबाद जिले के मसूरी थाना क्षेत्र में एक छात्र ने 13 साल के आठवीं कक्षा के छात्र की हत्या कर दी।
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से हैरान करने वाली खबर आई, जहां 16 साल के दसवीं क्लास के एक छात्र ने पढ़ाई से बचने के लिए जेल जाने का प्लान बनाया। बताया जाता है कि इस बच्चे का पढ़ने में मन नहीं लगता था और मां बाप पढ़ने के लिए डांट-फटकार लगाते थे ऐसे में पढ़ाई से छुटकारा पाने के लिए उसके किशोर दिमाग में अपराध का कीड़ा पनपा कि अगर वो जेल चला जाएगा तो पढ़ाई से बच जाएगा। यदि पुलिस और आरोपी छात्र की बात पर भरोसा किया जाए तो यह छात्र पिछले कुछ समय से कोई अपराध कर लम्बे समय के लिए जेल जाना चाहता था ताकि काफी समय तक स्कूल और पढ़ाई से दूर रह सके। इसके लिए वो काफी समय से योजना बना रहा था कि ऐसा कौन सा अपराध किया जाए जिससे उसे पढ़ाई न करनी पड़े और वो जेल चला जाए अपने इस इरादे को पूरा करने के लिए उसने जो कदम उठाया उससे एक मासूम निर्दोष छात्र को अकारण अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और एक घर का चिराग इस शैतान हत्यारे ने हमेशा के लिए बुझा दिया।
समाज मंे बच्चों और किशोरों में आ रहे हिंसक बदलाव को इंगित करने वाली यह वारदात गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र की है। यहां के एक गांव में रहने वाले नाबालिग किशोर ने पढ़ाई से बचने के लिए अपने ही पड़ोस में रहने वाले 13 साल के छात्र की गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या करने के बाद उसने कांच की बोतल के टुकड़े से उसका गला काटने की भी कोशिश की। जब उस बच्चे का शरीर पूरी तरह निश्चेष्ट हो गया और उसे यह तय हो गया कि वो अब बालक मर चुका है तो वह खुद पुलिस थाने सरेंडर करने पहुंच गया। आरोपी छात्र ने लाश को वहीं छोड़ दिया और खुद पुलिस थाने पहुंच गया उसने पुलिसवालों से कहा मुझे जेल भेज दो, मैं पढ़ना नहीं चाहता हूं और मैंने अपने दोस्त को मार दिया है। आरोपी लड़के ने जब ये बात मसूरी थाने में पुलिसवालों के सामने जाकर कही तो उन्हें भी एकाएक भरोसा नहीं हुआ सोचा लडका पागल हो गया है या मजाक करना चाहता है लेकिन जब पुलिस ने मौके पर देखा तो वो भी सन्न रह गए लड़के की बताई जगह पर पुलिस को बच्चे की लाश पड़ी मिली।
पता चला है कि कुछ दिनों से ही दोनों में दोस्ती हुई थी दोनों एक दूसरे के साथ हमेशा खेलने जाया करते थे। आज भी आरोपी लड़का उसे घर से बुलाकर अपने साथ खेलने के लिए ले गया था।जिसके बाद उसने कथित तौर पर बात करते-करते उसका गला दबाना शुरू कर दिया। इसके बाद उसके गले पर कांच की बोतल के टुकड़े से भी वार किए।
यह खूनी वारदात बच्चों और किशोरों में क्राइम की ओर बढ़ रहे रूझान कानून व पुलिस का कोई भय नहीं होना तथा हत्या कर समाज में क्रिमिनल बतौर अपनी दबंग छवि बनाने की चाह आदि का मिला जुला एडिशन है। हमारा मानना है कि बेशक आरोपी छात्र दूसरे अंडर एज छात्र की हत्या की कोई भी वजह बता रहा है लेकिन उसका कथन शत प्रतिशत विश्वास योग्य नहीं है। इस हत्या के पीछे आरोपी छात्र की अप्राकृतिक सेक्स के लिए दबाव बनाने और अंडरएज छात्र द्वारा विरोध करने पर मामला खुलने के भय से उसकी हत्या करने और पुलिस को पढाई में मन नहीं लगने की वजह बता कर भ्रमित करने की बात का संदेह भी होता है। इस लिए पुलिस तथा अन्य जांच एजेंसियों को आरोपी की काउंसलिंग की मदद से वारदात की तह तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए सिर्फ उसके बयान पर भरोसा करना तथ्यों को झुठलाना हो सकता है आजकल इंटरनैट पर ऐसी बहुत सारी विकृति परोसी जा रही है जिससे बच्चों व किशोरों में तरह के मनोविकार पैदा हो रहे हैं यह शर्मनाक नृशंस हत्या की खूनी वारदात ऐसे ही माहौल का दुष्परिणाम हो सकती है।
इन दिनों किशोर वय के नाबालिगों द्वारा संगीन से संगीन क्राइम को अंजाम देने के मामले सामने आ रहे हैं। देश के सबसे अधिक चर्चित और शर्मनाक नृशंस हत्या और बलात्कार के मामले निर्भया कांड से लेकर अब तक देश भर में सैकड़ों संगीन वारदातें किशोर वय के अपराधी अंजाम दे रहे हैं। अभी हाल ही में एक किशोर छात्र ने अपने चार नाबालिग दोस्तों के साथ मिलकर अपनी ही दादी मां की हत्या कर दी थी क्योंकि उसने दोस्तों से काफी रूपए उधार ले कर खर्च कर लिये थे और वह एक प्रापर्टी बेच कर दादी को मिले रूपए हड़पने का ईरादा बना चुका था। इतना ही नहीं कई मर्डर और रेप के मामलों में किशोर वय के अपराधियों की संलिप्तता सामने आई है। इसके पीछे एक वजह इस तथ्य का व्यापक प्रचार होना भी है कि किशोरों को बड़ी से बड़ी संगीन वारदात करने के बावजूद जेल के स्थान पर सुधार गृह भेजा जाता है और सजा भी बहुत कम साल की होती है। इस कानूनी प्रावधान के चलते किशोर अपराधी बेखौफ होकर अपराध को अंजाम दे रहे हैं।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों की बात करें तो यह आंख खोलने वाले हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 34 हजार बच्चे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष अपराध के मामले में गिरफ्तार हो रहे हैं। आजकल शातिर अपराधी गिरोह नाबालिग किशोरों को ऐश करा उन्हें गाड़ियों में घुमा कर उन पर थोड़ा पैसा खर्च कर उन्हें अपने जाल में फंसा लेते हैं और फिर टारगेट देकर लूट, वाहन चोरी व हत्या जैसे संगीन अपराध को अंजाम दिलाते हैं। पिछले दिनों दिल्ली में एक गिरोह ने दूसरे गिरोह के शातिर सरगना को नाबालिगों के हाथों शूट करा दिया। यह भी गौर तलब है कि हर साल अपराध के जुर्म में पकड़े जा रहे 34 हजार बच्चों में करीब दो हजार नाबालिग लड़कियां शामिल होती हैं। पिछले दिनों सरकार जुवेनाइल एक्ट में संशोधन कर चुकी है जिसमें 16 साल के किशोर अपराधियों को वयस्क अपराधियों की तरह मानकर कार्रवाई की जा सकती है। जो भी हो नाबालिगों द्वारा की जा रही मौजूदा वारदातें समाज में खास तौर पर किशोरों के कच्चे मन मस्तिष्क में अपराध के वायरस के नए वैरिएंट पनपने का सबूत है। इसके एंटी क्लोनिंग के लिए गहन जांच अन्वेषण व उपचार की जरूरत है। क्या सरकार इस ओर भी गंभीरता से ध्यान देगी? (हिफी)

 

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