
(मनीषा स्वामी कपूर-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
उत्तराखण्ड को नयी पहचान देने का प्रयास करने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चारधाम यात्रा का फल निश्चित रूप से मिलेगा। धामी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री का दायित्व संभालते हुए अपने सहयोगियों को याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश को लेकर जो लक्ष्य सौंपे हैं, उनको पूर्ण करना होगा। मोदी ने कहा था आने वाला दशक उत्तराखण्ड का होगा। उत्तराखण्ड के पर्यटक के मानचित्र पर अपनी खास जगह बनायी है। धामी के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कोरोना महामारी के दौरान पटरी से उतरी पर्यटन की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने में सफलता प्राप्त कर ली है। सतपाल महाराज ने धार्मिक और प्राकृतिक दृश्यावलोकन के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने और संसाधन व सुविधाएं बढ़ाने का विशेष प्रयास किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी इसी बीच विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं और उनको इरादा है कि वे उस सीट पर चुनाव लड़ें, जिस पर कांग्रेस का प्रत्याशी विजय हासिल कर चुका हो। यह तभी संभव है जब कांग्रेस का विधायक भाजपा मंे शामिल होकर सीट खाली करे। लगता है कि धामी को चारधाम यात्रा का फल मिलेगा क्योंकि कांग्रेस के बुछ विधायक भाजपा के संपकट में हैं।
पुष्कर सिंह धामी वे उत्तराखंड के पांचवें ऐसे सीएम बन गए जो विधायक नहीं हैं। उनसे पहले नारायण दत्त तिवारी जब उत्तराखंड के सीएम बने थे तब वे विधायक नहीं थे, फिर भुवन चंद्र खंडूरी, विजय बहुगुणा और फिर हरीश रावत भी सीएम बने और सभी लोग बाय इलेक्शन के जरिये विधानसभा पहुंचे। धामी को अब छह महीने के भीतर चुनाव जीतकर आना है। सवाल ये है कि अब धामी किस सीट से चुनाव लडेंगे। क्या सीएम उन्हीं सीटों में से किसी एक का चुनाव करेंगे, जहां उनकी पार्टी के विधायक उनके लिए सीट छोड़ने का ऑफर कर चुके हैं या फिर कांग्रेस का कोई विधायक उनके लिए सीट छोड़ेगा? बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व दायित्व धारी वीरेंद्र बिष्ट का कहना है कि ये पार्टी नेतृत्व और सीएम को डिसाइड करना है कि वे चुनाव कहां से लडेंगे। चर्चा ये भी है कि पार्टी अपने किसी विधायक से सीट खाली कराने के बजाए कांग्रेस में सेंधमारी करने के पक्ष में है। सियासी तौर पर बीजेपी के लिए इसे ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के एक विधायक से बीजेपी संपर्क भी साध चुकी है। पार्टी हाईकमान, सीएम और संगठन की सहमति बनी तो पार्टी इस एंगल पर भी विचार कर सकती है। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि कुछ भी हो सकता है। सभी विकल्प खुले हैं।
उत्तराखंड में दो मौकों पर विपक्षी पार्टी के विधायक मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट छोड़ चुके हैं। वर्ष 2007 में तत्कालीन सीएम बीसी खंडूरी के लिए कांग्रेस विधायक टीपीएस रावत तो 2012 में सीएम विजय बहुगुणा के लिए बीजेपी विधायक किरण मंडल ने सीट छोड़ी थी। इस बार भी ज्यादा संभावना ये है कि बीजेपी इतिहास को एक बार फिर दोहरा सकती है। दरअसल, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने हाल में चंपावत का दौरा किया तो चर्चा चली कि कहीं सीएम उप चुनाव की तैयारी में तो नहीं। चंपावत की कांग्रेस विधायक वाली लोहाघाट सीट बीजेपी के रडार पर है।
फिलहाल, सीएम धामी का सबसे ज्यादा ध्यान चारधाम यात्रा पर है। चारधाम यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (यूटीडीबी) की ओर से आयोजित पर्यटन और आतिथ्य सम्मेलन-2022 के शुभारंभ पर कहा कि इस बार चारधाम यात्रा में रिकॉर्डतोड़ यात्रियों के आने की उम्मीद है। इसके साथ धामी और राज्य के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने संयुक्त रूप से पर्यटन विभाग के टेलीविजन विज्ञापन फिल्म ‘अपनाते हैं दिल खोल के’ की लॉन्चिंग की। जबकि साहसिक खेल, होमस्टे और वेलनेस पर्यटन के विषयों पर आधारित इस टेलीविजन फिल्म की लॉन्चिंग के मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड को अपार प्राकृतिक संपदा से नवाजा गया है और यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
ध्यान रहे इसके साथ धामी ने कहा कि कोविड-19 के चलते निश्चित रूप से राज्य में पर्यटन गतिविधियां खासी प्रभावित हुई हैं, लेकिन कोरोना से सामान्य होती स्थिति के साथ राज्य सरकार ने पर्यटन गतिविधियों को पुनर्जीवित करने के लिए सभी उपाय किए हैं। इस बार रिकॉर्डतोड़ तीर्थयात्री चारधाम यात्रा के लिए आने की उम्मीद है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर साल प्रदेश में करीब साढ़े तीन करोड़ पर्यटक आते हैं और हमारा लक्ष्य इस आंकड़े को पांच साल में दोगुना करने का है।
पर्यटन उद्योग उत्तराखंड की आर्थिक की रीढ़ हैय प्रदेश की बड़ी संख्या पर्यटन पर निर्भर है। इससे साल भर पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों की आजीविका चलती है। सीएम धामी कहते हैं कि प्रधानमंत्री पहले ही बोल चुके हैं कि आने वाला दशक उत्तराखंड का होगा, इसके लिए हर उत्तराखंडी को अपना सहयोग देना होगां पिछले एक दशक में उत्तराखंड ने विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अपनी विशिष्ट जगह बनाई है। इसको ध्यान में रखते हुए केदारनाथ धाम की तर्ज पर बद्रीनाथ धाम के विकास के लिए भी कार्य योजना तैयार की है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के अनुसार कोरोना महामारी की चुनौतियों से पार पाकर राज्य में पर्यटन तेजी से पटरी पर आ रहा है। दरअसल राज्य के पर्यटन स्थलों में एक बार फिर बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं जो राज्य में कोविड के बाद के परिदृश्य में पर्यटन के पुनरुद्धार को दर्शाता है। सतपाल महाराज ने कहा कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से विष्णु सर्किट, शैव सर्किट, विवेकानंद सर्किट, नरसिंह सर्किट, नवग्रह सर्किट, गोलजू सर्किट, महासू देवता सर्किट, गुरुद्वारा सर्किट, हनुमान सर्किट का तेजी से प्रचार-प्रसार करने के साथ ही अन्य सर्किटों का विकास करना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के लिए प्रसिद्ध उत्तराखंड अब साहसिक पर्यटन के शौकीन विदेशी पर्यटकों के लिए भी पसंदीदा स्थल बन गया है। विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 3 मई को, केदारनाथ धाम के कपाट 6 मई, और बद्रीनाथ धाम के कपाट 8 मई को खोले जाएंगे। हेमकुंड साहिब के कपाट आगामी 22 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।
पुष्कर धामी कर्मठ नेता हैं। उनका जन्म 16 सितंबर 1975 में खटीमा में हुआ था। उनका पैतृक गांव हरखोला (कनालीछिना ब्लॉक), पिथौरागढ़ जिला, उत्तराखंड है। उनके परिवार से उनके पिता शेर सिंह धामी (पूर्व सैनिक) सेना में थे और सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।उनकी माता का नाम बिशना देवी है जो गृहणी है, उनके परिवार में उनकी पत्नी गीता धामी और उनके दो पुत्र दिवाकर और प्रभाकर है। उन्होंने राजनीति की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में की। इस सफर को वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनाने तक लेकर आये है। पुष्कर सिंह धामी का उद्देश्य उत्तराखंड को सभी कार्यो में नंबर 1 बनाना है और उत्तराखंड की सभी जनता को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाना है। (हिफी)