लेखक की कलम

अमृत महोत्सव की अलख

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

सदियों की गुलामी के बाद भारत को आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। स्वतंत्रता को पाने के लिए हजारों सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुतियां देकर इसे हासिल किया है। भारत का इतिहास क्या रहा, इसके बारे में आज की युवा पीढ़ी को अवगत करवाना बहुत जरूरी है। आज की युवा पीढ़ी इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और नैतिक मूल्यों से दूर होती जा रही है। इतिहास वह सुर्ख पन्ने हैं जिसे संजोकर रखना प्रत्येक मनुष्य का प्रथम दायित्व बनता है।

स्वतंत्रता संग्राम की अनेक घटनाओं को ब्रिटिश शासन एवं इतिहासकारों ने नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया था। आजादी के बाद भी उन्हें उसी रूप में स्वीकार किया गया। काकोरी की घटना को डकैती का रूप अंग्रेजों ने दिया था जबकि यह ब्रिटिश सत्ता द्वारा किये जा रहे आर्थिक शोषण को एक प्रकार की चुनौती थी। आजादी के इतने वर्ष बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस घटना को सम्मानजनक नाम दिया। इसे काकोरी ट्रेन एक्शन नाम दिया गया। यह अंग्रेजों के विरुद्ध एक्शन ही था। इसलिए गोविंद बल्लभ पंत जैसे अनेक सेनानियों ने एक्शन में शामिल क्रांतिकारियों के मुकदमे लड़े। उन्होंने इनके बचाव हेतु पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ वायसराय को पत्र लिखा था। इसी प्रकार चैरी चैरा घटना को केवल हिंसक रूप में ही प्रस्तुत किया गया। इसके पीछे ब्रिटिश सत्ता द्वारा किसानों के शोषण एवं आंदोलन के संदर्भ को उपेक्षित छोड़ दिया गया। इस पर भी चर्चा नहीं हुई कि ब्रिटिश सरकार द्वारा आरोपी बनाए गए लोगों की पैरवी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी ही कर रहे थे। अमृत महोत्सव के माध्यम से देश की वर्तमान पीढ़ी ऐसे अनेक तथ्यों से परिचित हो रही है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारे क्रांतिकारियों के बलिदान से काकोरी एक तीर्थस्थल के रूप में स्थापित होते हुए लोकपूज्य बन गया है। सदियों की गुलामी के बाद भारत को आजादी ऐसे ही नहीं मिली है। स्वतंत्रता को पाने के लिए हजारों सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुतियां देकर इसे हासिल किया है। भारत का इतिहास क्या रहा, इसके बारे में आज की युवा पीढ़ी को अवगत करवाना बहुत जरूरी है। आज की युवा पीढ़ी इतिहास, सभ्यता, संस्कृति और नैतिक मूल्यों से दूर होती जा रही है। इतिहास वह सुर्ख पन्ने हैं जिसे संजोकर रखना प्रत्येक मनुष्य का प्रथम दायित्व बनता है। देश को आजाद हुए 75 वर्ष होने वाले हैं। केंद्र सरकार के आह्वान पर जिस तरह इस बार आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है, वह काबिले तारीफ है। राज्य सरकारें प्रत्येक घर में तिरंगा झंडा फहराने को लेकर आजकल अभियान पूरे जोरों-शोरों से चलाए हुए हैं। राष्ट्र प्रेम से ओत-प्रोत भारतीय लोगों के घर-घर जाकर इस आजादी का जश्न मनाते हुए घरों में तिरंगा झंडा फहरा रहे हैं। भारतीय ध्वज का सम्मान सिर्फ अपने ही देश में नहीं किया जाता है। विदेशों में भी भारतीय ध्वज अन्य देशों सहित लहराता हुआ भारत की विदेश नीति से अवगत करवाता है। झंडा किसी भी देश का हो, उसका आदर पूर्वक सम्मान किया जाना प्रत्येक नागरिक का दायित्व बनता है। किसी देश के झंडे की शान के खिलाफ कुछ भी किया जाना गैर कानूनी है। आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न व प्रत्येक घर में झंडा फहराने का अभियान सराहनीय है। इस बात को भी सुनिश्चित करना बहुत जरूरी बन जाता है कि इस उत्सव के बाद झंडे का सम्मान बरकरार रहना चाहिए। अक्सर देखने में आता है कि समारोह खत्म होते ही झंडे इधर-उधर बिखरे पड़े होते हैं। समारोह के बाद प्रत्येक नागरिक का दायित्व बनता है कि राष्ट्रीय ध्वज को संभालकर रखे जिससे उसकी शान में कोई लापरवाही न बरती जाए। भारतीय संविधान, राष्ट्रीय गान, राष्ट्रीय पक्षी और ध्वज का सम्मान किया जाना प्रत्येक भारतीय का फर्ज है। भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार एकता और अखंडता पर आधारित है। धर्म निरपेक्षता इसकी सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक है। आजादी उत्सव मनाए जाने का एकमात्र यही उद्देश्य है कि भारत की 135 करोड़ जनता आपस में एकजुट होकर इसे मनाए। आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के कई कारण हैं। अंग्रेजों की गुलामी से देश की जनता को आजादी मिली। देश को आजाद करवाने में जिन सपूतों ने अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए, उनके बलिदानों को स्मरण किया जाए। भारत को 75 वर्ष का सफर तय करने में किन चुनौतियों व कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है, इसे याद किया जाना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी आजादी के संघर्ष और लोकतंत्र के महत्व को पूरी तरह नहीं जानती और कई विचारधाराओं में बंटी हुई है। कुछेक युवा गुमराह होकर गलत दिशा की ओर अग्रसर हो रहे हैं जिसे रोकना बहुत जरूरी है।
योगी ने काकोरी शहीद स्मारक में ‘काकोरी ट्रेन एक्शन’ की वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। लखनऊ के काकोरी का यह क्षेत्र जिसमें देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले क्रांतिकारियों ने ट्रेन में खजाने के रूप में जा रहे, 4,679 रुपये को रोककर ले लिया था। उस समय ब्रिटिश सरकार ने 4,679 रुपये के लिए क्रांतिकारियों को गिरफ्तार करने हेतु 10 लाख रुपये से अधिक खर्च कर दिए थे। पं राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी की घटना को अंजाम दिया गया था। अशफाक उल्ला खां,रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को क्रमशः गोण्डा, फैजाबाद और नैनी जेल में अलग-अलग रखा गया। क्रांति की यह लौ कभी बुझी नहीं। अमृत महोत्सव के अंतर्गत भाजपा के तिरंगा अभियान का भी राजधानी लखनऊ से योगी आदित्यनाथ ने शुभारंभ किया था। योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से हर घर तिरंगा अभियान सफलता की ओर अग्रसर है। इस क्रम में उन्होने अपने सरकारी आवास पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के अन्तर्गत बाइक रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया था इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देश आजादी के अमृत महोत्सव की भव्य तैयारी कर रहा है। तिरंगा यात्रा जनजागरूकता का शसक्त माध्यम बन चुका है। जो राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत अपने राष्ट्रीय प्रतीकों के प्रति हम सबके मन में श्रद्धा और सम्मान का भाव जागृत कर रहा है। यह देश के अमर सपूतों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करने का अवसर है। भाजपा के तिरंगा अभियान के अंतर्गत नौ और दस अगस्त के लिए प्रदेश के सभी मंडलो में तिरंगा यात्रा निकाली गई थी। इसमें व्यापक जन सहभागिता हुई थी।
ग्यारह व बारह अगस्त को महापुरुषों की प्रतिमा स्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाया गया. इसके बाद अगले तीन दिन तक हर घर तिरंगा अभियान की अलख दिखाई देगी। (हिफी)

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