लेखक की कलम

नीतीश की यात्राओं से बढ़ा पार्टी का कद

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 दिसम्बर से 15वीं बिहार यात्रा शुरू की है। इस यात्रा को प्रगति यात्रा का नाम दिया गया है। राज्य मंे अगले साल ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। नीतीश की पार्टी जद(यू) मौजूदा समय मंे सत्ता की सिरमौर है लेकिन उसके पास विधायक भाजपा से कम हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र मंे जो हुआ है, उससे नीतीश का चौकन्ना होना स्वाभाविक है। वहां विधायकों के संख्या बल के अनुसार ही मंत्रियों की तैनाती हुई और एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़कर डिप्टी सीएम बनना पड़ा है। नीतीश नहीं चाहते कि बिहार मंे भी वैसे ही हालात पैदा हों। उनको यह भी पता है कि राज्य में यात्रा निकालने का प्रत्यक्ष लाभ चुनाव मंे मिला है। नीतीश कुमार ने 2010 मंे विश्वास यात्रा निकाली थी। उस यात्रा से उनका वोट बैंक बढ़ा था और जद(यू) को 115 विधायक मिले थे। इसके बाद नीतीश कुमार की यात्राओं का सिलसिला शुरू हुआ था। इससे पूर्व नीतीश कुमार 14 यात्राएं कर चुके हैं। इधर, एनडीए के सभी घटक दल अपनी-अपनी ताकत बढ़ाएंगे तो मुख्य विपक्षी दल राजद मंे भी युद्ध स्तर पर तैयारी हो रही है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा का पहला चरण शुरू हो चुका है। वाल्मीकि नगर पश्चिम चंपारण के वाल्मीकि नगर से होते हुए पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के बाद वैशाली में यह यात्रा 28 दिसंबर को समाप्त हो जाएगी। प्रगति यात्रा के पहले चरण की शुरुआत के साथ ही दूसरे चरण की यात्रा तारीखों की भी घोषणा कर दी गई है। दूसरे चरण की यात्रा के कार्यक्रम के अनुसार, सीएम नीतीश की यात्रा 4 जनवरी को गोपालगंज से शुरू होगी। इसके बाद 7 जनवरी को सिवान, 8 जनवरी को छपरा, 11 जनवरी को दरभंगा, 12 जनवरी को मधुबनी होते हुए 13 जनवरी को समस्तीपुर में समाप्त होगी। पहले चरण में 6 जिलों का जायजा लेंगे। पहले दिन 23 दिसंबर को पश्चिम चंपारण से यात्रा की शुरुआत होगी और 28 दिसंबर को वैशाली में पहले चरण की यात्रा का समापन होगा। पश्चिम चंपारण से शुरू होकर यह यात्रा 6 जिलों में होगी। प्रगति यात्रा के लिए चयनित वाल्मीकिनगर का घोटहवा टोला सज-धज कर तैयार था जहां से सीएम नीतीश कुमार ने अपनी 15वीं यात्रा की शुरुआत की। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनकी यह यात्रा बेहद अहम है, क्योंकि प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थरुहट की महिलाओं के साथ जन संवाद भी करेंगे। बता दें कि इस इलाके की महिलाएं पूरी तरह आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और विकसित बिहार की कहानी बता रही हैं। जीविका समूह के साथ कुछ महिलाएं जुड़ी हैं तो कुछ महिलाएं स्वरोजगार कर आर्थिक समृद्धि की उड़ान भर रही हैं। सीएम नीतीश के इस कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के साथ-साथ अन्य कई विभागों के सचिव भी भाग लेंगे।
पश्चिमी चंपारण के वाल्मिकीनगर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीस कुमार का जनता दल यूनाइटेड के कार्यकर्ताओं और अधिकारियों ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। सीएम नीतीश कुमार के साथ उनके कैबिनेट मंत्री विजय कुमार चौधरी समेत पार्टी के अन्य नेता भी वाल्मिकीनगर पहुंचे। प्रगति यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री करीब 700 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास करेंगे।
नीतीश कुमार की यह 15वीं बिहार यात्रा है। इससे पहले 14 यात्राओं के माध्यम से सीएम नीतीश जनता से सीधा संवाद करते रहे हैं। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने 2010 के अप्रैल में विश्वास यात्रा की थी जिससे उनका वोट बैंक बेहद मजबूत हुआ था। इस चुनाव में जेडीयू 115 सीट के साथ राज्य में अपने सबसे शानदार प्रदर्शन तक पहुंची। इसका असर यह हुआ कि एनडीए गठबंधन को बिहार में बंपर जीत मिली। इसके बाद तो यात्राओं का क्रम ही चल पड़ा। वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद नीतीश कुमार ने 2011 में सेवा यात्रा की, तो 2012 में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग के साथ अधिकार यात्रा पर निकल गए। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 से पहले नीतीश ने संकल्प यात्रा की, लेकिन चुनाव में नुकसान हो गया। एक यही यात्रा रही जिसका लाभ नीतीश कुमार को नहीं मिला। 2014 के लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार से जो झटका लगा इसके बाद उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की तैयारी शुरू कर दी। चुनाव से पहले नीतीश कुमार नवंबर 2014 में संपर्क यात्रा पर निकले। 2015 में महागठबंधन सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने सात निश्चय लागू कर दिया। वर्ष 2016 में निश्चय यात्रा करने निकले और सीएम नीतीश ने 2017 में समीक्षा यात्रा की।
इसी दौरान उन्होंने फिर पाला बदल लिया और बीजेपी के साथ हो लिये। वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव में जल जीवन हरियाली यात्रा पर निकले और इस चुनाव में एनडीए ने 40 में 39 सीटें जीतीं। वर्ष 2021 में समाज सुधार यात्रा और 2023 में उन्होंने समाधान यात्रा की। एक बार फिर से 2024 में नीतीश की प्रगति यात्रा पर निकल पड़े हैं जो बिहार की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी एक्टिव हैं और संगठन के स्तर पर प्रदेश आरजेडी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कवायद भी शुरू हो गई है। इसके साथ ही कुछ टारगेट भी तय किए गए हैं, जिससे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एक मजबूत टक्कर देने की बुनियाद तैयार की जा सके। नीतीश कुमार की सरकार को मात देने के लिए राजद ने मास्टरप्लान भी बना लिया है और अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को टारगेट भी दिया है। इसका मकसद एक ओर जहां संगठन को मजबूत करना है, वहीं राजद के कोष में चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त धन इकट्ठा करना भी है। वहीं कार्यकर्ताओं को मोटिवेट करने के लिए भी यह कवायद की जा रही है और इसका मेगा प्लान जमीन पर उतारा जा चुका है।
दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल ने बीते 19 सितंबर से सदस्यता अभियान शुरू किया है और पार्टी ने एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। सदस्यता अभियान की शुरुआत के दिन से ही तेजस्वी यादव ने घोषणा की थी कि राजद ने एक करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है और यह अभियान लगातार चलता रहेगा। खास बात यह कि समाज के सभी वर्गों के लोग राजद से जोड़ने की नीति पर आरजेडी चल रही है। इसके साथ ही बूथ स्तर पर राष्ट्रीय जनता दल कैसे संगठित हो और कैसे आक्रामक होकर विरोधी दलों को परास्त करने की नीति पर आगे बढ़े, इसके लिए लगातार काम किया जा रहा है। राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं को टास्क देने दिया गया है। वहीं, विधायकों, विधान पार्षदों पूर्व विधायकों व पार्षदों, हारे हुए प्रत्याशियों को भी लक्ष्य लेकर काम करने के लिए कहा गया है। राजद के सूत्रों के अनुसार, हर बूथ पर काम से कम 62 लोगों को राजद की सदस्यता दिलाने के लिए कहा गया है। उधर, भाजपा, लोजपा और जीतनराम की पार्टी हम भी अपनी ताकत बढ़ा रही हैं। इसलिए नीतीश की यात्रा महत्वपूर्ण है। (हिफी)

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