लेखक की कलम

जुनून जीता, गुरूर हारा

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

आजमगढ़ और रामपुर के लोकसभा उपचुनाव मंे अगर एक पंक्ति में प्रतिक्रिया दी जाए तो अखिलेश यादव और मोहम्मद आजम खान का गुरूर पराजित हो गया है जबकि योगी आदित्यनाथ मंे इस बात का जुनून था कि हम समाजवादी पार्टी के इन दोनों मजबूत किलों को ढहा देंगे। उनके इसी जज्बे की जीत हुई। बताते हैं कि भाजपा के ही लोगों ने योगी आदित्यनाथ से कहा था कि इन दोनों लोकसभा सीटों को प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाएं लेकिन अपने कामों के दम पर 2022 मंे उत्तर प्रदेश मंे 37 साल का राजनीतिक इतिहास बदलते हुए योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से भाजपा को दो तिहाई बहुमत दिलाया, उसी तरह अपनी पूरी क्षमता लगाकर रामपुर और आजमगढ़ की सीटें जीत ली हैं। उधर, रामपुर मंे पत्नी और बेटे को चुनाव जिताने के बाद मोहम्मद आजम खान इस उपचुनाव के दौरान अपने को महा क्रिमिनल होने का सबूत दे रहे थे। संवाददाताओं से 23 जून को रामपुर में आजम खान ने कहा था ‘हमारे साथ जो चाहे सलूक करें। हम तो मुर्गी, बकरी, भैंस, किताब, फर्नीचर, डकैती के आरोपी हैं, तो हमारे शहर को भी वैसा ही मान लिया गया है। रामपुर लोकसभा उपचुनाव मंे सीधा मुकाबला सपा के आसिम रजा और भाजपा के घनश्याम लोधी के बीच था। आजम खां के परिवार की पुश्तैनी सीट थी और खान साहेब समझते थे कि यहां पर किसी को भी खड़ा कर देंगे तो जनता उसी को वोट देगी। यह भ्रम टूट गया। इसी तरह आजमगढ़ मंे अखिलेश यादव और मायावती दोनों को ओवर कान्फिडेंस था कि उनके उम्मीदवार ही जीतेेंगे लेकिन योगी आदित्यनाथ ने पूर्व में पराजित निरहुआ को जीत हासिल करवा दी।
समाजवादी पार्टी के मजबूत किले में से एक रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में जनता ने कमल खिला दिया है। बीजेपी प्रत्याशी घनश्याम लोधी ने समाजवादी पार्टी के आसिम रजा को 42 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। इसी के साथ समाजवादी पार्टी के मजबूत किले में कमल खिल गया है। समाजवादी पार्टी की उपचुनाव में हार के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इस चुनाव में न केवल सपा की बल्कि आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान जमकर मुस्लिम और इमोशनल कार्ड खेला। अपने खिलाफ हुए मुकदमों से लेकर नवाब खानदान तक को घसीटा। आखिर में यहां तक कह दिया कि हरवाकर मेरे मुंह पर कालिख मत पोत देना। बावजूद इसके जनता ने सपा को नकार दिया।
गुरूर इतना कि मतदान से पहले ही सपा नेताओं ने अपनी जीत का दावा कर दिया था, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जादू चला और सीट बीजेपी की झोली में आ गई। कहा तो यह भी जा रहा है कि बड़ी संख्या में मुसलमानों ने बीजेपी को वोट किया। आईए जानते हैं वे पांच बड़े कारण जिसकी वजह से सपा को मिली करारी शिकस्त। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रचार करने ही नहीं गये। पूरे चुनाव के दौरान जहां बीजेपी की तरफ से मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और अन्य कई मंत्री मैदान में उतरे तो सपा चुनाव प्रचार की कमान स्थानीय नेताओं और विधायकों के हवाले थी। स्टार प्रचारकों की लिस्ट में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश समेत 40 दिग्गज नेताओं के नाम थे, लेकिन कोई मौके पर दिखाई नहीं दिया। रामपुर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी चुनाव तो लड़ रही थी, लेकिन चेहरा सिर्फ और सिर्फ आजम खान और उनका परिवार था। पहले तो कहा जा रहा था कि आजम खान की पत्नी तंजीन फात्मा चुनाव लड़ेंगी, लेकिन ऐन वक्त पर आजम खान ने अपने करीबी आसिम रजा को मैदान में उतार दिया। इस पर भी कहा जा रहा था कि आसिम रजा तो सिर्फ एक चेहरा हैं, असल में चुनाव तो आजम खान ही लड़ रहे हैं। जनता एक ही परिवार को बार-बार थोपने से नाराज दिखी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने प्रचार के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबका साथ और सबका विश्वास की बात कही। उन्होंने कहा कि बिना भेदभाव सबको राशन और कोरोना की वैक्सीन दी। बुलडोजर की कार्रवाई को भी उन्होंने भुनाया। आजमगढ़ में भी सपा का किला ढह गया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी दिनेश लाल ‘निरहुआ’ ने 8 हजार से अधिक वोट से जीत दर्ज की है।
दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने एक ट्वीट कर लिखा, ‘जनता की जीत! आजमगढ़वासियों आपने कमाल कर दिया है। यह आपकी जीत है। उपचुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही जिस तरीके से आप सबने भाजपा को प्यार, समर्थन और आशीर्वाद दिया, यह उसकी जीत है। यह जीत आपके भरोसे और देवतुल्य कार्यकर्ताओं की मेहनत को समर्पित है।’ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा, आजमगढ़ सदर लोक सभा सीट पर उप चुनाव में मिली ऐतिहासिक विजय आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में ‘डबल इंजन की भाजपा सरकार’ की लोक-कल्याणकारी नीतियों का सुफल है। भाजपा के सभी कर्मठ कार्यकर्ताओं को यह जीत समर्पित है।
यही कारण है कि एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा चुनाव के नतीजे से साफ जाहिर होता है कि सपा में भाजपा को हराने की न तो काबिलियत है और न कुव्वत। मुसलमानों को चाहिए कि वो अब अपना कीमती वोट ऐसी निकम्मी पार्टियों पर जाया करने के बजाय अपनी खुद की आजाद सियासी पहचान बनाएं और अपने मुकद्दर के फैसले खुद करें।’ (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button