लेखक की कलम

केजरीवाल भी निकले मिशन पर

 

बिहार में आठवीं बार मुख्यमंत्री बनने वाले नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ लेने के बाद कहा था कि वे देश भर में विपक्ष को मजबूत करेंगे। हालांकि उन्होंने अपनी नेकनीयती का भी खुलासा किया और कहाकि पीएम अर्थात प्रधानमंत्री पद की दौड़ में उनकी कोई रूचि नहीं है। अब इसे संयोग कहें अथवा राजनीति का खेल कि वही भाजपा नीतीश के पीछे पड़ गयी है जो कल तक उनके साथ सरकार में शामिल थी। नीतीश ने राजद के कोटे से कार्तिकेय सिंह को कानून मंत्री बनाया है। भाजपा का आरोप है कि कार्तिकेय के खिलाफ अपहरण के मामले में पटना हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर हाजिर होने का आदेश दिया था। उनको 16 अगस्त तक कोर्ट में हाजिर होना था। इससे पहले ही दानापुर के एडीजे ने कार्तिकेय को क्लीन चिट दे दी। नीतीश इसके बाद विपक्ष को एक करेंगे अथवा अपने को बचाएंगे? इसी बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी मेकइंडिया नम्बर-1 मिशन पर निकल पड़े हैं। इस मिशन में वह विपक्ष को जोड़ेंगे। केजरीवाल और नीतीश कुमार से पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी ऐसे ही अभियान पर निकल पड़ी थीं। इसी बीच उनके मंत्री पार्थ चटर्जी की महिला मित्र के फ्लैट से प्रवर्तन निदेशालय ने करोड़ो रूपये बेनामी सम्पत्ति के रूप में बरामद किये। ममता बनर्जी का मिशन ठण्डा पड़ गया। अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ भी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी एक लिस्ट लेकर सामने आ गये हैं। यह संकेत है कि विपक्ष के नेताओं को मिशन लेकर चलना आसान नहीं होगा।
देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सभी लोगों को जुड़कर काम करने की अपील की और पांच प्रण दिलवाए। अरविन्द केजरीवाल ने भी कहा है कि उन्हें देश के 130 करोड़ लोगों को जोड़कर भारत को नम्बर वन बनाना है। वे कहते हैं कि हमारे देश के लोगों में क्रोध है और सवाल है कि 75 साल में कई देश आजाद हुए और आगे निकल गये। केजरीवाल विपक्षी दलों के नेताओं के साथ सत्तारूढ़ दल के नेताओं को भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। वह कहते हैं कि अगर हम इस देश को इन नेताओं के भरोसे छोड़ देंगे तो हम और पिछड़ जाएंगें। इसलिए मैं अपील करता हूं कि देश के 130 करोड़ लोग इस राष्ट्र मिशन के साथ जुड़ें। जिस दिन यह संभव होगा, उस दिन देश को नम्बर एक बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। केजरीवाल कहते हैं कि इस मिशन का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए हम भाजपा, कांग्रेस, इस पार्टी, उस पार्टी अर्थात सभी लोगों से अपील करना चाहता हूं कि इस मिशन से जुड़ें।
अरविन्द केजरीवाल कहते हैं कि मैं सभी राष्ट्रभक्तों से अपील करता हूं कि वे इससे जुड़ें। हमें अब लड़ाई नहीं लड़नी है। हमने 75 साल लड़ाई में निकाल दिये। भाजपा कांग्रेस से लड़ रही है तो कांग्रेस आप से लड़ रही है। इसी लड़ाई के चलते 75 सालों में कई छोटे-छोटे देश हमारे बाद आजाद होकर भी हमसे आगे निकल गये। केजरीवाल ने भी पीएम मोदी की तर्ज पर पांच कार्य निर्धारित किये हैं। ये कार्य हैं – फ्री शिक्षा, फ्री इलाज, युवाओं को रोजगार, महिलाओं को सम्मान और किसानों के लिए काम। केजरीवाल कहते हैं कि आखिर क्या कारण है कि आज किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता? हमें ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि किसानों को फसल का पूरा दाम मिले और किसान का बेटा गर्व से कहे कि हमें भी किसान बनना है।
शिक्षा को केजरीवाल प्रमुखता देते हैं। दिल्ली में इस पर उनकी सरकार ने कार्य किया है। केजरीवाल कहते है कि हमें देश के 27 करोड़ बच्चों के लिए अच्छी और फ्री शिक्षा का इंतजाम करना होगा। हम यह नहीं कह सकते कि पहाड़ों या आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल खोलने में दिक्कत है। इसके लिए जितना भी खर्च करना हो, करना पड़ेगा। एक-एक बच्चा एक-एक परिवार को गरीब से अमीर बना देगा। केजरीवाल कहते है कि दूसरा काम हमें मुफ्त में स्वास्थ्य सुविधाएं देने का करना होगा। दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक की व्यवस्था की गयी। कल्याण कारी राज्य का यह दायित्व भी है कि हर व्यक्ति को मुफ्त में अच्छा इलाज मिले। युवा शक्ति को लेकर तो सभी राजनीतिक दल लम्बे-लम्बे भाषण देते है लेकिन बेरोजगारी का ठोस उपाय नहीं किया जा सका। इसके चलते अपराध भी बढ़े हैं। केजरीवाल का मानना है कि हमारी युवा शक्ति सबसे बड़ी ताकत है। बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हैं। एक-एक युवा के लिए हमें रोजगार का इंतजाम करना होगा। इसी प्रकार सुरक्षा देना भी सरकार का दायित्व है। महिलाओं का केजरीवाल ने विशेष रूप से उल्लेख किया है और कहा कि हर महिला को सम्मान मिलना चाहिए, सुरक्षा और बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए। महिलाओं के प्रति संकीर्ण सोच के बारे में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी लालकिले की प्राचीर से संबोधन में सचेत किया था हालांकि उनके निशाने पर अधीर रंजन थे।
इस प्रकार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के पांच लक्ष्य अपने आप में स्वतः महत्वपूर्ण हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि ये कार्य सभी लोगों को मिलकर करने होंगे लेकिन सरकार अर्थात सत्ता रूढ़ दल की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है। केजरीवाल ने राजनीतिक दलों की लड़ाई की जो बात कही है, उसे कैसे रोका जा सकता है? भाजपा पिछले आठ साल से लगातार केन्द्र में सरकार चला रही है। इस बीच ज्यादातर राज्यों में भी भाजपा की ही सरकारें हैं। सत्ता प्राप्त करना सभी राजनीतिक दल अपना अधिकार समझते हैं और इसके बाद सत्ता को बरकरार रखना भी चाहते हैं। कई राज्यों में तो नैतिकता को ताख पर रखकर सत्ता हथियाई गयी। इसी प्रक्रिया में एक-दूसरे को कठघरे में खड़़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। भाजपा की केन्द्र में सरकार है, इसलिए उसपर सीबीआई और ईडी जैसी संवैधानिक संस्थाओं के दुरूपयोग का भी आरोप लगाया जाता है लेकिन ईडी, सीबीआई अथवा आयकर विभाग के छापे में अवैध सम्पत्ति बरामद होती है तो इस कार्यवाही को अनुचित नहीं कहा जा सकता। इस प्रकार के काफी अपराधी शिकंजे में नहीं फस रहे हैं अथवा जानबूझ कर उनको नजरंदाज किया जा रहा है तो इसका कोई उपाय जरूर सोचा जाना चाहिए।
अरविन्द केजरीवाल ने मुफ्त की सुविधाओं को वकालत की है। उन्होंने मुफ्त शिक्षा, मुफ्त चिकित्सा की बात कही तो यह उचित है लेकिन देश की सबसे बड़ी अदालत अर्थात सुप्रीमकोर्ट ने मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की जिस घातक परम्परा का उल्लेख किया है, उससे तात्पर्य रोजगार भत्ता, कर्जमाफी, लैपटाॅप टीवी सेट, सोने का हार आदि को बांटकर वोट प्राप्त करने से है। केजरीवाल को इस पर भी अपने विचार रखने चाहिए। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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