लेखक की कलम

संघ के गढ़ में केजरी की हुंकार

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

  •  विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी आप
  • भाजपा के एकमात्र विकल्प के रूप में पेश किया खुद को

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविन्द केजरीवाल का मनोेबल दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनने से बढ़ा है। गुजरात, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा मंे वे अपना जनाधार और मजबूत करेंगे। उनका इरादा हरियाणा मंे सरकार बनाने का भी है। इसी मनोबल के चलते केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गढ़ नागपुर में दहाड़ लगायी। केजरीवाल ने वहां भाजपा को सीधे-सीधे चुनौती दी और कहा 2024 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी विपक्षी महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। इसका मतलब यही कि अरविन्द केजरीवाल अपनी पार्टी को जंगल का दूसरा शेर साबित करना चाहते हैं जो भाजपा रूपी शेर से मुकाबला करेगी। मौजूदा समय में भाजपा ने यह तो साबित ही कर दिया कि वही सियासी जंगलात की शेर है। केजरीवाल का यह चैलेन्ज तेलंगाना और उड़ीसा के मुख्यमंत्रियों के लिए भी है जो गैर कांग्रेसी-गैर भाजपाई महागठबंधन बनाना चाहते हैं। नागपुर में अरविन्द केजरीवाल की यह घोषणा उन मतदाताओं के बिखराव को रोकने का एक प्रयास भी माना जा रहा है जो भाजपा को सत्ता से हटाना तो चाहते हैं लेकिन उन्हंे बेहतर विकल्प नहीं मिल पा रहा है। केजरीवाल ने सब्सिडी कल्चर का भी समर्थन किया क्यों उन्हांेने देखा है भाजपा को भी इसका चुनावी लाभ मिला है। प्रधानमंत्री सम्मान निधि ने भाजपा के लिए वोट बटोरे हैं, इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन अर्थशास्त्री इस सब्सिडी की राजनीति को हानिकारक बता रहे हैं। ममता बनर्जी और के. राजेश्वर राव भी मोर्चेबन्दी कर रहे हैं। राव इसी साल फरवरी में शरद पवार व उद्धव ठाकरे से मिले थे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने विपक्षी एकता को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए किसी भी महागठबंधन में शामिल होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि उनका गठबंधन केवल 130 करोड़ भारतीयों के साथ होगा।नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि वह बहुदलीय गठबंधन को कभी नहीं समझ सकते हैं और किसी भी गठजोड़ में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं पता कि राजनीति कैसे करनी है और मुझे उनके 10 या अधिक दलों के गठबंधन और किसी को हराने के लिए बनने वाले गठबंधन की समझ नहीं है। मैं किसी को हराना नहीं चाहता, मैं चाहता हूं कि देश जीत जाए।
कुछ राज्यों और यहां तक कि देश को वित्तीय अस्थिरता की ओर ले जाने की चिंताओं की पृष्ठभूमि में केजरीवाल ने कहा कि इस तरह की आशंकाएं निराधार हैं। उन्होंने कहा, “ये सभी अर्थशास्त्री लिख रहे हैं कि सब्सिडी कल्चर देश को तबाह कर देगी। उन्होंने कभी नहीं लिखा कि भ्रष्टाचार की संस्कृति देश को तबाह कर देगी। मैं चीजें मुफ्त में दे पा रहा हूं क्योंकि हमने भ्रष्टाचार खत्म कर दिया है। इसलिए बचाया जा रहा पैसा लोगों को वापस कर दिया जाता है।” भाजपा का नाम लिए बिना दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि वर्तमान में एक बड़ी पार्टी गुंडागर्दी, दंगों की साजिश कर रही है। बलात्कारियों के लिए स्वागत जुलूस निकाल रही है। उन्होंने कहा, देश इस तरह की गुंडागर्दी से आगे नहीं बढ़ सकता। अगर आप गुंडागर्दी और दंगे चाहते हैं तो आप उनके साथ जा सकते हैं, लेकिन अगर आप प्रगति चाहते हैं, स्कूल और अस्पताल चाहते हैं तो आप मेरे साथ आ सकते हैं। आइए 130 करोड़ आम लोगों का गठबंधन बनाएं।
केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी का ध्यान 2024 के लोकसभा चुनावों पर नहीं बल्कि देश के लिए काम करने पर है। उन्होंने कहा कि उनके जैसे लोग अपना करियर छोड़कर देश की सेवा करने आए हैं।पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्य को पुनर्जीवित करने की यात्रा शुरू हो गई है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास कई नेता कर रहे हैं। भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने में जुटीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गत दिनों केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की और वैश्विक निवेशकों को आमंत्रित करने की कोशिश के तहत राज्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर उनके साथ चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि बनर्जी ने इस मुलाकात के दौरान, ताजपुर में गहरे समुद्र के बंदरगाह समेत लंबित सड़क तथा परिवहन परियोजनाओं पर बातचीत की। बनर्जी, केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के लिए वार्ता की शुरूआत करने को लेकर दिल्ली में थी। कोलकाता से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित बंदरगाह में 15,000 करोड़ रुपये का निवेश होने की उम्मीद है और इसके पूरा होने पर पश्चिम बंगाल में रोजगार के 25,000 नए अवसर पैदा हो सकते हैं। ममता बनर्जी ने पेट्रोलियम, विमानन, रेलवे और वाणिज्य जैसे अहम विभागों के मंत्रियों से भी मुलाकात की। गडकरी के कार्यालय ने ट््वीट किया, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ राज्य में विभिन्न सड़क परियोजनाओं की समीक्षा की।’’ तृणमूल कांग्रेस
अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण के तहत पश्चिम बंगाल में ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर केंद्रीय मंत्री को एक रिपोर्ट भी सौंपी। ममता बनर्जी राज्य के विकास को प्राथमिकता दे रही हैं।
उधर, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मुंबई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रई उद्धव ठाकरे के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। यह भेंट भाजपा की कथित ‘जन विरोधी’ नीतियों के लिए उनके अभियान का हिस्सा है। राव को ‘केसीआर’ के नाम से भी जाना जाता है। टीआरएस के सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात के बाद राव ने उनके साथ दोपहर का भोजन भी किया। ठाकरे से मुलाकात के बाद राव पवार के आवास गए। राष्ट्रीय राजनीति से संबंधित मुद्दों पर यहां गहन चर्चा हुई। राव उसी दिन हैदराबाद लौट गये। महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के अध्यक्ष ठाकरे ने पिछले हफ्ते राव को फोन किया था और उन्हें मुंबई आमंत्रित किया था। ठाकरे ने भाजपा की कथित जनविरोधी नीतियों के खिलाफ और संघीय भावना को बनाए रखने के लिए राव की लड़ाई को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने पहले ही साफ कर दिया था है कि राव से मिलने के बाद इस मुद्दे पर भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी। राव के प्रयासों की सराहना करते हुए ठाकरे ने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने देश को विभाजनकारी ताकतों से बचाने के लिए सही समय पर आवाज उठाई है। पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के अध्यक्ष एच डी देवेगौड़ा ने भी हाल में राव को फोन किया था और उनकी लड़ाई को समर्थन दिया था। राव ने देवेगौड़ा से कहा था कि वह बेंगलुरू आकर उनसे इस मुद्दे पर बातचीत करेंगे। इस प्रकार केजरीवाल ने देख लिया कि कोई एक विकल्प नहीं बन रहा है। (हिफी)

 

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