लेखक की कलम

मोदी की नजर में महाकुंभ

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरति देखी तिन तैसी- ठीक इसी तरह गत 13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज मंे आयोजित महाकुंभ के आयोजन को बहुत सारे श्रद्धालुओं ने समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत की कुछ बूंदों को डुबकी लगाकर पाने का प्रयास किया तो कई लोगों ने संत समागम का अमृत चखा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 18 मार्च को संसद मंे 1857 के स्वाधीनता संग्राम, भगत सिंह की शहादत, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा की तरह भारतीय इतिहास का मील का पत्थर बताया। पीएम मोदी ने महाकुंभ के आयोजन को भारत की मजबूत होती एकता से जोड़ा। उत्तर प्रदेश, जहां यह विराट आयोजन सम्पन्न हुआ, वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा कि इस आयोजन ने वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया है। अमृत कैसा होता है, यह हमने नहीं देखा लेकिन सुना है कि इसका सेवन करने वाला अमर हो जाता है अर्थात् उसकी मृत्यु नहीं होती। फिलहाल तो जड़ और जीवन मंे कुछ भी अमर नहीं दिख रहा है, इसलिए परस्पर सौहार्द और अटूट आस्था एक परिवार जैसी भावना जगाती है। लगभग डेढ़ महीने तक चले महाकुंभ ने अगर लोगों में अटूट विश्वास, सामूहिक संकल्प और एक दूसरे से सहयोग की भावना पैदा की है तो यह भी किसी अमृत से कम नहीं है। पीएम मोदी ने संसद मंे अपनी इच्छा से यह वक्तव्य दिया था, इसलिए संसदीय परम्परा के अनुसार इस पर विपक्षी नेताओं को सवाल पूछने का अधिकार नहीं था। लोकसभा अध्यक्ष ने इसका खुलासा भी किया। इसलिए विपक्षी नेताओं का आक्रोश उचित नहीं है। इसकी जगह उनको भी महाकुंभ जैसे आयोजन से देश में एकता की भावना बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए जिसकी आज बहुत जरूरत है। महाकुंभ मंे साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी देखने को मिली। धर्मेन्द्र ने संगम में डुबकी लगायी तो शाहरुख खान भी संगम नहाने गये थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 मार्च को लोकसभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने सबसे पहले महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए लोगों को आभार जताया। इसके बाद पीएम मोदी ने कहा कि गंगा जी को धरती पर लाने के लिए भागीरथ का प्रयास लगा था। वैसा ही प्रयास हमने इस बार महाकुंभ में भी देखा। पूरे विश्व ने जब महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए। सबके प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है। ये जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पों के लिए, जनता जनार्दन के संकल्पों से प्रेरित महाकुंभ था। मोदी ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं। इसमें एकता का अमृत निकाला है। इस आयोजन में देश के हर क्षेत्र और हर कोने से आकर लोग एक हो गए। लोग अहम् से वयम् के भाव में एक हुए। पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ विरासत से जुड़ने की पूंजी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ को जनता-जनार्दन का, जनता-जनार्दन से प्रेरित और जनता-जनार्दन का आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में हमने राष्ट्रीय चेतना के विराट रूप के दर्शन किए। मैं प्रयागराज महाकुंभ को एक अहम पड़ाव के रूप में देखता हूं, जिसमें जागृत होते देश का प्रतिबिंब दिखता है। हमने करीब डेढ़ महीने तक भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग का अनुभव किया। कैसे चिंता से ऊपर उठ श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जुटे। ये हमारी बहुत बड़ी ताकत है। मोदी ने कहा मैं देशभर के श्रद्धालुओं, यूपी की जनता, विशेषतौर पर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं। मैं ये भी देख रहा हूं कि पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे संस्कारों के आगे बढ़ना का क्रम सहजता से आगे बढ़ रहा है। भारत का युवा अपनी परंपरा, आस्था और श्रद्धा को पूरे गर्व के साथ अपना रहा है। जब विरासत पर गर्व का भाव बढ़ता है तो हम ऐसी ही भव्य तस्वीरें देखते हैं जो हमने महाकुंभ में देखीं। जिससे भाईचारा बढ़ता है। जब अलग-अलग भाषा बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं तो एकता की भावना बढ़ती है, हमनें देखा है कि वहां छोटे बड़े का कोई भेद नहीं था। एकता का अद्भुत तत्व हमारे अंदर रचा-बसा है। एकता की यही भावना भारतीयों का बहुत बड़ा सौभाग्य है, जब पूरी दुनिया में बिखराव है। एकजुटता का ये प्रदर्शन भारत की विशेषता है। इसी का विराट रूप हमने प्रयागराज में देखा है। हमारा दायित्व है कि एकता में अनेकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें।
महाकुंभ पर पीएम मोदी ने जैसे ही अपना संबोधन खत्म किया, विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। सदन में उस वक्त नेता विपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे। दरअसल विपक्षी सांसद महाकुंभ पर पीएम मोदी के बयान पर सवाल पूछने की मांग कर रहे थे। इस पर नियम 372 समझाते हुए स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि नियम पढ़ लिया करें। यह नियम है कि प्रधानमंत्री और मंत्री स्वेच्छा से बयान देते हैं और उसमें यह भी नियम है कि उनके स्टेटमेंट के बाद कोई सवाल नहीं होता है।
पीएम ने महाकुंभ की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए उन तत्वों पर भी कड़ा प्रहार किया जिन्होंने महाकुंभ को लेकर नकारात्मक बातें कीं। मोदी ने कहा कि महाकुंभ के सफल आयोजन ने उन शंकाओं को भी उचित जवाब दिया है जो हमारे सामर्थ्य को लेकर कुछ लोगों के मन में रहती है। प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की तुलना भारतीय इतिहास के मील के पत्थरों से की। उन्होंने कहा कि हर राष्ट्र के जीवन में ऐसे पल आते हैं जब सदियों के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। प्रयागराज महाकुंभ को ही ऐसे ही पड़ाव के रूप में देखता हूं जिसमें जागरूक होते हुए देश का प्रतिबिंब नजर आता है।पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ पर सवाल उठाने वालों को सफल महाकुंभ एक जवाब है। पीएम मोदी ने कहा कि पिछले वर्ष अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हम सभी ने ये महसूस किया था कि कैसे देश अगले 1000 वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इसके ठीक एक साल बाद महाकुंभ के इस आयोजन ने हम सभी के इस विचार को और दृढ़ किया है। देश की यह सामूहिक चेतना, देश का सामर्थ्य बताती है। किसी भी राष्ट्र के जीवन में, मानव जीवन के इतिहास में भी अनेक ऐसे मोड़ आते हैं जो सदियों के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बन जाते हैं। हमारे देश के इतिहास में भी ऐसे पल आए हैं जिन्होंने देश को नई दिशा दी, देश को झकझोर कर जागृत कर दिया।पीएम ने लोकसभा में कहा कि जैसे भक्ति आंदोलन के कालखंड में हमने देखा कि कैसे देश के कोने-कोने में आध्यात्मिक चेतना उभरी। स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में एक सदी पहले जो भाषण दिया, वो भारत की आध्यात्मिक चेतना का जयघोष था, उसने भारतीयों के आत्मसम्मान को जगा दिया था। मैं प्रयागराज महाकुंभ को भी ऐसे ही
एक अहम पड़ाव के रूप मंे देखता
हूं। (हिफी)

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