लेखक की कलम

कलहग्रस्त कांग्रेसी धामी को कैसे हराएंगे?

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चंपावत सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी। इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष, उत्तराखंड मामलों के प्रभारी दुष्यंत गौतम, प्रदेश सहप्रभारी रेखा वर्मा और मुख्यमंत्री समेत अन्य प्रमुख नेताओं के साथ प्रदेश पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक ने एक बैठक की। इस बैठक के बाद कौशिक ने बताया कि धामी को चंपावत से बड़े अंतर से जिताने के लिए रूपरेखा तैयार कर ली गयी है।

उत्तराखण्ड मंे राजनीतिक शूरवीरों की गर्जना तो सुनाई पड़ती है लेकिन उसकी अनुगूंज दूर तक नहीं जाती। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चम्पावत सीट से उपचुनाव लड़ेंगे। भाजपा ने इसके लिए रणनीति भी बनानी शुरू कर दी। दूसरी तरफ कांग्रेस के नये
अध्यक्ष का अभी से विरोध होने लगा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने 70 विधानसभा क्षेत्रांे में से सभी
जिलाध्यक्षों और फ्रंटियर्स की बैठक बुलाई थी, इस बैठक में सिर्फ 15 जिलाध्यक्ष ही पहुंचे। जाहिर है कि कांग्रेस की आंतरिक कलह प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद भी थमी नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की यह पहली बैठक थी। करन महारा ने मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को चम्पावत में पराजित करने का दावा किया है लेकिन ऐसे हालात मंे कांग्रेस वहां कैसा मुकाबला कर पाएगी, यह बताने की जरूरत नहीं है। उत्तराखण्ड मंे चार विधायकों के चुनाव को हाईकोर्ट मंे चुनौती भी दी गयी है। इनमंे लोहा घाट के कांग्रेसी विधायक खुशहाल सिंह अधिकारी भी शामिल हैं। इनके चुनाव को भाजपा के पूर्व विधायक पूरन सिंह फज्र्याल ने चुनौती दी है। इस प्रकार कांग्रेस के सामने कई समस्याएं हैं जिनका मुकाबला एकजुटता से करना चाहिए लेकिन कांग्रेसी कलह मंे उलझे हैं।
उत्तराखंड कांग्रेस में अंदरूनी कलह थमती प्रतीत नहीं हो रही है। दरअसल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन महारा ने 70 विधानसभा में सभी जिलों के जिला अध्यक्षों और फ्रंन्टियर्स के साथ रविवार को मीटिंग बुलाई थी, लेकिन इस बैठक में बमुश्किल 15 जिलाध्यक्ष पहुंचे।
विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड कांग्रेस का बुरा हाल जगजाहिर है और पार्टी को संभालने के लिए करन माहरा को कमान दी गई है। इसके लिए जिलाअध्यक्षों के साथ पहली मीटिंग में 70 विधानसभा क्षेत्रों से फ्रंटियर्स और जिलाअध्यक्षों को बुलाया गया, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसमें शामिल होना जरूरी नहीं लगा। इस मीटिंग में पार्टी की रणनीति और हार की समीक्षा हुई। साथ ही गढ़वाल के दौरे से पहले
अध्यक्ष पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ-साथ आगे की रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस से जुड़े कार्यकर्ता अभी भी हिम्मत नहीं हार रहे और करन महारा के नेतृत्व में पंचायत चुनाव को मजबूती से लड़ने की तैयारी में हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष की पहली मीटिंग में भी इतना ढीला रवैया पार्टी की अंदरूनी कलह को जगजाहिर करता है। इसके साथ ही पार्टी के लिए आगे की राह को भी मुश्किल बना रहा है।
उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चंपावत सीट से उपचुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तैयारियां जोर-शोर से शुरू कर दी। इस संबंध में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष, उत्तराखंड मामलों के प्रभारी दुष्यंत गौतम, प्रदेश सहप्रभारी रेखा वर्मा और मुख्यमंत्री समेत अन्य प्रमुख नेताओं के साथ प्रदेश पार्टी
अध्यक्ष मदन कौशिक ने एक बैठक की। इस बैठक के बाद कौशिक ने बताया कि धामी को चंपावत से बड़े अंतर से जिताने के लिए रूपरेखा तैयार कर ली गयी है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि चंपावत उपचुनाव के लिए पार्टी ने प्रदेश सहप्रभारी रेखा वर्मा की अध्यक्षता में एक टीम गठित की गई है, जिसके संयोजक धामी के लिए सीट छोड़ने वाले पूर्व विधायक कैलाश गहतोड़ी होंगे। कौशिक ने कहा कि इसके अलावा, प्रदेश महामंत्री (संगठन) अजेय, कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास, वरिष्ठ नेता कैलाश शर्मा और पार्टी के महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीप्ति रावत भी टीम का हिस्सा होंगी। हाल में विधानसभा चुनाव में खटीमा में मिली पराजय के बाद धामी को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए शपथ ग्रहण करने के छह माह के भीतर उपचुनाव लड़कर विधानसभा का सदस्य बनना होगा। गहतोड़ी के चंपावत सीट से त्यागपत्र देने के बाद मुख्यमंत्री का वहां से उपचुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया।
भाजपा की बैठक मंे प्रदेश की उन 23 सीट की भी समीक्षा की गयी जिन पर भाजपा को फरवरी में विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा को प्रदेश की 70 में से 47 सीट पर जीत हासिल हुई थी। कौशिक ने कहा कि इन 23 विधानसभा क्षेत्रों की अलग से समीक्षा की गयी, जो कई घंटे चली। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले एक माह में सरकार द्वारा किए गए अच्छे कामों के बारे में लोगों को बतााने के लिए मई में 15 दिनों का जनसंपर्क अभियान शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
उत्तराखंड में चार विधायकों के चुनाव को हाईकोर्ट में चुनौती मिली है। हाईकोर्ट ने इन सभी विधायकों के साथ चुनाव आयोग और जिला निर्वाचन अधिकारी समेत चुनाव आरओ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इनमें से तीन विधायकों पर झूठा शपथ पत्र देने के आरोप लगे हैं, जबकि एक विधायक के खिलाफ फैक्ट्स गलत ढंग से देते हुए सरकारी कोष रकम जारी करने के आरोप लगे हैं। कोर्ट ने इन सभी मामलों में नोटिस जारी करते हुए जिम्मेदारों से जवाब मांगे हैं। लोहाघाट से बीजेपी नेता पूरन फर्त्याल ने खुशहाल सिंह अधिकारी के चुनाव को चुनौती दी है और गलत शपथ पत्र चुनाव आयोग को देने का आरोप लगाया है। इसी तरह, मंगलौर से हारे पूर्व विधायक काजी निजामुद्दीन ने सर्वत करीम अंसारी के चुनाव को चुनौती दी है। उन्होंने भी चुनाव के दौरान अंसारी द्वारा झूठा हलफनामा देने का आरोप लगाया। वहीं, खानपुर विधायक उमेश शर्मा के खिलाफ भी चुनाव आयोग को गलत शपथ पत्र देने का आरोप लगाने वाली याचिका दाखिल की गई। शर्मा के खिलाफ कई तथ्यों को छिपाने का भी आरोप याचिका में लगाया गया। इधर, ऋषिकेश विधायक प्रेमचन्द्र अग्रवाल के चुनाव को चुनौती देने का कारण है कि उन्होंने चुनाव के दौरान 5 करोड़ की रकम विवेकाधीन कोष से बांट डाले क्योंकि चुनाव के समय वह विधानसभा अध्यक्ष थे। साथ ही, चुनाव के दौरान कई तथ्य गलत तरीके से दाखिल करने का आरोप भी अग्रवाल पर लगा है। कोर्ट ने इन सभी मामलों में नोटिस जारी कर दिए हैं। (हिफी)

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