लेखक की कलम

अपनत्व के जापानी पुष्प

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

भगवान गौतम बुद्ध के सिद्धांतों पर चलने वाला जापान उस दिन जय श्रीराम के नारे लगा रहा था। भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया, हिन्द प्रशांत क्षेत्र के ऐसे देश हैं जो चीन की विस्तारवादी नीति से चिंतित हैं। जापान के कई द्वीपों पर चीन अपना कब्जा जता रहा है तो ताइवान पर हमला करने की तैयारी मंे है। अमेरिका ने साफतौर पर चेतावनी दी है कि यदि ताइवान पर हमला किया तो हम हस्तक्षेप करेंगे। चार देशों का यह संगठन क्वाड के नाम से पुकारा जाता है। टोक्यो में क्वाड सम्मेलन मंे प्रतिभाग करने के लिए ही भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां गये थे। जापान मंे रह रहे भारतीयों ने जिस गर्मजोशी से मोदी का स्वागत किया, उसको शब्दों मंे बांधना ही मुश्किल है। भगवा रंग की पगड़ी बांधेे लोग मोदी-मोदी के नारे लगा रहे थे। कोई कह रहा था हिन्दुस्तान का शेर आया है… प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपनत्व के जापानी पुष्पों का उसी उत्साह से सम्मान किया। उनका गला भर आया और फिर मोदी ने भारत और जापान के देवी-देवताओं को भी एक बताते हुए स्वामी विवेकानंद की शिकागो यात्रा के दौरान जापान मंे विश्राम का भी उल्लेख किया। इससे पूर्व मोदी ने भारत और जापान के बीच जीवंत संबंधों पर एक लेख लिखा। यह लेख जापानी भाषा मंे प्रकाशित हुआ। इसमंे जापान की भूरि-भूरि प्रशंसा की गयी है। मोदी ने कहा कि मैं दोनों देशों के बीच 70 वर्ष की विशेष मित्रता की जड़ें खोज रहा हूं। उन्हंे और मजबूत करना चाहता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो मंे क्वाड सम्मेलन से पूर्व भारत और जापान को स्वाभाविक साझेदार बताया और कहा कि भारत की विकास यात्रा में जापान की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। टोक्यो में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जापान से हमारा रिश्ता आत्मीयता का है, आध्यात्म का है, सहयोग का है, अपनेपन का है। भाषण की शुरुआत में पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय से कहा, “जब भी मैं जापान आता हूं, तो मैं देखता हूं कि आपकी स्नेह वर्षा हर बार बढ़ती ही जाती है। आप में से कईं साथी अनेक वर्षों से यहां बसे हुए हैं। जापान की भाषा, वेशभूषा, संस्कृति और खानपान एक प्रकार से आपके जीवन का भी हिस्सा बन गया है।” उन्होंने कहा, “यही हम लोगों की विशेषता है कि हम कर्मभूमि से तन मन से जुड़ जाते हैं, खप जाते हैं। लेकिन मातृभूमि की जड़ों से जो जुड़ाव है, उससे कभी दूरी नहीं बनने देते हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “विवेकानंद जी जब अपने ऐतिहासिक संबोधन के लिए शिकागो जा रहे थे उससे पहले वो जापान आए थे। जापान ने उनके मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ा हुआ था। जापान के लोगों की देशभक्ति, जापान के लोगों का आत्मविश्वास, स्वच्छता के लिए जापान के लोगों की जागरूकता की उन्होंने खुलकर प्रशंसा की थी।”
मोदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो दिनों के जापान दौरे पर हैं। उन्होंने जापानी भाषा के एक अग्रणी अखबार में एक लेख लिखा । इसमें पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जापान मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान देंगे, जहां सुरक्षित समुद्र हो, व्यापार तथा निवेश की अनुकूलताएं हों, जहां संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो और जो अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करता हो। प्रधानमंत्री के लेख का शीर्षक ‘भारत-जापान: शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए एक साझेदारी’ था जिसमें उन्होंने लिखा ‘सामरिक रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित दो लोकतंत्र होने के नाते हम स्थिर और सुरक्षित क्षेत्र के अहम स्तंभ हो सकते हैं। इसलिए हमारी साझेदारी विभिन्न क्षेत्रों तक बढ़ रही है। हमारे रक्षा संबंध अभ्यासों तथा सूचना के आदान-प्रदान से रक्षा विनिर्माण तक तेजी से बढ़ रहे हैं। हम साइबर, अंतरिक्ष और अंतर-समुद्री क्षेत्रों में काफी कुछ कर रहे हैं।’ प्रधानमंत्री मोदी ने क्षेत्र में चीन के आक्रामक कदमों के बीच कहा कि भारत और जापान मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के निर्माण में योगदान देंग। उल्लेखनीय है कि चीन के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कई देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद हैं। चीनी सरकार विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा जताती है जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके हिस्सों पर अपना दावा जताते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। उसका पूर्वी चीन सागर को लेकर जापान के साथ भी विवाद चल रहा है। मोदी ने कहा, ‘क्षेत्र में और उसके अलावा क्वाड जैसे संस्थानों में एक जैसी विचारधारा वाले साझेदारों के साथ मिलकर हम सुरक्षा के अलावा विकास, बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, निरंतरता, स्वास्थ्य, टीकों, क्षमता निर्माण और मानवीय आपदा प्रतिक्रिया के लिए कई कदमों को बढ़ावा दे रहे हैं।’
पीएम मोदी ने कहा कि शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र पूरी दुनिया के बेहतर भविष्य के लिए अहम होगा। मोदी ने कहा, ‘विशेष, रणनीतिक और वैश्विक। भारत-जापान साझेदारी को परिभाषित करने वाले इन तीन शब्दों में से प्रत्येक का विशेष महत्व है, हालांकि ये हमारे संबंधों की असल क्षमता को बयां करने के लिए कम हैं। मोदी ने कहा कि मैं 70 गौरवशाली वर्ष पूरे करने वाली हमारी विशेष मित्रता की जड़ें खोज रहा हूं।’ मोदी ने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के बाद की दुनिया में भारत-जापान के बीच करीबी सहयोग अहम है। हम लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम दोनों स्थिर एवं सुरक्षित हिंद-प्रशांत के अहम स्तंभ हैं। मुझे खुशी है कि हम विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर भी निकटता से काम कर रहे हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था तब से ही जापान के लोगों के साथ नियमित रूप से संवाद करने का अवसर मिलता रहा है। मोदी ने कहा कि न्यायाधीश राधा बिनोद पाल जापान में जाना-पहचाना नाम हैं और जापान के लिए गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रशंसा तथा ओकाकुरा तेनशिन के साथ बातचीत दोनों देशों के कलाकारों और बुद्धिजीवियों के बीच बहुत पहले संबंधों के निर्माण में अहम रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इन गहरे संबंधों ने एक आधुनिक भारत-जापान साझेदारी की मजबूत नींव रखी जो औपचारिक कूटनीतिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ पर भी फल-फूल रही है।’ (हिफी)

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button