लेखक की कलम

महिला सुरक्षा के दावों पर

सवालिया निशान
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
समूचे देश में इन दिनों दुराचार और दरिंदगी की वारदातों की आंधी सी आयी हुई है। वासना के भूखे भेड़ियों द्वारा मासूम लड़कियों और महिलाओं पर बर्बर हमले किए जा रहे हैं। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते के उद्घोष वाली सनातन संस्कृति के देश में भारी चिंता का विषय भी है। जिस पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजीकर हास्पिटल के रेप-मर्डर कांड ने समूचे देश को स्तब्ध कर दिया था, उसी पश्चिम बंगाल में तमाम प्रदर्शनों और हड़ताल के बावजूद दुराचार दरिंदगी की वारदातों में कमी नहीं आई।
यह तो एक महिला मुख्यमंत्री वाले राज्य की बात है।दूसरे अन्य राज्यों की स्थिति भी कोई बेहतर नहीं है। लगभग सारे देश में ऐसे अपराधों की आंधी सी आई हुई है। इसमें भटके हुए लोगों द्वारा मनमाने दुर्व्यवहार व दुराचार की आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को विश्व भर में महिलाओं की स्थिति की ओर लोगों का ध्यान दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस साल भी देश भर में जोरशोर के साथ महिला दिवस मनाया गया। पीएम से लेकर स्थानीय समाजसेवियों तक कार्यक्रमों में शामिल हुए बड़ी-बड़ी बातें की गई। महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान, बराबरी पर ज्ञान बांटा गया। इसके दौरान महिलाओं के अधिकारों, उनकी सुरक्षा और उनमें चेतना लाने के तमाम दावे किए गए। लेकिन विडम्बना देखिए कि अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भी भारत में एक ओर नारे लग रहे थे वहीं, दूसरी ओर दरिंदों द्वारा महिलाओं की अस्मत लूटी जा रही थी इसी दिन अनेक महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं हुईं तथा अनेक महिलाओं की हत्या कर दी गई। इन वारदातों को अंजाम दिया गया उनमंे से कुछ वारदातों की बानगी देखिये
8 मार्च को सांगानेर (राजस्थान) में पुलिस का एक कांस्टेबल ‘भागा राम’ एक गर्भवती महिला को उसके घर से यह कह कर अपने साथ ले गया कि थाने में उसके द्वारा दी गई शिकायत के सिलसिले में उसका बयान दर्ज करना है, परन्तु थाने ले जाने की बजाय वह उसे एक होटल में ले गया और वहां उसके बेटे के सामने उसके साथ बलात्कार कर डाला।
8 मार्च को ही दिल्ली पुलिस की एक महिला कांस्टेबल ने अपने एक साथी कांस्टेबल पर उसे विवाह का झांसा देकर उसके साथ बलात्कार करने के आरोप में वजीरपुर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई।
8 मार्च को ही हम्पी (कर्नाटक) में झील के किनारे एक 27 वर्षीय इसराईली पर्यटक तथा उसकी साथिन एवं 3 पुरुष मित्रों के साथ 3 गुंडों द्वारा बलात्कार और मारपीट करने का मामला सामने आया। पीड़ित इसराईली महिला के अनुसार जब वे लोग झील के किनारे बैठे थे, उसी समय 3 मोटरसाइकिल सवार गुंडे उनके पास आए। उन्होंने उनसे पैसों की मांग की और उनके तीनों पुरुष साथियों को नहर में धक्का दे दिया।
झील में डूबने से उनके एक साथी की मौत हो गई जबकि अन्य दोनों साथी वहां से जान बचाकर भाग गए। फिर तीनों आरोपी इन दोनों महिलाओं के साथ बलात्कार करने के बाद उनके पास जितने पैसे थे, वे सब लेकर भाग गए।
8 मार्च को ही ‘बीड’ (महाराष्ट्र) जिले के ‘पाटोदा’ थाने के पुलिस अधिकारी ‘उद्धव गडकर’ ने महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित एक महिला को कमरे में ले जाकर उसे चोरी के आरोप में फंसाने की धमकी देकर उससे बलात्कार कर डाला।
8 मार्च को ही जमशेदपुर (झारखंड) में एक 13 वर्षीय बच्ची जब अपनी सहेली के घर गई तो वहां उसकी सहेली के 48 वर्षीय चाचा ने उसके साथ बलात्कार कर डाला। इस सम्बन्ध में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
8 मार्च को ही बुढलाडा (पंजाब) जिले के गामीवाला गांव में प्लाट को लेकर विवाद के चलते भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की राज्य परिषद की सदस्य तथा स्त्री सभा की जिला प्रधान मंजीत कौर की उनके घर के निकट हथियारों से हत्या कर दी गई।
8 मार्च को ही मोगा (पंजाब) की धर्मकोट सब-डिवीजन के जलालाबाद में 5 मरले के प्लाट को लेकर एक कलयुगी बेटे ने अपनी पत्नी तथा अन्यों के साथ मिलकर अपनी मां की हत्या कर दी और फिर उसके शव पर तेल डाल कर आग लगा दी।
8 मार्च को ही सुबह के समय पटियाला (पंजाब) के समानिया गेट इलाके में अज्ञात हमलावरों ने किराए के मकान में रहने वाली 45 वर्षीय महिला सुमन की हत्या तथा उसके बेटे श्मनजोतश् को घायल कर दिया।
8 मार्च को ही धनबाद (झारखंड) के हरियाडीह गांव में दिलीप नामक एक युवक ने अपनी मां और मौसी की ईंटें मार कर हत्या तथा बेटी को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
महिलाओं के साथ इस प्रकार के अत्याचार, विशेषकर उस दिन, जब महिला अधिकारों को लेकर समस्त विश्व में आयोजन किए जा रहे थे, कानून-व्यवस्था पर एक काला धब्बा हैं। भारत में तो अतिथि को देवता के समान पूजनीय (अतिथि देवो भवः) माना जाता है परन्तु यदि विदेशी अतिथि महिलाओं के साथ इस प्रकार की बर्बरता की जाएगी तो फिर कौन हमारे देश में पर्यटन के लिए आएगा?
अतः इस प्रकार की घटनाओं में संलिप्त पाए जाने वालों को तुरन्त कठोरतम सजा दी जानी चाहिए ताकि वे ऐसी हरकतों से बाज आएं, और दूसरों को नसीहत मिले तथा देश की बदनामी न हो।
सवाल उठता है कि भारत जैसे देश में जहां नारी की पूजा की जाती है वहां इस तरह की विकृत मानसिकता का पनपना पूरी संस्कृति और सभ्यता पर खतरा है। क्या हमारे समाज पर यह विकृत मानसिकता इस कदर हावी हो गयी है कि पुलिस और कानून भी इस पर नियंत्रण करने में नाकाम हो रहे हैं ? लगातार सख्त कानून बनाने के बावजूद इस तरह के अपराधों की संख्या में वृद्धि बताती है कि सिर्फ कानून के भरोसे इस विकृति को नियंत्रित करना संभव नहीं है। इस पर नियंत्रण के लिए समाज का भय और लोकलाज की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना होगा।तमाम सोशल मीडिया और इंटरनेट से आपत्तिजनक एवं विकृत व्यवहार को दर्शाने वाली सामग्री को फिल्टर करना होगा ताकि समाज को पतन की ओर धकेलने वाले अपराधों को नियंत्रित किया जा सके। (हिफी)

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