रहस्यमय शिव

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
वाराणसी कोर्ट को ज्ञानवापी मामले मंे बताया गया है कि अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर शिवलिंग मिला है। इसी के तहत कोर्ट ने संबंधित स्थान/क्षेत्र को सील करने का आदेश दिया। आदेश मंे कहा गया है- वाराणसी के जिलाधिकारी को आदेश दिया जाता है कि वह उस स्थान को तत्काल सील कर दें जहां शिवलिंग पाया जाता है और सील की गयी जगह मंे किसी भी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित है।
आजकल उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी श्रंगार गौरी परिसर की वीडियोग्राफी की देश ही नहीं विदेश मंे भी चर्चा हो रही है। वाराणसी के सिविल कोर्ट ने 12 मई को दोनों पक्षों की लम्बी सुनवाई के बाद परिसर मंे वीडियो सर्वे की अनुमति दी गयी थी और 17 मई को अधिवक्ता कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी थी जो अधूरी होने के चलते निर्धारित समय पर पेश नहीं हो सकी। इस बीच सर्वे के दौरान हिन्दू पक्ष के लोग शिवलिंग मिलने और मुस्लिम पक्ष के लोग उसे मुगलकालीन फव्वारा बता रहे हैं। मामला अदालत के अधीन है तो इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है। हमारे देश मंे इस संदर्भ मंे भी एक कानून है जो 1991 मंे विवादित धार्मिक स्थलों को लेकर ही बनाया गया था। इसके अलावा जहां तक भगवान शिव की बात है तो वे बहुत ही रहस्यमय देवता हैं। उनको देवादिदेव अर्थात् सबसे प्रथम देवता कहा गया है। ऐतिहासिक साक्ष्य हैं कि रोम के लोग भी शिवलिंग की उपासना करते थे। स्पीकिंग ट्री के अनुसार रोमनों ने यूरोपीय देशों मंे शिवलिंग की पूजा की शुरुआत की थी। मेसा पोटानिया के एक प्राचीन शहर बेबीलोन मंे पुरातात्विक खोजों के दौरान शिव की मूर्तियां मिलीं। इसी तरह हड़प्पा और मोहन जो-दारो की पुरातात्विक खोज मंे भी शिवलिंग के अवशेष मिले हैं। हमारे देश मंे भी अनंतकाल से शिव की उपासना हो रही है। भगवान शिव को स्र्वव्यापी और आत्म प्रकाशमान प्रकृति भी बताया गया है। भारत मंे प्राचीनकाल से मंदिर बनाकर उपासना का विधान रहा है और आतताइयों ने मंदिर तोड़े, यह भी एक कटु सत्य है।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी का काम पूरा कर लिया गया। इस बीच, हिंदू पक्ष के एक वकील ने दावा किया कि सर्वे दल को परिसर में नंदी की एक प्रतिमा और एक शिवलिंग मिला है। तीन दिन चले ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे में टीम को बेहद अहम साक्ष्य हाथ लगे हैं। परिसर में आखिरी दिन का काम पूरा करके सर्वे टीम को 17 मई को कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी थी लेकिन रिपोर्ट तैयार नहीं हो पायी। मस्जिद में वजूखाने के पास 25ग25 का तालाब है। इसके बीच मे लगभग 5 फीट व्यास का एक गोला बना हुआ है। सर्वे के दौरान कल जब इसको देखा गया था तब ऐसा लगा था कि वहां एक फब्बारा है लेकिन सर्वे के तीसरे दिन तालाब का पानी निकालने के बाद वहीं पर शिवलिंग होने का दावा किया जा रहा है। इससे पूर्व सर्वे की टीम ज्ञानवापी में गयी थी, तो इस तालाब की गहराई का अंदाजा लिया था। एक अलमुनियम की सीढ़ी मंगाई गयी थी। फिर तालाब के किनारे फब्बारे नुमा चीज तक सीढी लगाई गई थी। एक कर्मचारी को हाथ लगाकर देखने को कहा गया था तो पता चला कि वहां एक गोल पत्थर है। जिस जगह शिवलिंग मिलने की बात की जा रही है वहां पर अंदाज लगाया गया था कि कुछ हो सकता है। इसलिए सर्वे के आखिरी दिन तालाब का पानी खाली कराया गया जिसके बाद शिवलिंग होने का दावा किया गया। हिंदू पक्ष के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जब गुंबद की तरफ सर्वे किया गया तो एक दीवार पर हिन्दू परंपरा के आकार दिखे, जिसे सफेद चूने से रंगा गया है। सर्वे की टीम ने इसकी वीडियोग्राफी की और प्रतीक चिह्न का भी जिक्र किया जिनसे उनकी बात को बल मिल रहा है। सर्वे के दौरान पता चला कि मस्जिद के पश्चिमी हिस्से की एक दीवार है, जिसके पीछे एक खंडहरनुमा अवशेष है। हिंदू पक्ष की मांग है कि मलबा हटाकर वहां का सर्वे किया जाए। हिंदू पक्ष ने मस्जिद में कुछ जगहों पर पुताई पर भी सवाल उठाए हैं।
बहरहाल, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग के चारों तरफ बनी दीवारों को तोड़ने की मांग को लेकर कोर्ट जाने की बात अब हिंदू पक्ष की तरफ से की जा रही है। हिन्दू पक्ष के जितेंद्र सिंह बिसेन ने कहा कि वे शिवलिंग के चारों तरफ बनी दीवार को तोड़ने के लिए कोर्ट के समक्ष प्रार्थना पत्र देंगे। उन्होंने कहा कि दीवार टूटने से यह पता चल सकेगा कि वजूखाने से जो शिवलिंग मिला है वह कितना बड़ा है। गौरतलब है कि परिसर में स्थित नंदी की प्रतिमा से 40 फीट दूर वजूखाने से शिवलिंग मिलने की बात सामने आ रही है। जिसके बाद वकील विष्णु जैन की अर्जी पर कोर्ट ने वजूखाने को सील करने के साथ ही सुरक्षित और संरक्षित करने का निर्देश दिया है।
उधर, शिवलिंग मिलने के दावों पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वजूखाने में जो कुछ मिला है, वह फव्वारा है। मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने इसकी फोटो भी वायरल कर दी है। इसके अलावा मुस्लिम पक्ष के वकील तौहीद की तरफ से वायरल फोटो की ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने पुष्टि की है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मुगल काल की मस्जिदों में वजूखाने के अंदर फव्वारा लगाए जाने की परंपरा रही है। उसी का एक पत्थर सर्वे में मिला है, जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है। गौरतलब है कि हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया जा रहा है कि जो शिव लिंग मिला है वह 12 फीट 8 इंच व्यास का है। उधर, अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद ने ज्ञानवापी मस्जिद में कराए गए सर्वे पर कहा कि सैकड़ों वर्षों से आपात स्थिति में ढके हुए शिव आज पुनः प्रकट हुए हैं। आज जो शिवलिंग मिला है वही स्वयंभू शिव हैं। इस सच्चाई के पुख्ता होने के बाद आज समस्त सनातनी हर्षित हैं। उन्होंने दावा किया कि जो शिवलिंग मिला है वह पन्ना का है इसलिए हरा दिख रहा है।
ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर क्षेत्र की सर्वे और वीडियोग्राफी रिपोर्ट 17 मई को वाराणसी के सिविल कोर्ट में पेश नहीं हो पायी। सहायक अधिवक्ता कमिश्नर अजय सिंह ने बताया कि अभी रिपोर्ट तैयार नहीं पाई है। लिहाजा कोर्ट में अर्जी देकर नई तारीख की मांग की गयी। कोर्ट ने 12 मई को आदेश दिया था कि कोर्ट कमिश्नर 17 मई तक मस्जिद परिसर के चप्पे-चप्पे की वीडियोग्राफी कर रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करें। अधिवक्ता कमिश्नर अजय सिंह ने बताया कि तीन दिन में करीब 12 घंटे तक सर्वे का कार्य किया गया है। शिवलिंग मिलने और वायरल फोटो के सवाल पर अजय सिंह ने कहा कि अभी वे इस मामले में कुछ नहीं कह सकते। पहले कोर्ट में रिपोर्ट पेश होगी। (हिफी)