साल 2025 में देश को उम्मीदें

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
साल 2025 का पहला सूरज भले ही कुहासे में छिपा था लेकिन उसकी उपस्थिति तो थी। इसी तरह इस साल के अंदर उम्मीदों और आकांक्षाओं का एक सूरज भी छिपा हुआ है। इसलिए साल की हर सुबह आम आदमी के लिए नई उम्मीदें और सपने लेकर आएंगी। तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति के बीच, लोग अपने जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और प्रगति की कामना करते हैं। सुख शांति और संतुष्टि का जीवन जीना चाहते हैं। व्यक्तिगत से लेकर रास्ट्रीय स्तर तक आकांक्षाएं हैं। इस नए साल में कदम रखते समय लोगों की क्या उम्मीदें होंगी इसकी कल्पना हमने अस्पतालों रेलवे और बस स्टेशनों को देखने के साथ अखबार की कुछ खबरों से की है। यह आकलन सही हो ऐसा जरूरी नहीं है लेकिन मैंने उन लोगों की जगह स्वयं को खडा करके महसूस करने का प्रयास किया है। ऐसा करते समय कभी मैं सरकारी अस्पताल में पर्चा बनवाने और डाक्टर को दिखाने के लिए लाइन में खड़ा महसूस करता हूं तो कभी ट्रेन के जनरल डिब्बे में चढ़ने के लिए धक्का खाता हुआ पाता हूं। उम्मीद करता हूं कि साल 2025 में आम जनता को इन परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। ईश्वर करे कि कोई बीमार ही न पड़े और बीमार हो तो सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए धक्का खाना पड़े। ट्रेन में जनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाई जाए ताकि सामान्य टिकट वाले यात्री भी फास्ट ट्रेन में सफर कर सकें।सुरक्षा सर्वोपरि है, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा, साइबर अपराधों में कमी और न्याय प्रक्रियाओं में तेजी लाने पर ध्यान दिया जाना है। व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में सुरक्षित महसूस करना चाहते हैं, जिससे उन्हें और उनके परिवार को मानसिक शांति मिले। इस 2025 में इस दिशा में अगर सुधार दिखाई दे तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। एक दूसरे से हैप्पी न्यू ईयर कहना सार्थक हो जाएगा।
31 दिसंबर 2024 की आधी रात को वर्ष 2025 का स्वागत करते हुए हम सब यही सोचकर राहत और सुकून महसूस कर रहे थे कि आगे की राह चुनौतियों से खाली भले न हो, पर उम्मीदों की मंजिल तक जरूर पहुंचाएंगी। जहां तक देश के आर्थिक विकास की रफ्तार का सवाल है तो यह सही है कि हाल में इसमें थोड़ी कमी आई है। साल 2024-25 की दूसरी तिमाही में यह 5.4 फीसदी पर आ गई जो पिछली सात तिमाहियों का सबसे निचला स्तर है लेकिन गौर करने की बात है कि पिछला चुनावी साल था। लिहाजा सरकारी खर्च में कमी एक बड़ा फैक्टर रहा। जानकार मानते हैं कि तीसरी और चौथी तिमाहियों में यह रफ्तार तेज होगी। वैसे भी रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2024-25 में देश की सालाना बढ़ोतरी दर 6.6 फीसदी रहेगी, जो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। खास बात यह कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ ) के मुताबिक 2025 में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकॉनमी बन सकता है। विकास के बावजूद कई मोर्चों पर देश में चुनौतियां भी हैं। जॉबलेस ग्रोथ का आरोप भले पूरी तरह सच न हो, लेकिन युवाओं के लिए अच्छी नौकरी ढूंढना एक गंभीर समस्या है। आयुष्मान भारत स्कीम अच्छी योजना है, लेकिन उसके दुरुपयोग की खबरें भी आती रहती हैं। वहीं, इंश्योरेंस रेग्युलेटर आईआरडीएआई की हाल में आई रिपोर्ट बताती है कि साल 2023-24 के दौरान हेल्थ इंश्योरेंस के 71.3 फीसदी दावे ही सेटल किए गए। जाहिर है नियामक को इसे गंभीरता से लेना होगा। पिछले साल राजनीतिक स्थिरता कायम रही। भले ही 2024 में हुए लोकसभा चुनावों के नतीजे आने के बाद राजनीतिक अस्थिरता थी, साल के अंत तक वह खत्म हो गई। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के नतीजों ने जाहिर कर दिया कि भाजपा का दबदबा बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता भी बनी हुई है और इ वह पीएम के तौर पर अपना तीसरा कार्यकाल भी पूरा करेंगे, ऐसे आसार दिख रहे हैं।
बीते साल रोजगार और स्वास्थ्य की चुनौतियां भी रही हैं । जॉबलेस ग्रोथ का आरोप भले पूरी तरह सच न हो, लेकिन युवाओं के लिए अच्छी नौकरी ढूंढना एक गंभीर समस्या है। अस्पतालों मंे मरीजों की लाइन अभी कम नहीं हुई है।
बदलते परिवेश में भारत विशेष रूप से इलेक्ट्रानिक्स, आटोमोबाइल और दवा के क्षेत्र में एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर सकता है। उद्योगीकरण और स्थिरता के बीच संतुलन बनाने की हमारी क्षमता ही आर्थिक मामलों में हमारी प्रगति को निश्चित करेगी। देश का लक्ष्य अक्षय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनना है, क्योंकि यह ग्रीन टेक्नोलाजी और टिकाऊ व्यवस्थाओं के अनुकूल है। भारत एआई और डाटा साइंस से लेकर अंतरिक्ष अन्वेषण तक कई तकनीकी क्रांतियों में अग्रणी रहने की स्थिति में है। भारत का तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से बढ़ रहा है और 2025 में देश एआई, मशीन लर्निंग और आटोमेशन तकनीक का प्रमुख केंद्र बन सकता है। इससे कृषि और स्वास्थ्य सेवा से लेकर शहरी नियोजन और शिक्षा आदि को लाभ पहुंचेगा। हमारा इसरो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा पा रहा है। चंद्रयान, गगनयान (मानव मिशन) और संभावित चंद्र और मंगल मिशन आने वाले दिनों में भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अग्रणी बना सकते हैं।
अच्छी बात है कि भारत ने अपनी शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिससे यह अधिक समावेशी और सुलभ बन सके। नए वर्ष में कक्षाओं में तकनीक का अधिक एकीकरण कर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के साथ छात्रों में कौशल विकास किया जा सकता है। उच्च शिक्षा और अनुसंधान पर जोर देकर विश्वस्तरीय संस्थानों का निर्माण किया जा सकता है। इसी तरह टेलीमेडिसिन, निदान और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार से भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की सुलभता और कुशलता प्रभावी हो सकती है।
देश जल की कमी की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस साल इससे पार पाने के लिए हमें जल संरक्षण, रिसाइकिलिंग और प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना होगा। कुशल सिंचाई और जल वितरण के लिए तकनीक और बेहतर नीतियों से भी इन चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिल सकती है। लोगों को ऐसी पहल की उम्मीद है, जो स्टार्टअप, छोटे व्यवसायों का समर्थन करें और डिजिटल इंडिया मिशन को आगे बढ़ाएं।क्वालिटी एजुकेशन और हेल्थ सर्विस लोगों के लिए महत्वपूर्ण अपेक्षाएं हैं। आम आदमी सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में आधुनिक सुविधाएं चाहता है। सस्ती दवाइयां और बेहतर शिक्षक भी प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर हैं। सभी के विकास के लिए ये सुधार सबसे अहम है। महंगाई को कंट्रोल करना भी सबसे अहम है। लोग भोजन, पेट्रोल और डीजल जैसी आवश्यक वस्तुओं के लिए स्थिर कीमत चाहते हैं। वे ऐसी सरकारी नीतियों की उम्मीद करते हैं, जो परिवारों पर वित्तीय दबाव डाले बिना महंगाई को नियंत्रित कर सकें। चार सौ रुपये किलो लहसुन खरीदकर किचन का बजट बिगड़ रहा है। अपराधियों में कानून का भय पैदा करना भी जरूरी है। वर्ष 2025 में इस दिशा में ठोस प्रयास होंगे, ऐसी उम्मीद है। (हिफी)