लेखक की कलम

इसी गुफा में शिव ने सुनायी थी अमरकथा

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आप अजर-अमर हैं, लेकिन उनको हर बार जन्म लेना पड़ता है और आपको पति स्वरूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप क्यों करना पड़ता है? आपको प्राप्त करने के लिए इतनी कठिन परीक्षा क्यों देनी पड़ती है? आपके अमर होने का रहस्य क्या है? भगवान शिव अमरत्व के रहस्य को बताना नहीं चाहते थे, लेकिन माता पार्वती के हठ करने पर वे इसके लिए तैयार हुए। उन्होंने अमरत्व रहस्य को सिर्फ माता पार्वती को बताना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने एकांत और शांतिपूर्ण अमरनाथ गुफा को चुना।

आज 29 जून को अमरनाथ यात्रा के लिए बाबा बर्फानी के भक्तों का जत्था रवाना हुआ। हर भक्त बाबा अमरनाथ के दर्शन करके स्वयं की मनोकानाओं को पूरा करना चाहता है, ताकि उसके जीवन के कष्ट, दुख, रोग, दोष आदि सब दूर हो जाएं। शिव कृपा से उनको मोक्ष प्राप्त हो सके। तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा है। उस कथा में बताया गया है कि किस प्रकार से भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमरत्व के रहस्य को बताया था। शिवपुराण की एक कथा में बाबा अमरनाथ की गुफा और उससे जुड़े रहस्य को बताया गया है। एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आप अजर-अमर हैं, लेकिन उनको हर बार जन्म लेना पड़ता है और आपको पति स्वरूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप क्यों करना पड़ता है? आपको प्राप्त करने के लिए इतनी कठिन परीक्षा क्यों देनी पड़ती है? आपके अमर होने का रहस्य क्या है? भगवान शिव अमरत्व के रहस्य को बताना नहीं चाहते थे, लेकिन माता पार्वती के हठ करने पर वे इसके लिए तैयार हुए। उन्होंने अमरत्व रहस्य को सिर्फ माता पार्वती को बताना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने एकांत और शांतिपूर्ण अमरनाथ गुफा को चुना।
उस गुफा में पहुंचने के लिए भगवान शिव ने अपने पंचतत्वों को भी त्याग दिया। उस गुफा में नंदी, कार्तिकेय, गणेश या कोई अन्य पशु-पक्षी न आ पाए, इसलिए गुफा के चारों ओर आग जला दी। उसके बाद अमरत्व की कथा प्रारंभ की। महादेव कथा सुनाने लगे और माता पार्वती उसी दौरान सो गईं। यह बात भगवान शिव को पता नहीं चली। उस कथा को दो कबूतर सुन रहे थे और वे हुंकार भर रहे थे। भगवान भोलेनाथ को लगा कि माता पार्वती वह कथा सुन रही हैं। जब कथा समाप्त हुई, तो भगवान भोलेनाथ ने देखा कि माता पार्वती तो सो रही हैं, फिर उनके मन में प्रश्न उठा कि कथा किसने सुनी? उन्होंने नजर दौड़ाई, तो देखा कि वहां दो कबूतर मौजूद हैं। भगवान शिव क्रोधित हो गए, तो वे दोनों कबूतर उनके सामने क्षमा प्रार्थना करने लगे। दोनों ने कहा कि हे महादेव! हमने यह कथा सुनी है। यदि आप हमें मार देते हैं, तो यह कथा असत्य हो जाएगी, आप हमारा मार्गदर्शन करें। तब भगवान शिव ने कहा कि तुम आज से यहां पर शिव और शक्ति के प्रतीक चिह्न के रूप में वास करोगे। उसके बाद से कबूतर का जोड़ा अमरत्व को प्राप्त कर उसी गुफा में रहता है। इस पूरी कथा के कारण उस गुफा को अमरनाथ गुफा कहते हैं और यह कथा अमरकथा कहलाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज भी कबूतर को जोड़ा वहां दिखाई देता है।
अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में स्थित है। इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चैड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊंची है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। भगवान शिव के भक्त हर साल अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं। बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। हालांकि कोरोना वायरस महामारी के कारण पूरे दो साल बाद अमरनाथ यात्रा फिर से शुरू हो रही है। इस साल अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू होगी और 43 दिनों तक चलेगी।
इस तरह हुई थी अमरनाथ गुफा की खोज
अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ऑफिशियल वेबसाइट के अनुसार कहा जाता है कि अमरनाथ गुफा की खोज बूटा मालिक नाम के एक मुस्लिम गड़रिए ने की थी। जानवर चराते हुए बूटा की मुलाकत एक साधु से हुई थी, जहां उस साधु ने उसे कोयले से भरा एक झोला थमा दिया था। बूटा ने जब घर जाकर झोले को खोला तो उसमें उसने कोयले को सोने के सिक्कों में बदला हुआ पाया। धन्यवाद कहने के लिए जब वो उस गुफा तक पहुंचा, तो वहां उसे साधु नहीं मिला। अंदर जाकर देखने पर उसने बर्फ से बना एक शिवलिंग पाया। इसके बाद से ही अमरनाथ यात्रा की शुरुआत हुई थी।
अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन: सबसे पहले श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं। दमू सेक्शन पर क्लिक करें। रजिस्टर ऑनलाइन विकल्प को चुनें। इसके बाद एक नई विंडो खुलेगी। अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने वाले लिंक पर क्लिक करें। अब सभी आवश्यक जानकारी भरें और यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन सबिमट करें। तीर्थयात्रियों को आरएफआईडी (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग दिए जाएंगे, जिसमें श्राइन बोर्ड आपके आगे की गतिविधियों को बढ़ाने में मदद करेगा। ध्यान रहे कि 13 साल से कम की उम्र के बच्चे और 75 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति, साथ ही गर्भवती महिलाओं को यात्रा करने की अनुमति नहीं है।
अमरनाथ यात्रा के लिए श्रीनगर हवाई अड्डे पर, तीर्थयात्री हेलीकॉप्टर की सेवा ले सकते हैं। इसमें समय की बचत होती है और यात्रा के दौरान थकान भी महसूस नहीं होती। रेल मार्ग से भी अमरनाथ यात्रा की जा सकती है। अमरनाथ यात्रा की शुरुआत करने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मूतवी है, जो पहलगाम से 315 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पहलगाम मार्ग- जम्मू से पहलगाम जाने के लिए कैब उपलब्ध हैं। पहलगाम के रास्ते अमरनाथ गुफा तक पहुंचने में लगभग 5 दिन लग जाते हैं और लोग आमतौर पर वहां पहुंचने के लिए टट्टू का इस्तेमाल करते हैं। बालटाल मार्ग- जम्मू से बालटाल तक के लिए टैक्सी किराए पर ली जा सकती है। इसके जरिए आप अमरनाथ गुफा तक जा सकते हैं। यह सिर्फ एक दिन का ट्रैक है। अमरनाथ यात्रा के बाद आप पहलगाम, सोनमर्ग, गाडसर झील, बेताब घाटी, विशनसर झील, आरु घाटी और बालसरन में पर्यटन का भी आनंद ले सकते हैं।

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