लेखक की कलम

जी-7 में मोदी का कद

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले ग्रुप-सात के देशों की बैठक जी-7 में  भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी वाक्पटुता का बखूबी परिचय दिया। उन्हांेने उन गरीब देशों का मनोबल बढ़ाया जिनको हेय दृष्टि से देखा जाता है। विकसित देश इनकी मदद करने के साथ उपहास भी उड़ाते हैं और तरह-तरह से बदनाम भी करते हैं। पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों मंे कहा कि प्रदूषण फैलाने मंे गरीब देश आगे नहीं हैं बल्कि अमीर देश ही ज्यादा जिम्मेदार हैं। इसी के साथ जी-7 देशों के बीच पीएम मोदी का कद उस समय काफी बड़ा नजर आया जब दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन मोदी से मिलने के लिए खुद चलकर आए। बाइडेन ने मोदी के कंधे पर पीछे से हाथ रखकर अपनी मौजूदगी और मोदी की महानता का अहसास कराया। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रो ने भी जिस तरह चाय की चुस्की लेते हुए पीएम मोदी से वैश्विक विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता की, उससे भी यही लगा कि हमारे प्रधानमंत्री का विश्व के नेताओं जी-7 में मोदी का कद कद काफी ऊंचा है। यूक्रेन युद्ध पर भी इसीलिए मोदी को बहुत
ध्यान से सुना गया।
मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत के बढ़ते कद का एक शानदार नजारा देखने को मिला। एक वीडियो सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि ग्रुप फोटो से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन खुद चलकर पीएम मोदी के पास आते हैं और उनका अभिवादन करते हैं। इस दौरान पीएम मोदी भी उनसे गर्मजोशी से मिलते हैं। बता दें कि जिस अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करने के लिए दुनियाभर के मुल्कों के राष्ट्राध्यक्ष महीनों का इंतजार करते हैं, वे पीएम मोदी से हाथ मिलाने खुद दौड़े आएं। वीडियो में दिख रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से बात कर रहे थे, इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन उनसे मिलने के लिए खुद चलकर आए। उन्होंने पीएम मोदी के कंधेे पर पीछे से हाथ रखकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया, जिसके बाद दोनों नेताओं ने हाथ मिलाकर गर्मजोशी से एक दूसरे का अभिवादन किया। मोदी-बाइडेन मुलाकात के इस वीडियो की जमकर चर्चा हो रही है। लोगों का मानना है कि यह भारत के बढ़ते वैश्विक कद का प्रतीक है। भारत ने रूस-यूक्रेन संकट, कोविड महामारी और दूसरे मसलों में जैसी कूटनीति की है, उसका अमेरिका भी कायल है। यही कारण है कि जो बाइडेन पीएम मोदी को इतना महत्व देते नजर आ रहे हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान जब पूरी दुनिया अलग-अलग ध्रुवों की तरफ खुलकर आ रही थी, उस दौरान भारत ने संतुलन को बनाए रखा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद रूस से भारी मात्रा में तेल आयात किया और अमेरिका को भी इससे कोई परेशानी नहीं हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी7 समूह के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिन की यात्रा पर जर्मनी में थे। इस दौरान पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों से भी मुलाकात की और दोनों नेताओं ने चाय पर विभिन्न द्विपक्षीय और वैश्विक विषयों पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने श्लोस एल्माउ में जी-7 सम्मेलन से इतर चाय पर चर्चा की। इससे पहले मोदी और मैक्रों ने सामूहिक फोटो खिंचने के बाद एक दूसरे को गले लगाया और चर्चा की।
जी-7 के सदस्य देशों के नेताओं के सम्मेलन स्थल की ओर जाने के बाद दोनों नेता बातचीत करते रहे और साथ में सम्मेलन स्थल की ओर गए। जी-7 कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन का अंतर-सरकारी राजनीतिक समूह है। सम्मेलन के मेजबान देश जर्मनी ने भारत के अलावा अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका को सम्मेलन में अतिथि देशों के तौर पर आमंत्रित किया था। मोदी जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज के निमंत्रण पर दक्षिण जर्मनी के श्लोस एल्माउ में आयोजित जी7 सम्मेलन में भाग ले रहे थे। जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपनी स्थिति सपष्ट कर दी। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिखर सम्मेलन की एक बैठक के दौरान कहा कि, दोनों देशों के बीच दुश्मनी का अंत होना चाहिए। दोनों देशों को बातचीत और कूटनीति के जरिए सभी मसले सुलझाने चाहिए।
सम्मेलन के बाद एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख के सवाल का जवाब देते हुए विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा कि, रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री ने भारत की स्थिति स्पष्ट कर दी है जिसमें कहा गया है कि दोनों देशों को आपसी दुश्मनी को खत्म करना चाहिए। मौजूदा हालातों को ठीक करने के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाना चाहिए। गौरतलब है कि फरवरी में शुरू हुए दोनों देशों के बीच युद्ध के बाद पीएम मोदी कई बार युद्ध को रोकने और शांति और बातचीत के माध्यम से सभी मसले सुलझाने की बात कह चुके हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से बात करके युद्ध को रोकने और बातचीत में मध्यस्थता करने का भी सुझाव दिया है।
विदेश सचिव क्वात्रा ने बताया कि इस शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी दुनिया में पैदा हुए खाद्य संकट को लेकर भी चिंतित थे, जिसको लेकर उन्होंने तमाम नेताओं से बात की। विदेश सचिव ने कहा, पीएम मोदी ने विश्व के नेताओं के साथ पूर्वी यूरोप में घट रही घटनाओं से खाद्य सुरक्षा पर पैदा हुए संकट पर कमजोर देशों पर पड़ने वाले असर और उससे होने वाली समस्याओं पर भी बात की।
जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज ने दक्षिणी जर्मनी में शिखर सम्मेलन में उनका स्वागत किया। समूह फोटो के लिए कनाडा के अपने समकक्ष ट्रूडो के बगल में खड़े प्रधानमंत्री मोदी को भी कनाडा के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करते देखा गया। मोदी और मैक्रों आपस में गले मिले और समूह फोटो के बाद बातचीत की। जैसे ही जी-7 के नेता शिखर सम्मेलन स्थल के अंदर गए, दोनों नेताओं ने अपनी चर्चा जारी रखी और एक साथ अंदर चले गए। प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका में अपने दोस्त जो बाइडन के लिए खास ब्रोच और कफलिंक लेकर गए थे। उन्होंने बाइडन को वाराणसी की गुलाबी मीनाकारी वाला ब्रोच और कफलिंक उपहार में दिया। मिस्टर एंड मिसेज बाइडन के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने मिलता जुलता ब्रोच बनवाया था। लखनऊ के खास जरदोजी बॉक्स में इत्र की बोतलें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को उपहार में दीं। जरदोजी बॉक्स को फ्रांसीसी राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में खादी रेशम से हाथ से कढ़ाई कर सजाया गया था। जापान के पीएम फुमियो किशिदा को प्रधानमंत्री ने विश्व प्रसिद्ध काली मिट्टी के बर्तन गिफ्ट किए हैं। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के निजामाबाद कस्बे में मुगलकाल से ही काली मिट्टी के ऐसे बर्तन बनाए जाते है। काली मिट्टी के बर्तनों के इस शिल्प की उत्पत्ति गुजरात के कच्छ क्षेत्र में हुई थी। औरंगजेब के शासन के दौरान क्षेत्र के कुछ कुम्हार निजामाबाद चले गए। इस मिट्टी से बने पात्रों का पैटर्न इलाहाबाद के बिदरीवेयर से प्रेरित है, जिसके अंतर्गत चांदी के तारों का उपयोग करके बर्तनों को सजाया जाता हैं। पीएम मोदी ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को डोकरा कलाकृति भेंट की। यह कला छत्तीसगढ़ की है। मध्य भारत के छत्तीसगढ़ राज्य की यह विशेष कलाकृति रामायण विषय पर आधारित है। कलाकृति में प्रमुख पात्र भगवान श्रीराम हैं जो लक्ष्मण, देवी सीता और भगवान हनुमान के साथ एक हाथी की सवारी करते हैं। डोकरा कला अलौह धातु की ढलाई कला है जिसमें मोम की खोई हुई ढलाई तकनीक का उपयोग होता है। इस प्रकार की धातु की ढलाई का उपयोग भारत में 4,000 से अधिक वर्षों से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जेंटीना के राष्ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज को छत्तीसगढ़ की नंदी-थीम वाली डोकरा कलाकृति भेंट की। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button