लेखक की कलम

गठबंधन को समझती ही नहीं कांग्रेस

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

दुर्दिनों को झेल रही देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी पूर्वाग्रहों को छोड़ना ही नहीं चाहती है। हम बात कांग्रेस की कर रहे हैं। कांग्रेस ने अभी पिछले दिनों राजस्थान के उदयपुर मंे नवसंकल्प चिंतन शिविर लगाया था। इस शिविर मंे कई आदर्श सुनिश्चित करने के साथ गठबंधन की राजनीति करने पर भी सहमति जतायी गयी थी। इसमंे कोई संदेह नहीं कि श्रीमती सोनिया गांधी ने 2004 में यूनाइटेड प्रोग्रेसिव एलायंस (यूपीए) बनाकर कांग्रेस को एक दशक तक दिल्ली की सत्ता भी दिला दी लेकिन न तो सत्ता बची और न गठबंधन। यूपीए का बिखरना ही कांग्रेस के पतन का कारण बना है जबकि भाजपा ने राजग को जिंदा रखा और खुद शिखर पर पहुंची। कांग्रेस ने चिंतन शिविर मंे गठबंधन का महत्व स्वीकार किया लेकिन चार कदम दूर महाराष्ट्र तक यह आवाज नहीं पहुंची। कांग्रेस की समझ मंे नहीं आ रहा कि महाराष्ट्र मंे शिवसेना और एनसीपी के साथ सबसे महत्वपूर्ण गठबंधन हैं। इस गठबंधन में कांग्रेस की सबसे प्रमुख विरोधी भाजपा की पूर्व साथी शिवसेना भी शामिल है। यदि लोहे से लोहा को काटा जाता है तो महाराष्ट्र में कांग्रेस को गठबंधन और ज्यादा मजबूत करना चाहिए लेकिन वहां के कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले कभी शिवसेना से तो कभी एनसीपी से पंगा लेते रहते हैं। इस समय कांग्रेस की एनसीपी से खटपट चल रही है और नाना पटोले ने महागठबंधन छोड़ने तक की चेतावनी दे दी है। कांग्रेस अपने पैरों में खुद कुल्हाड़ी मारे तो कोई क्या कर सकता है।
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार में गठबंधन में शामिल एनसीपी और कांग्रेस के बीच खटपट बढ़ती जा रही है। एनसीपी पर कांग्रेस की जड़ें खोदने के आरोप लगा रहे महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने अब गठबंधन में बने रहने को लेकर अप्रत्यक्ष चेतावनी दी है। नाना पटोले ने पिछले हफ्ते गोंदिया और भंडारा जिला परिषद चुनावों में एनसीपी पर बीजेपी से हाथ मिलाकर कांग्रेस की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया था। अब उन्होंने कहा है कि मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को एनसीपी की हरकतों से अवगत करा दिया है। अब फैसला कांग्रेस हाईकमान लेगा।
नाना पटोले से पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र के महाविकास अघाड़ी गठबंधन को कोई खतरा है? इस सवाल पर उनका कहना था, “कुछ भी हो सकता है। ये फैसला कांग्रेस हाईकमान को लेना है।” नाना पटोले ने आरोप लगाया कि एनसीपी महाराष्ट्र से कांग्रेस को खत्म करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पिछले दो साल में एनसीपी ने कांग्रेस के कई प्रमुख कार्यकर्ताओं को अपने पाले में खींच लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एनसीपी ने भिवंडी में पार्टी के 17 पार्षदों को तोड़कर अपने साथ मिलाया। उसके बाद अमरावती में हमारी पीठ में खंजर घोंपा। पटोले ने आरोप लगाते हुए कहा कि गोंदिया जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में जीतने के लिए एनसीपी ने प्रतिद्वंद्वी बीजेपी से हाथ मिला लिया। भंडारा में भी यही सब हुआ। गोंदिया और भंडारा को लेकर मैंने खुद एनसीपी के नेता जयंत पाटिल और प्रफुल्ल पटेल से बात की, लेकिन उन्होंने कोई सहयोग नहीं किया। पटोले ने कहा कि 2019 में बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस ने एनसीपी और शिवसेना के साथ गठबंधन किया था। उस समय भी हमने मुख्यमंत्री पद पर दावा नहीं किया। गठबंधन चलाने के लिए तब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाया गया था। लेकिन एनसीपी दोस्ती की आड़ में कांग्रेस के साथ दगाबाजी कर रही है। ये हमें मंजूर नहीं है। नाना पटोले पिछले कुछ समय से लगातार एनसीपी पर पीठ में खंजर घोंपने का आरोप लगा रहे हैं। कुछ समय पहले महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने पलटवार करते हुए कहा था कि पटोले को कुछ भी बोलने से पहले अपना अतीत देख लेना चाहिए। पहले वह कांग्रेस में थे, फिर बीजेपी में गए, उसके बाद फिर से कांग्रेस में आ गए। पटोले ने भी तो बीजेपी की पीठ में छुरा घोंपा है। अजित पवार के इस बयान पर प्रतिक्रिया में पटोले ने कहा कि यह पूरे महाराष्ट्र और देश को पता है कि मैंने बीजेपी का साथ क्यों छोड़ा था। यह कोई छिपी हुई बात नहीं है।
ध्यान रहे कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार को कुछ दिन पहले यहां सोशल मीडिया पर ‘मौत की धमकी’ मिली थी, जिसे लेकर महा विकास अघाड़ी सरकार में हड़कंप मच गया है। एनसीपी सुप्रीमो का जिक्र करते हुए मराठी में 11 मई की धमकी में कहा गया, “बारामती के ‘गांधी’ और बारामती के लिए नाथूराम गोडसे तैयार करने का समय आ गया है।” ट्वीट निखिल भामरे द्वारा पोस्ट किया गया था, जिसमें यह भी लिखा था, “बारामती अंकल, क्षमा करें।”
राकांपा के आवास मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए इस बात पर खेद व्यक्त किया कि और पुलिस को धमकी देने वाले विक्षिप्त व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक और मुंबई, ठाणे और पुणे के पुलिस आयुक्तों का भी ध्यान आकर्षित किया। शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कायंडे ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह अनुमान लगाने की कोई जरूरत नहीं है कि पवार को मारने की धमकियों के पीछे कौन सी टीम है क्योंकि ‘हर कोई जानता है कि गोडसे की पूजा कौन करता है’ और गृह मंत्री दिलीप वालसे-पाटिल से गंभीरता से ध्यान देने का आग्रह किया। ऐसे हालात मंे कांग्रेस का राकांपा पर आरोप कांग्रेस के विरोध में होगा। हालांकि कांग्रेस के राज्य महासचिव सचिन सावंत ने कहा कि लोगों के लिए यह सोचने का समय है कि भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार के समाज को हिंसक और विकृत बनाने के प्रयासों ने देश को कहां धकेला है। सत्तारूढ़ शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के कई अन्य राजनीतिक नेताओं ने भी 81 वर्षीय पवार को दी गई धमकियों पर सोशल मीडिया नेटवर्क पर निंदा की है।
महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है। सरकार बने अब छह महीने ही बीते थे तभी राहुल गांधी ने कहा कि सरकार के फैसलों में कांग्रेस की भूमिका नहीं है। इसके बाद बालासाहेब थोराट ने भी वही बात दोहराई। उस समय गठबंधन की तीन सहयोगियों में से एक कांग्रेस निर्णय लेने की प्रक्रिया और अहम बैठकों में खुद को शामिल कराने का प्रयास कर रही थी। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि प्रदेश कांग्रेस के नेता इस मुद्दे के साथ ही कुछ अन्य मामलों पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इससे ऐसी भावना पैदा हो रही है कि प्रदेश कांग्रेस को अलग-थलग कर दिया गया है। कांग्रेस के एक मंत्री ने कहा, कुछ मुद्दों को लेकर पार्टी के अंदर नाराजगी है, जिस पर हम मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करना चाहते हैं और उन्हें सुलझाना चाहते हैं। कांग्रेस की यह शिकायत अब तक जारी है और यही कमजोरी महागठबंधन के टूटने का कारण भी बन सकती है। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button