लेखक की कलम

सरकार व संगठन का बुलन्द मंसूबा

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

उत्तर प्रदेश की राजनीति में छत्तीस वर्षों के बाद किसी सरकार को लगातार दूसरी बार वापसी का जनादेश मिला था। विपक्ष को निराशा का सामना करना पडा था। चुनाव के इतने समय बाद भी भाजपा में विजय का उत्साह हैं। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार जन आकांक्षाओं को पूरा करने में लगी है। सौ दिन में ही सरकार ने अपना रिपोर्ट कार्ड जारी किया था। क्योंकि इस अल्प अवधि में ही सरकार के पास अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए बहुत कुछ था। यह सौ दिन अगले पांच वर्ष की बानगी की तरह थे। दूसरी तरफ विपक्ष की निराशा का कोई अंत नहीं है। पराजय की जिम्मेदारी लेते हुए विपक्षी पार्टियों के प्रदेश अध्यक्षों ने त्यागपत्र दिए थे। उनकी जगह नई नियुक्ति नहीं हो सकीं है। जबकि विपक्ष की सभी पार्टियां परिवार आधारित हैं। इसमे राष्ट्रीय अध्यक्ष जिस पर हांथ रख दें वह प्रदेश अध्यक्ष हो जाता है। जबकि भाजपा कैडर आधारित पार्टी है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष के चयन की निर्धारित प्रक्रिया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी इस प्रक्रिया का पालन करना होता है। दूसरी बात यह कि भाजपा में बूथ स्तर से राजनीतिक यात्रा शुरू करने वाला भी संगठन का मुखिया बन सकता है। स्वतंत्र देव सिंह प्रदेश सरकार में शामिल किए गए। जमीनी स्तर पर दशकों से कार्य करने वाले भूपेंद्र सिंह चौधरी की नियुक्ति की गई। उनकी नियुक्ति से भाजपा का जनाधार व्यापक होगा। लोक सभा चुनाव के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश के साथ ही दिल्ली हरियाणा और राजस्थान में भी भाजपा को लाभ मिलेगा।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता शिखर पर है। विपक्षी दल नेतृत्व के स्तर पर उनका मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। योगी सरकार की उपलब्धियों ने भाजपा को प्रदेश में पार्टी नंबर वन बनाया है। इस स्थिति को कायम रखने के लिए सरकार और संगठन के स्तर पर प्रयास तेज किए जा रहे है। भाजपा में सतत सक्रियता रहती है। उसने अभी से लोकसभा चुनाव की भी तैयारी शुरू कर दी है। भूपेंद्र चौधरी की नियुक्ति इसका प्रमाण है। भाजपा सरकार और संगठन दोनों सबका साथ सबका विकास की भावना से कार्य कर रही है। इसीलिए केंद्र की सरकार में ओबोसी के सत्ताईस लोगों को मंत्री बना कर पिछड़ों को सम्मान दिया गया। प्रदेश सरकार में भी सबसे ज्यादा मंत्री पिछड़े वर्ग से हैं। ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का काम भी भाजपा की सरकार ने ही किया है। पांच वर्षों में भाजपा सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का सर्वाधिक लाभ अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को मिला है। नए यूपी में अब कोई माफिया वसूली के लिए संदेश नहीं भेज सकता है। पांच साल की कठिन तपस्या के बाद यूपी की गाड़ी पटरी पर लौटी है। प्रदेश में पहली बार साढे चार लाख करोड रुपये से अधिक का पूंजी निवेश आया है। आज मोबाइल निर्माण के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश का शेयर बढकर सत्तर प्रतिशत हो गया है।
आईटी हब व सबसे बडा डेटा सेन्टर भी यूपी में बन रहा है। विद्यालयों को आधुनिक बनाया जा रहा है। पिछले पांच सालों में शिक्षा के प्रसार के लिए ढाई सौ नए माध्यमिक विद्यालय, सतहत्तर महाविद्यालय तथा बारह विश्वविद्यालय बनाए गए हैं। पिछले चुनाव के समय जारी संकल्प पत्र के लगभग सभी वादों पर अमल किया गया। ओडीओपी योजना से सभी जनपदों के स्थानीय उत्पादों को बाजार मिला है। इससे अनुमानतः डेढ़ करोड़ लोगों को रोजगार मिल रहा है। इन्वेस्टर समिट से यूपी में साढ़े चार लाख करोड़ रुपये का एमओयू साइन किया जा चुका है जिसमें से लगभग तीन लाख करोड़ रुपये का काम यूपी में शुरू भी हो चुका है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के यूपी में पिछले पांच वर्षों में सात हजार किमी सड़कों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अतिरिक्त छह किमी सड़कों का निर्माण हो रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने शहरों में चैबीस घंटे और गाँवों में बाइस घंटे तक बिजली पहुंचाई। पांच वर्षों में लगभग डेढ़ करोड़ घरों में मुफ्त बिजली पहुंची है। गरीबों को बयालीस लाख से अधिक आवास प्रदान किये गए हैं। पिछली सरकार में उत्तर प्रदेश देश में सातवें स्थान की अर्थव्यवस्था थी। पिछले पांच वर्षों में ही यूपी देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनी है। जनादेश मिला तो अगले पांच वर्षों में यूपी को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में प्रतिष्ठित होगी। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सुशासन सहित अनेक विषयों पर उत्तर प्रदेश को देश में टॉप थ्री में लाने का काम किया है।
पांच साल पहले उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था करीब ग्यारह लाख करोड़ रुपये अधिक थी। पांच वर्षों में हम इसे बाइस लाख करोड़ रुपये से उपर हो गई है। यूपी के सोशल इंडेक्स में अस्सी प्रतिशत तक का सुधार हुआ है। आज भारत सरकार की छप्पन योजना में से पचास योजनाओं के कार्यान्वयन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। पहले उत्तर प्रदेश किसी भी कृषि उपज में नंबर वन नहीं था। आज उत्तर प्रदेश सरकार में गेहूं, गन्ना, चीनी, आलू, मटर, आम, आंवला और दुग्ध उत्पादन में देश में सबसे आगे है। बेरोजगारी दर लगभग सत्रह से घट कर करीब चार प्रतिशत तक आ गई है। प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लगभग एक दर्जन नीतियां बनाई गई है। हमने उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए लगभग एक सौ अड़सठ सुधार किये हैं। सवा तीन सौ से अधिक पोर्टल्स बनाए हैं। चालीस विदेशी कंपनियों ने तो अपना उत्पादन शुरू भी कर दिया है। लखनऊ से लेकर बुंदेलखंड तक डिफेंस कॉरिडोर बनाया गया है। जिसके तहत बहुत सारी इकाइयां लगेगी। पिछले एक साल में इसके लिए लगभग करीब दो सौ करोड़ रुपये का निवेश आया है। नोएडा में छह हजार करोड़ रुपये की लागत से स्टेट डेटा सेन्टर की स्थापना की गयी है। एशियन डेवलमेंट बैंक ने एक बिलियनअमेरिकी डॉलर उत्तर प्रदेश के वित्तीय अनुशान को देखते हुए एक कॉरिडोर के लिए मंजूर किया है। पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश में लगभग चालीस मेडिकल कॉलेज बनाये जा रहे हैं। भाजपा ने राजनीति को परिवारवाद भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण तीनों से मुक्त कराने का प्रयास किया है। इसमें जन सहयोग से सफलता भी मिल रही है।
देश में कई करोड़ लोग ऐसे थे, जिनके पास घर ही नहीं था। जिनके पास घर था तो शौचालय नहीं था। ऐसे गरीब लोगों को मोदी जी ने घर दिलाया। शौचालय बनवाया। जिनके घर शौचालय नहीं होता,उनकी तकलीफ सरकार ने समझी। माताओं बहनों को सम्मान दिलाया गया। कई करोड़ लोगों के घर में बिजली नहीं थी। ऐसे लोगों के जीवन बदलाव लाया गया। पहले गरीबी हटाओ के नारे लगते थे। गरीबों के घर जाकर खाना भी खाते थे। लेकिन गरीबी नहीं हटी। भाजपा सरकार ने उन्हीं गरीबों को एहसास करा दिया कि गरीबी कैसे हटती है और गरीब का भला कैसे होता है। गरीबों के कल्याण की योजनाएं साकार की गईं। कोरोना महामारी के समय उन्होंने विश्व में अग्रणी भूमिका निभाते हुए देश में ही वैक्सीन बनवाई। देश के साथ साथ दुनिया के अनेक देशों में पीड़ित मानवता को सहायता पहुंचाई। पिछले दो लोकसभा चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस विपक्ष में नेता पद पाने के लायक भी नहीं रही। आज राज्यसभा में भी भाजपा के सर्वाधिक सांसद हैं। जाहिर है कि इन उपलब्धियों और सफलता से भाजपा में उत्साह है। भूपेंद्र चौधरी के नेतृत्व में भाजपा का प्रदेश संगठन इस अनुकूल माहौल में जनाधार को व्यापक बनाने में योगदान देगा। (हिफी)

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