भारत का भरोसेमंद दोस्त चला गया

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
इस घटना से जितना दुखी जापान है, भारत के लोगों में भी उतना ही दुख है। शिंजो आबे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने भारत और जापान के संबंधों को बुलंदियों पर पहुंचाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी दोस्ती के चर्चे पूरी दुनिया में थे। शिंजो आबे पीएम मोदी को अपना खास दोस्त बताते थे और पीएम मोदी भी उनकी दोस्ती को एक कदम आगे बढ़ कर गले लगाते थे। भारत के प्रति शिंजो आबे का प्यार ही था कि उन्हें हिंदुस्तान ने देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
हमारे देश के दुनिया भर के मुल्कों से अच्छे संबंध हैं। पड़ोसियों से तो हम बेहतर रिश्ते रखना ही चाहते हैं लेकिन क्या करें कुछ पड़ोसी सिरदर्द बन जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खाड़ी देशों से बेहतर संबंध बनाए तो इजराइल के साथ भी मधुर रिश्ते कायम किये हैं। अमेरिका के साथ दोस्ती है तो रूस के साथ भी हम उस समय व्यापारिक संबंध बनाए हुए हैं जब यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोपीय देशों ने उस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं। इस प्रकार वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय परम्परा का पालन करते हुए जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे ने यह एहसास करा दिया था कि अपनों मंे भी कुछ विशेष अपने होते हैं। दुर्भाग्य का दिन है कि एक सिरफिरे ने शिंजो आबे की उस समय गोली मार दी जब वह एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। उसी समय उन्हंे दिल का दौरा भी पड़ा और क्रूर नियति ने भारत का भरोसेमंद दोस्त छीन लिया।
जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे का निधन हो गया है। यह भारत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। आज सुबह भाषण के दौरान उन्हें गोली मारी गई थी। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया गया था। जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत को बेहद नाजुक बताया था। उनके शरीर के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। यह जानकारी मिलते ही कैम्पेन रद्द करके पीएम किशिदा हेलिकॉप्टर से वापस टोक्यो आए थे। हमलावर शिंजो आबे की नीतियों से नाराज था। इसलिए उनकी हत्या की थी। 41 वर्षीय हमलावर को गिरफ्तार कर लिया गया। शिंजो आबे पर नारा शहर में हमला हुआ था। यह हमला उन पर उस दौरान हुआ जब वह पश्चिमी जापान के नारा शहर में एक सभा को संबोधित कर रहे थे।हमले के फौरन बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुःख जताया। पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, मेरे प्रिय मित्र शिंजो आबे पर हुए हमले से व्यथित हूं। हमारी दुआएं और प्रार्थनाएं उनके, उनके परिवार और जापान के लोगों के साथ हैं। पीएम मोदी को शिंजो आबे से कितना लगाव था, इसका परिचय गत वर्ष 15 जुलाई को वाराणसी दौरे के समय भी मिला। रुद्राक्ष कंवेंशन सेन्टर का उद्घाटन करते हुए मोदी ने शिंजो आबे को याद किया और बताया कि वाराणसी के विकास परियोजना भारत-जापान के सम्बन्धों को दर्शाती है।
शिंजो आबे पीएम नरेन्द्र मोदी के अच्छे दोस्तों में से एक थे। उन्होंने साल 2020 के अगस्त में जापान के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह फैसला अपने स्वास्थ्य कारणों की वजह से लिया था। 65 वर्षीय आबे ने पद छोड़ने की घोषणा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें इंटेस्टिनाइल बीमारी का इलाज करने के लिए कुछ समय की जरूरत है इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। पिछले दो हफ्तों के दौरान शिंजो आबे को दो बार अस्पताल जाना पड़ा था। इससे अनुमान लगाए जा रहे थे कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा था। शिंजो आबे 2012 में पूर्ण बहुमत के साथ चुनाव जीतने के बाद दोबारा प्रधानमंत्री बने थे। सात साल के इस कार्यकाल ने उन्हें जापान का सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री बने रहने का गौरव प्रदान किया है। आबे का कार्यकाल समाप्त होने में अभी एक साल का वक्त बचा था।
आबे सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी में अब भी प्रभावशाली नेता थे और वह उसके सबसे बड़े धड़े सेइवकाई का नेतृत्व करते थे। जापानी संसद के ऊपरी सदन के लिए मतदान रविवार को होना है। आबे भाषण दे रहे थे, जब लोगों ने गोलियों की आवाज सुनी। गोली लगने के बाद वह जमीन पर गिर पड़े और उन्होंने अपने सीने पर हाथ रखा हुआ था, उनकी कमीज पर खून लगा हुआ था। दुनिया के सबसे सुरक्षित देशों में से एक माने जाने वाले जापान में यह हमला हैरान करने वाला है। जापान में बंदूक नियंत्रण के सख्त कानून लागू हैं। आबे ने 2020 में यह कहते हुए प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था कि उनकी एक पुरानी बीमारी फिर से उभर आयी है। उन्होंने उस समय पत्रकारों से कहा था कि अपने कई लक्ष्यों को अधूरा छोड़ना उनके लिए ‘‘परेशान करने वाली बात’’ है। उन्होंने वर्षों पहले उत्तर कोरिया द्वारा अगवा किए गए जापानी नागरिकों के मुद्दे, रूस के साथ क्षेत्रीय विवाद और जापान के युद्ध त्यागने वाले संविधान के संशोधन के मुद्दों को हल करने में अपनी नाकामी की बात की थी।
इस घटना से जितना दुखी जापान है, भारत के लोगों में भी उतना ही दुख है। शिंजो आबे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने भारत और जापान के संबंधों को बुलंदियों पर पहुंचाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी दोस्ती के चर्चे पूरी दुनिया में थे। शिंजो आबे पीएम मोदी को अपना खास दोस्त बताते थे और पीएम मोदी भी उनकी दोस्ती को एक कदम आगे बढ़ कर गले लगाते थे। भारत के प्रति शिंजो आबे का प्यार ही था कि उन्हें हिंदुस्तान ने देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। यह सम्मान शिंजो आबे को साल 2021 में दिया गया था। शिंजो आबे ही वह नेता हैं जिनकी पहल के चलते आज भारत में बुलेट ट्रेन का रास्ता साफ हुआ है। आपको बता दें कि जापान ने भारत को बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए अन्य देशों के मुकाबले बेहद कम दर पर ऋण मुहैया कराया था। वहीं लोन वापसी का समय भी 25 वर्षों की जगह 50 वर्ष रखा गया है। शिंजो आबे भारत को वैश्विक समृद्धि की दिशा में एक ग्लोबल पावर के रूम में देखना चाहते थे। शिंजो आबे भारत से खास लगाव महसूस करते थे, यही वजह थी कि वह एक ऐसे जापानी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपने कार्यकाल में सबसे ज्यादा बार भारत का दौरा किया था। पहली बार भारत शिंजो आबे साल 2006-07 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान आए थे। उसके बाद साल 2012-20 के अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान शिंजो आबे ने भारत का तीन
बार दौरा किया था। यह तीनों दौरे साल 2014, 2015 और सितंबर 2017 में हुए थे। (हिफी)