बिहार में एनडीए का चेहरा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
महाराष्ट्र मंे राजनीति ने जिस तरह से नाटकीय मोड़ लिया और शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया, उससे बिहार की राजनीति गर्म हो गयी। बिहार मंे भाजपा के ज्यादा विधायक हैं लेकिन कम विधायकों वाले जद(यू) के नेता नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं। जद(यू) के नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने गत 2 जुलाई को एक बयान दिया। उन्हांेने कहा कि यहां तो नीतीश कुमार ही एनडीए हैं और एनडीए ही नीतीश कुमार हैं। इसका मतलब सीधा है कि बिहार मंे एनडीए का चेहरा नीतीश कुमार ही रहेंगे। राज्य मंे केन्द्र सरकार की अग्निपथ योजनाओं को लेकर विरोध हो रहा है। इस मामले मंे जद(यू) भी मुख्य विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ खड़ा है। जद(यू) के नेता खुलकर बयानबाजी भी कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुप्पी साधे हैं। इसी माहौल मंे उपेन्द्र कुशवाहा का बयान आया तो कुछ लोग कहने लगे कि क्या बिहार मंे भी महाराष्ट्र की कहानी दोहराई जाने वाली है। दरअसल, महाराष्ट्र मंे पिछले दिनों जो भी हुआ है, उसको दो तरह से देखा जा रहा है। पहला यह कि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की सरकार को गिरा दिया गया। दूसरा यह कि राज्य की प्रमुख पार्टी शिवसेना को तोड़ दिया गया। बिहार मंे जद(यू) भी एक ऐसी ही पार्टी है जिसके समर्थन से ही वहां सरकार बनने की अभी संभावना है। भाजपा वहां तभी सरकार बना पाएगी जब जद(यू) बिखर जाए। उस हालत में शिवसेना के टूटे हुए गुट की तरह जद(यू) का गुट भी भाजपा के पूरी तरह से अधीन होगा। इस रणनीति से नीतीश कुमार भी बेखबर नहीं हैं। भाजपा और जद(यू) पहले भी सरकार चला चुके हैं और अब भी सरकार मंे हैं लेकिन दोनों की वैचारिक सोच अलग-अलग है। यह भी ध्यान देने की बात है कि उपेन्द्र कुशवाहा भी नीतीश कुमार की समता पार्टी से अलग होकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी बना चुके हैं। हालांकि बाद मंे उन्होंने अपनी पार्टी का जद(यू) मंे विलय कर लिया।
जनता दल यूनाईटेड के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भारतीय जनता पार्टी के साथ बिहार में अपने दल के गठबंधन को लेकर 2 जुलाई को एक बड़ा बयान दिया। कुशवाहा ने कहा कि बिहार में जबतक एनडीए एक प्रबल शक्ति रहेगा तब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उसका चेहरा रहेंगे। राष्ट्रीय जनता दल के साथ किसी भी प्रकार के गठजोड़ की अटकलों को खारिज करते हुए कुशवाहा ने हालांकि माना कि दोनों दलों की ‘विचारधारा’ एक जैसी है, लेकिन राजद के सिद्धांतों को आचरण में उतारने में विफल रहने पर ही जद(यू़) और भाजपा में गठजोड़ हुआ, जबकि दोनों के नजरिए नहीं मिलते हैं। कहा, ‘बिहार में नीतीश कुमार एनडीए हैं और एनडीए नीतीश कुमार है। जब से यह गठबंधन राज्य में अस्तित्व में आया तब से वह इसकी अगुवाई कर रहे हैं। यहां जब तक एनडीए रहेगा तबतक वह ऐसा करते रहेंगे।’ वह केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान के हाल के इस बयान के बारे में पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे कि नीतीश कुमार अपना वर्तमान कार्यकाल पूरा करेंगे। प्रधान ने हाल की अपनी पटना यात्रा के दौरान भाजपा के साथ मतभेदों को दूर करने का प्रयास किया था। कुशवाहा ने थोड़ा तल्ख अंदाज में कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई बीजेपी नेता क्या कहता है।’
दरअसल, अग्निपथ योजना को लेकर बिहार में राजद और जेडीयू एक साथ दिख रही हैं। दोनों का कहना है कि यह योजना छात्रों के हित में नहीं है। जेडीयू नेता इस योजना के विरोध में खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद चुप्पी साधे हुए हैं। इसे देखते हुए चर्चा है कि बिहार में एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है। पांच दिन तक चले मॉनसून सत्र के दौरान विपक्ष ने अग्निपथ योजना समेत कई अन्य मुद्दों पर सदन में जमकर हंगामा किया। सदन तक स्थगित करना पड़ा। कई मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ नहीं बोले। नीतीश की चुप्पी को समझने के लिए सियासी जानकार उसे अग्निपथ योजना से भी जोड़कर देख रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के बड़बोलेपन से भी नाराज हैं। बता दें, हाल ही में विजय सिन्हा ने कहा था कि विधायकों को जिला मुख्यालय परिसर में और ब्लॉक कार्यालय में ऑफिस दिया जाएगा। यह घोषणा नीतीश कुमार करते तो बात कुछ और होती।नीतीश कुमार के नाराज होने की खबर पर केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सीधे सीएम आवास पहुंचे और नीतीश से घंटों बातचीत की। यहां तक कि धर्मेंद्र प्रधान ने नीतिश कुमार को अपना सर्वमान्य नेता तक बता दिया। धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि नीतीश कुमार 2025 तक बिहार के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। प्रधान ने यह भी स्पष्ट किया कि नीतीश कुमार बिहार एनडीए के नेता हैं। वहीं जेडीयू संसदीय बोर्ड के चेयरमैन उपेंद्र कुशवाहा ने भी कहा कि नीतीश कुमार को लेकर किसी के मन में कोई शंका है तो उसको निकाल दें। बिहार में जब से एनडीए है नीतीश कुमार ही उसका चेहरा हैं और बिहार में जब तक एनडीए को रहना है नीतीश कुमार ही उसका चेहरा होंगे।
बता दें कि कुशवाहा ने कुछ साल पहले नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत करके एक अलग पार्टी बना ली थी, लेकिन पिछले साल उन्होंने अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जेडीयू में विलय कर दिया। उन्होंने बीजेपी के नेताओं को कुमार के उत्तराधिकारी का प्रश्न उठाकर ‘कार्यकर्ताओं के मन में कोई भ्रम नहीं पैदा करने’ की सलाह दी। जब कुशवाहा से पूछा गया कि क्या बिहार में भी महाराष्ट्र जैसी उथल-पुथल की संभावना है, तो
उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र की स्थिति बिहार की स्थिति से बिल्कुल भिन्न है। उस राज्य में ऐसा जान पड़ता है कि उन दो दलों में दोबारा सुलह हुई जो हिंदुत्व के प्रति कटिबद्धता के प्रश्न पर वैचारिक रूप से एक हैं। बिहार में बीजेपी का कोई वैचारिक सहकर्मी
नहीं है। वैचारिक रूप से समान धरातल पर नहीं होने के बाद भी हम सहयोगी हैं।’
हालांकि सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) में चल रहे शीत युद्ध के बाहर आने के बाद अब कार्यकर्ताओं में पार्टी बिखरने का डर सताने लगा है। पार्टी नेतृत्व की ओर से जिस तरह केंद्रीय मंत्री आर सी पी सिंह और उनके समर्थकों को साइड लाइन किया जा रहा है, उससे कार्यकर्ताओं में पार्टी में टूट का भय भी उत्पन्न हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पार्टी में कभी आर सी पी सिंह दूसरे नंबर के नेता रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी भी माने जाते थे। ऐसे में पार्टी पर इनकी अपनी पकड़ को नकारा नहीं जा सकता है।जिस तरह, आरसीपी सिंह को
पहले राज्यसभा का टिकट काटा गया और उसके बाद फिर पटना स्थित उनके सरकारी आवास से बेदखल किया गया, उससे उनके समर्थकों में नाखुशी है। (हिफी)