लेखक की कलम

पूरा पाक, आधा चीन मिसाइल की जद में

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ब्रेकिंग सेरेमनी का उद्घाटन करते हुए भारत की आर्थिक मजबूती के साथ सैन्य शक्ति का भी उल्लेख किया था। हमारे देश ने गत 6 जून को अग्नि-4 मिसाइल का सफल परीक्षण किया। भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपनी इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एपीजे अब्दुल कलाम आईलैण्ड पर परीक्षण कर सौ फीसद खरा पाया। यह मिसाइल की रेंज चार हजार किमी. है। इसका मतलब यह हुआ कि समूचा पाकिस्तान और आधा चीन हमारी अग्नि-4 मिसाइल की जद में आ जाएगा। यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने मंे सक्षम है। मिली जानकारी के अनुसार अग्नि-4 मिसाइल ने सभी मानकों को पूरी करते हुए लक्ष्य पर प्रहार किया। इस दौरान मिसाइल हमला करने की तकनीक, नेबिगेशन आदि मानकों की जांच की गयी। स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि वह एक रूटीन ट्रेनिंग लांच थी। भारत इस प्रकार के परीक्षण से यह बताना चाहता है कि वह अपनी न्यूनतम और विश्वसनीय प्रतिरोध क्षमता को बनाए रखेगा। इस परीक्षण का समय और परिस्थिति महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दरअसल यह टेस्ट ऐसे समय में किया गया है जब भारत का चीन के साथ पूर्वी लद्दाख मंे सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। संभवतः यही कारण है कि भारत बीते दो वर्षों मंे अपनी हवा से हवा में मार करने की ताकत बढ़ाता जा रहा है। पिछले महीने (मई-2022) ही सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल के एक्सटेंडेड रेंज वर्जन का परीक्षण किया गया था। यह सफल रहा। इसी क्रम मंे 27 अप्रैल को अंडमान एवं निकोबार कमांड और भारतीय नौसेना ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एंटी शिप वर्जन का सफल परीक्षण किया था।
अग्नि मिसाइलों के साथ ही भारतीय वायुसेना के विमान भी दुश्मन का कलेजा थर्रा देते हैं। याद करिए 26 फरवरी 2019 का दिन जिसे पाकिस्तान कभी भुला नहीं पाएगा। इसी दिन भारतीय वायुसेना के 12 मिराज 2000 फाइटर जेट्स ने पाकिस्तान के बालाकोट मंे घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण कैम्प को ध्वस्त कर दिया था। इन सभी फाइटर जेट्स मंे इजराइली स्पाइस 2000 बम लगे थे। यह विमान भारतीय वायुसेना के मुख्य युद्धक विमानों में से एक है। इससे भी बढ़कर अब फ्रांस से मिले राफेल विमान हैं। बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने के बाद सन् 2020 मंे चीन के साथ सीमा विवाद के दौरान भी मिराज-2000 फाइटर जेट्स को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास तैनात किया गया था। कई लोगों को आश्चर्य होगा कि आज से 50 साल पहले अर्थात् सन् 1980 में मिराज को भारतीय वायुसेना मंे शामिल किया गया था लेकिन हमने इन विमानों को अत्याधुनिक बना लिया है। मिराज के 24 फाइटर जेट मंे से 13 पूरी तरह आधुनिक सुविधाओं और तकनीकी से लैस है। हमने 11 फाइटर जेट्स को फ्यूल टैंक्स और सीट इंजेक्शन टेक्नालाॅजी में आधुनिक रूप दिया है।
ध्यान देने की बात है कि मिराज-2000 फाइटर जेट को उड़ाने के लिए सिर्फ एक पायलट की जरूरत होती है। यह फाइटर जेट एक बार मंे 1550 मिलोमीटर रेंज तक उड़ान भर सकता है। अगर बीच मंे (हवा मंे) ईंधन डलवाने की सुविधा मिल जाए तो मिराज 3335 किमी. तक दूरी तय कर सकता है। मिराज दुनिया के सबसे घातक फाइटर जेट्स मंे से एक है क्योंकि इसमंे काफी ज्यादा संख्या मंे हथियार लगाए जा सकते हैं। इसमें 30 मिलीमीटर की दो रिवाल्वर कैनल लगती हैं जो प्रति मिनट 125 राउंड फायर कर सकती है। अब राफेल भी हमारे आकाश की पहरेदारी कर रहा है। इससे दुश्मन देशों की मजाल नहीं कि वे भारत की आकाशीय क्षमता को चुनौती दे सकें।
इसी साल 23 फरवरी को फ्रांस में बने अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल एयरक्राफ्ट की नई खेप लगभग 8 हजार किमी. की दूरी तय कर भारत पहुंची थी। फ्रांस से तीन राफेल लड़ाकू विमान भारत मंे पहुंचे तो हमारी वायुसेना मंे इनकी संख्या 35 हो गयी। भारत ने फ्रांस से सितम्बर 2016 मंे 36 लड़ाकू राफेल विमान लेने का अनुबंध किया था। इस फ्रांसीसी फाइटर की भारत उपमहाद्वीप मंे सबसे लम्बी दूरी तक हवा से हवा मंे मार करने वाली उल्का मिसाइल, हवा से जमीन पर मार करने वाली हैमर मिसाइल लगी है। हैमर मिसाइल को 70 किमी. अधिक ऊँचाई वाले लक्ष्य को साधने के लिए मात्र 500 फीट की ऊँचाई पर छोड़ा जा सकता है। भारत के पूर्वी क्षेत्र मंे विशेष रूप से विस्तारवादी चीन को इससे भय रहेगा। तमाम तरह के आधुनिक हथियारों से लैस राफेल लड़ाकू विमान मंे एडवांस टेक्नालाॅजी का इस्तेमाल किया गया है। राफेल फाइटर जेट एक विमान से दूसरे विमान को ईंधन देने मंे भी सक्षम है। राफेल विमान करीब 22226 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार और 50 हजार फीट की ऊँचाई तक उड़ सकता है। यह विमान भी एक बार मंे 3700 किमी. तक जा सकता है। इस रेंज को मिड एयर रिफिलिंग के साथ बढ़ाया जा सकता है। राफेल एक बार मंे कई तरह की मिसाइलें ले जा सकता है। हवा से हवा मंे मार करने वाले उल्का मिसाइल से 100 किमी. दूरी तक फायर किया जा
सकता है। इस प्रकार दुश्मन के विमान भारतीय विमानों के करीब ही नहीं पहुंच पाएंगे।
अग्नि श्रेणी की मिसाइलें भी दुश्मनों मंे भय पैदा करती है। हमने अग्नि-5 श्रेणी तक मिसाइलें बना ली हैं। यह क्रम आगे बढ़ता रहेगा। अग्नि पंचम (अग्नि-5) भारत की अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 17 मीटर लंबी और दो मीटर चैड़ी अग्नि-5 मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 5 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है। इसे हैदराबाद की प्रगत (उन्नत) प्रणाली प्रयोगशाला ने तैयार किया है। इस मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत है डप्त्ट तकनीक यानी एकाधिक स्वतंत्र रूप से लक्षित करने योग्य पुनः प्रवेश वाहन इस तकनीक की मदद से इस मिसाइल से एक साथ कई जगहों पर वार किया जा सकता है, एक साथ कई जगहों पर गोले दागे जा सकते हैं, यहां तक कि अलग-अलग देशों के ठिकानों पर एक साथ हमले किए जा सकते हैं। अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे रेल सड़क हो या हवा, कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं। यही नहीं अग्नि पांच के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस की वजह से इस मिसाइल को कहीं भी बड़ी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है, जिससे हम अपने दुश्मन के करीब पहुंच सकते हैं। अग्नि-5 मिसाइल की कामयाबी से भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि न सिर्फ इसकी मारक क्षमता 5 हजार किलोमीटर है, बल्कि ये परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है। अग्नि-5 भारत की पहली अंतर महाद्वीपीय यानी इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल है। अग्नि-5 के बाद भारत की गिनती उन 5 देशों में
हो गई है जिनके पास है इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। भारत से पहले अमेरिका, रूस,
फ्रांस और चीन ने इंटर-कॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइल की ताकत हासिल की है। (हिफी)

 

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