लेखक की कलम

राष्ट्रीय हितों का संरक्षण

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यूरोप यात्रा के दौरान राष्ट्रीय हितों का संरक्षण संवर्धन करने में सफल रहे। उनकी यह यात्रा संवेदनशील परिस्थितियों में हुई। यूक्रेन रूस के बीच युद्ध चल रहा है। नाटो के सदस्य देश रूस के खिलाफ है। इनमें अमेरिका व यूरोप के देश शामिल है। दूसरी तरफ भारत व रूस के बीच आपसी सहयोग जारी है। इस समय नरेंद्र मोदी यूरोप की यात्रा पर रहे। यह स्थिति उनके लिए चुनौती पूर्ण थी। रूस से संबन्ध ठीक रखते हुए यूरोपीय देशों से साझेदारी बढ़ाने का मुश्किल कार्य करना था। नरेंद्र मोदी ने अपनी कुशलता का परिचय दिया। बहुत संतुलित तरीके से स्थिति को संभाले रखा। पूरी यात्रा में वह सहज रहे। मोदी ने सभी समस्याओं के समाधान हेतु वार्ता के महत्व को रेखांकित किया। कहा कि युद्ध से किसी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता। मोदी की कूटनीतिक कुशलता कामयाब रही। जर्मनी व डेनमार्क के साथ अनेक समझौते हुए। डेनमार्क में मोदी की कई अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व क्षेत्रीय मसलों पर वार्ता हुई। नरेन्द्र मोदी भारत नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में सहभागी हुए। उनकी आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकोब्स्दोतिर, नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर, स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन और फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी हुई।
नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर से मुलाकात के दौरान दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों में चल रही गतिविधियों की समीक्षा की। आपसी सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। दोनों नेताओं ने ब्लू इकोनॉमी, नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, सौर और पवन परियोजनाओं हरित शिपिंग, मत्स्य पालन, जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन, तरिक्ष सहयोग, दीर्घकालिक अवसंरचना निवेश, स्वास्थ्य और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में जुड़ाव को मजूबत करने की क्षमता पर चर्चा की। इस दौरान क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रम पर भी चर्चा हुई। यूएनएससी के सदस्य के रूप में भारत और नॉर्वे संयुक्त राष्ट्र में पारस्परिक हित के वैश्विक मुद्दों पर एक-दूसरे के साथ जुड़ते रहे हैं। स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय साझेदारी में हुई प्रगति की समीक्षा की। दोनों नेताओं ने नवाचार, जलवायु प्रौद्योगिकी, जलवायु कार्रवाई, हरित हाइड्रोजन, अंतरिक्ष, रक्षा, नागरिक उड्डयन, आर्कटिक, ध्रुवीय अनुसंधान, सतत खनन और व्यापार और आर्थिक संबंधों जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की। आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकोब्स्दोतिर से मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने विशेष रूप से भूतापीय ऊर्जा,नीली अर्थव्यवस्था, आर्कटिक, नवीकरणीय ऊर्जा, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, डिजिटल विश्वविद्यालयों सहित शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्रों में आर्थिक सहयोग को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। भूतापीय ऊर्जा, विशेष रूप से, एक ऐसा क्षेत्र है जहां आइसलैंड की विशेषज्ञता है, और दोनों पक्षों ने इस क्षेत्र में दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जैकोब्स्दोतिर के व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना की और उन्हें इस संबंध में भारत की प्रगति के बारे में जानकारी दी। भारत ईएफटीए व्यापार वार्ता में तेजी लाने पर भी चर्चा हुई। क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर भी चर्चा हुई। फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन के साथ बातचीत में दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और ऐसे अन्य क्षेत्रों में इस साझेदारी को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। भारत और फिनलैंड के बीच विकासात्मक साझेदारी तेजी से बढ़ रही है। दूसरी तरफ भारत व रूस का सहयोग भी आगे बढ़ा है। यूक्रेन से युद्ध के बीच रूस ने भारतीय वायु सेना को अत्याधुनिक एस-400 मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की तीसरी खेप अगले महीने देने का निर्णय लिया। रूस ने यूक्रेन संघर्ष के बीच पिछले माह इसकी दूसरी खेप दी थी।
रूस से मिला पहला मिसाइल डिफेन्स सिस्टम पंजाब सेक्टर में तैनात किया गया है। भारत के रक्षा बेड़े में शामिल हो रहे इस रूसी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम से पूरी दुनिया खौफ खाती है। सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाले इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम की भारत को आपूर्ति होने से चीन और पाकिस्तान की परेशानी बढ़ गई है। भारतीय वायुसेना को एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल की कुल पांच रेजीमेंट आगामी वर्ष तक मिलनी हैं। इसके अलावा मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के तहत स्वदेशी हथियारों के निर्माण में लगने वाले उपकरणों और हथियारों की आपूर्ति में कोई कठिनाई नहीं होगी। भारतीय वायु सेना को अगले महीने रूस से तीसरा एस-400 स्क्वाड्रन हासिल होने वाला है। यह मिसाइल सिस्टम एक साथ मल्टी टारगेट को निशाना बनाकर दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर और यूएवी को नष्ट कर सकते हैं। इस मिसाइल सिस्टम की दूरी करीब चार सौ किलोमीटर है। यह एंटी बैलिस्टिक मिसाइल आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से हमला कर सकती है। इसके अलावा इटली के विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्री लुइगी डि माओ तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर पहुंच रहे है। उनके साथ एक उच्च स्तरीय अधिकारी और व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल भी होगा। इस दौरान आपसी हित के क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान भी होगा। दोनों संबंधों को मजबूत करने के लिए व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, स्वच्छ और हरित ऊर्जा तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में पर ध्यान दे रहे हैं। भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में चर्चा तीन विषयों कोविड के बाद बहुपक्षीय सहयोग, जलवायु व सतत विकास और नीली अर्थव्यवस्था तथा नवाचार पर केंद्रित रही। इसके अलावा स्वच्छ और हरित विकास समाधान, नॉर्डिक देशों में कौशल क्षमताओं को भारत की संभावनाओं से जोड़ने और नई अभिनव साझेदारी बनाने की आवश्यकता पर भी चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की विकास और आर्थिक विकास की यात्रा के पिछले पचहत्तर वर्षों में नॉर्डिक देशों की विश्वसनीय भागीदारी की सराहना की। उन्होंने कहा कि नॉर्डिक देश और भारत स्वतंत्रता, लोकतंत्रिक मूल्यों और नियम आधारित व्यवस्था और विभिन्न वैश्विक मामलों पर साझा दृष्टिकोण रखते है। उन्होंने कहा कि भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन इस क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देने में एक लंबा सफर तय करेगा। हमारे देश मिलकर बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं और वैश्विक समृद्धि और सतत विकास में योगदान कर सकते हैं। स्टॉकहोम में आयोजित शिखर सम्मेलन में चार वर्ष पूर्व पहली बार भारत एक मंच पर समूह के रूप में नॉर्डिक देशों के साथ जुड़ा था। यूरोप यात्रा के तीसरे चरण में नरेंद्र मोदी फ्रांस पहुंचे। भारत और फ्रांस के संबन्ध बहुत मजबूत है। वह भारत के सबसे मजबूत साझेदारों में से एक है। दोनों देश अनेक क्षेत्रों में परस्पर सहयोग कर रहे है। फ्रांस में कुछ समय पहले आम चुनाव हुए है। इसमें राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को पुनः बहुमत मिला है। नरेंद्र मोदी और इमेनुएल मैक्रो के बीच बेहतर आपसी समझ है। इससे भी भारत फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी आगे बढ़ रही है। इसके पहले नरेंद्र मोदी जर्मनी और डेनमार्क की यात्रा पर गए थे। (हिफी)

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