लेखक की कलम

भारत से मधुर सम्बन्ध नेपाल के हित में

(बृजमोहन पन्त-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की हाल की भारत यात्रा से भारत व नेपाल के बीच सम्बन्ध और मजबूत होंगे। नेपाल कालापानी, लिपियाधुरा और लिपुलेख को अपना संप्रभु क्षेत्र मानता है। नेपाल के प्रधानमंत्री दौर से इस सम्बन्ध में फैली भ्रांतिया दूर होगी। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के कार्यकाल में भारत व नेपाल के संबंधों के बीच संदेह के बादल मंडराने लगे थे। यह शायद चीन की कूटनीति थी जिस कारण नेपाल को चीन ने अपने प्रभाव में ले रखा था। चीन ने नेपाल के कुछ क्षेत्रों को अपना बताकर उन पर कब्जा कर लिया है।
आखिरकार तेवर दिखाने वाले नेपाल को एक बार फिर अपने नागरिकों के माइग्रेशन के लिए भारत से मदद मांगनी पड़ी है। बॉर्डर तहसील धारचूला के सटे नेपाल के दो गांव तिंकर और छांगरू के लिए रास्ता भारत से होकर ही है। ऐसे में गर्मियों में होने वाले माइग्रेशन के लिए नेपाल ने अपने नागरिकों को भारत से रास्ता देने की गुहार लगाई है। यह इसलिए भी अहम बात है क्योंकि कुछ ही समय पहले लिपुलेख और कालापानी की सीमा को लेकर उठे विवाद के बीच नेपाल ने भारत को अकड़ दिखाते हुए इस रास्ते का विकल्प तैयार करने का दावा किया था।
नेपाल के छांगरू और तिंकर उच्च हिमालयी इलाकों में मौजूद गांव हैं। इन गांवों में रहने वाले जाड़ों के सीजन में निचले इलाकों को आते हैं जबकि गर्मियां शुरू होने के साथ ही ये ग्रामीण अपने मूल स्थान को माइग्रेट होते हैं। नेपाल की दिक्कत ये है कि अपने राष्ट्र के भीतर से इन गांवों तक पहुंचने के लिए उसके पास रास्ता नहीं है। ऐसे में नेपाली नागरिकों को भारत के रास्ते अपने गांव पहुंचना होता है। तिंकर गांव 16,633 फीट की ऊंचाई पर बसा है, जबकि छांगरू 9,520 फीट की ऊंचाई पर है।
नेपाल के शासकों को चीनी कूटनीतिक दुष्चक्र को समझने का प्रयास करना होगा। भारत व नेपाल के बीच मधुर सम्बन्ध सदियांे पुराने हैं। इन सम्बन्धों में दरार नहीं आनी चाहिए। चीन के नेपाल में राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, आर्थिक सम्बन्धों में एकरूपता है। भारत व नेपाल संधि जो कि सन् 1950 में हुयी थी दोनों देशों के बीच संबंधों को परिभाषित करती है। इस संधि के चलते भारत व नेपाल के बीच संबंधों में मजबूती आयी है। दोनों देशों के बीच व्यापार में वृद्धि हुई। दोनों देशों के बीच फ्री टेªड की परम्परा चली आ रही है। इससे दोनों देशों को लाभ हुआ है।रक्षा व विदेशी मामलों में दोनों देशों के बीच सहयोग में वृद्धि हुई है। दोनों देशों की सीमाओं पर कोई व्यापारिक प्रतिबंध नहीं हैं। फ्रीटेड होता है। भारत, नेपाल को जरूरी चीजों की निर्बाध आपूर्ति करता है।
भारत व नेपाल के बीच सीमा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस कारण नेपाल के साथ भारत के मधुर व सौहार्दपूर्ण संबंध आवश्यक है। दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक की एक बड़ी सीमा रेखा है। जिसने भारत के सिक्किम, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड जुड़े हुए हैं। इसलिए चीन नेपाल में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता है। भारत व नेपाल के नागरिकों के बीच रोटी व बेटी का रिश्ता है। नेपाल के लोग विवाह व अन्य पारम्परिक संबंधों के मामलों में एक दूसरे से घनिष्ठता से जुड़े हुये हैं। नेपाली बड़ी संख्या में भारत में रहकर या तो नौकरी कर रहे हैं या व्यापार कर रहे हैं। नेपालियों की एक बड़ी श्रम शक्ति भारत में है। पर्वतीय क्षेत्रों में नेपाली श्रमिक नागरिकों व व्यापारियों की जरूरत हैं। वे पर्वतीय इलाकों के ऊँचे व निचले स्थानों में माल असवाब ले जाते हैं जहां किसी भी वाहन से सामान ले जाना संभव नहीं है। पर्वतीय शहरों व कस्बों में नेपाली श्रमिक (मेट) बहुत बड़ा योगदान कर रहे हैं। यहां की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर रहे हैं।
भारत व नेपाल के बीच ‘‘सूर्य किरण’’ नाम से संयुक्त सैन्य अभ्यास चलता है। नेपाली युवाओं की गोरखा रेजीमेंट में भर्ती की जाती है उन्हें टेªनिंग देकर प्रशिक्षित किया जाता है। भारत ने नेपाल को भूकम्प व प्राकृतिक आपदाओं के समय आर्थिक मदद दी है। उसे जरूरतमंद वस्तुओं की आपूर्ति की है। भारत द्वारा नेपाल को तकनीकी व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहायता प्रदान की है। अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग की विकल्प खुले हैं। नेपाल में चीन का दखल बढ़ रहा है। इधर चीन ने नेपाल में अपनी
पैठ बढ़ायी है। मंदारित एक चीनी भाषा है जिसे नेपाल के कई स्कूलों में पढ़ाना अनिवार्य घोषित किया गया है जिसका खर्च चीनी सरकार उठा
रही है।
भारत-नेपाल के बीच कृषि, रेलवे, हवाई यात्रा, परिवहन व औद्योगिक मामलों से सम्बन्धित समझौते हुये हैं। नेपाल को विवादित सीमा रेखा के सम्बन्ध में सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। उत्तराखण्ड के लिपियाधुरा, कालापानी व लिपुलेख के प्रकरणों को समझदारी से हल करना चाहिए। नेपाली मानचित्र में विवादित क्षेत्रों को शामिल करने से बचना होगा।
भारत व नेपाल के साथ मधुर सम्बन्ध व्यापारिक, सांस्कृतिक व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसलिए दोनों देशों के बीच कोई विवाद शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत के द्वारा सुलझाया जा सकता है। नेपाल भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। वहां की अर्थव्यवस्था संभालने में भारत काफी मदद कर सकता है। नेपाल के पास छह महीने का विदेशी मुद्रा का भंडार है। बढ़ते आयात व पर्यटन के क्षेत्र में गिरावट से यह संकट पैदा हुआ है। भारत को चीनी झुकाव को रोकने के लिए नेपाल को भरपूर
आर्थिक मदद देनी होगी। नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा वक्त की नजाकत को देखते हुए अपनी नीति में बदलाव कर पुराने विवादों से किनारा करना होगा। इसी में नेपाल की भलाई है। (हिफी)

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