लेखक की कलम

राम जन्मोत्सव से युग की वापसी

श्री जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण कार्य प्रगति पर

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

श्री जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण कार्य प्रगति पर है। यहां भूमि पूजन के साथ ही पांच सौ वर्ष पुराना सपना साकार होने लगा था लेकिन यहां जन्मोत्सव के आयोजन हेतु करीब दो वर्ष तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। कोरोना संकट के कारण यहां सार्वजनिक आयोजन संभव नहीं हुआ। अंततः यह सपना भी पूरा हुआ। इस बार जन्मभूमि पर भव्य जन्मोत्सव का आयोजन किया गया-
अवधपुरी सोहइ एहि भाँती
प्रभुहि मिलन आई जनु राती।
देखि भानु जनु मन सकुचानी
तदपि बनी संध्या अनुमानी।
श्री राम जन्म के पूर्व की स्थिति का गोस्वामी जी सुंदर चित्रण करते है-
जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भए अनुकूल।
कुछ वर्ष पहले तक जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण कार्य में अनेक बाधाएं दिखाई दे रही थीं लेकिन सभी बाधाओं का निवारण हो गया। सामाजिक सौहार्द के साथ श्री राम लला जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन सम्पन्न हुआ था। अयोध्या में श्रीराम जन्म स्थान के प्रति करोड़ों हिंदुओं की आस्था रही है। इसके अलावा यहां मंदिर होने के पुरातात्विक प्रमाण भी उपलब्ध थे।
स्कन्दपुराण,वाल्मीकि रामायण, वशिष्ठ संहिता, रामचरित मानस जैसे सैकड़ों ग्रंथों में श्री राम जन्मभूमि का उल्लेख है।भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षणों का भी यही निष्कर्ष रहा है। विवादित ढांचे की दीवार पांच क्रमांक पांच में मकर चिन्ह था। निर्माण हिन्दू कला के अनुरूप शुंग काल से प्रारंभ हुआ था। सिविल इंजीनियरिग के हिसाब से भी पुराने ढांचे पर मस्जिद का निर्माण हुआ था। यह गोलाकार हिन्दू धार्मिक स्थल था। इसकी रचना श्रावस्ती के चेरीनाथ शिव मंदिर की तरह है। चन्द्रेह रीवा का शिवमन्दिर, कुरारी फतेहपुर का शिवमन्दिर, तिण्डुलि सूर्य मंदिर की रचना भी जन्मभूमि मंदिर की तरह थी।
पुरातत्व के प्रमाण ऐसे हैं कि राजपूत काल तक मंदिर सुरक्षित था। इसके आस पास रिहायशी बस्ती नहीं थी। स्थापत्य के हिन्दू चिन्ह उपलब्ध रहे हैं जिनमें घट पल्लव,स्तम्भ,पुष्प, गरुण स्तंभ,देवी देवताओं के चित्र,नागरी लिपि के शिलालेख, बीस लाइन का विष्णु हरि शिलालेख है। बताया जाता है कि पन्द्रह सौ अट्ठाइस में बाबर के सेनापति मीरबाकी ने मंदिर का विध्वंस करके मस्जिद का निर्माण कराया था।
अयोध्या धाम के प्रति भारत ही नहीं अनेक देशों के करोड़ों लोगों की आस्था है। गोस्वामी तुलसी दास ने इसका सुंदर उल्लेख किया है-
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि
सरजू सरि कलि कलुष नसावनि।
महर्षि बाल्मीकि ने भी रामकथा पर भावपूर्ण रचना की है। रामायण के माध्यम से उन्होंने यह कथा जन जन तक पहुंचाई थी। जहां प्रभु अवतार लेते है,वह स्थल स्वतः तीर्थ बन जाता है। त्रेता युग से अयोध्या इसी रूप में प्रतिष्ठित रही। मुगल काल में यहां मंदिर का विध्वंस हुआ। पांच सौ वर्षो तक जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की प्रतीक्षा व प्रयास होते रहे। सदियों बाद श्री राम जन्म स्थान श्री राम जन्म भूमि पर जन्मोत्सव का आयोजन हुआ। दूरदर्शन पर इसका सजीव प्रसारण किया गया। पहले यह प्रसारण कनक भवन से हुआ करता था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जन्मोत्सव को भव्य रूप में मनाने का निर्णय लिया था। यहां की तैयारियों को देखने वह स्वयं अयोध्या यात्रा पर आए थे। समारोह के सजीव प्रसारण का आग्रह भी उनका था। जिससे अयोध्या में राम नवमी पर राम जन्मोत्सव का देश विदेश में रहने वाले राम भक्त घर बैठे ही अवलोकन कर सकें।पहली बार दूरदर्शन, एएनआई और आकाशवाणी पर राम जन्मभूमि परिसर से कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया गया। करीब दो वर्ष पूर्व श्रीराम लला को टेंट से बाहर लाकर मानस मंदिर प्रांगण में फाईवर के मंदिर में विराजमान किया था। उसके बाद रामनवमी के त्यौहार को भव्यता से मनाने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में श्री रामलला के दर्शन की अपनी परम्परा का निर्वाह किया था। पिछली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद जब वह अयोध्या आये थे,तब श्री रामजन्म भूमि पर यथास्थिति थी। योगी ने अपनी योजना के अनुरूप यहां पर्यटन विकास संबन्धी कार्य शुरू कर दिए थे। फिर वह समय भी आया जिसकी पांच सदियों से प्रतीक्षा थी। मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हुआ। इस बार योगी जब अयोध्या पहुंचे तो स्थिति अलग रही। अयोध्या में योगी आदित्यनाथ ने अंतरराष्ट्रीय रामकथा संग्राहलय में चैत्र रामनवमी मेले की तैयारी के संबंध में समीक्षा की थी। उन्होंने कहा था कि इस आयोजन की तैयारी इस प्रकार से की जाए कि मेला पूरी भव्यता और दिव्यता के साथ आयोजित हो और अयोध्या को विश्व मानचित्र पर लाने में सहायक बने। रामनवमी के बाद भी प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूरे भारत से आएंगे। इसके दृष्टिगत अयोध्या में ऐसी व्यवस्था सृजित की गई जिससे लोगों को प्रवेश करते ही उन्हें पूरा वातावरण राममय लगे,जिससे सभी श्रद्धालु अपने गृह जनपद एक अच्छा संदेश लेकर जाएं। अयोध्या में चुनाव से पूर्व चल रही विकास योजनाएं के लंबित कार्य पुनः तेजी से शुरू किए गए है। अयोध्या में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतिबिंब दिखाई दे रहे हैं। उसकी प्रतिध्वनि सुनी जा सकती है। दक्षिण भारत में निर्मित श्रीराम की भव्य मूर्ति के अनावरण ने ऐसे ही वातावरण का निर्माण किया था।
अयोध्या की दीपावली वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित हो रही है। रामकथा और रामलीला की विश्वव्यापी जानकारी यहाँ उपलब्ध कराई जा रही है। केंद्र में नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद अयोध्या को उसके गौरव के अनुकूल विकसित किया जा रहा है। देवताओं एवं अवतारों की जन्मतिथि पर उनका तत्व भूतल पर अधिक मात्रा में सक्रिय रहता है। श्रीरामनवमी के दिन रामतत्व सदा की तुलना में एक सहस्र गुना सक्रिय रहता है। अगले वर्ष दिसंबर तक रामलला गर्भगृह में विराजमान हो जायेंगे। विगत एक शताब्दी में इतना विशाल मंदिर नहीं बना होगा। पत्थरों का इतना बड़ा भवन बनाया ही नहीं गया। राम मंदिर में लोहे का प्रयोग बिल्कुल नहीं हो रहा है। छह एकड़ में साढ़े पन्द्रह मीटर गहराई में नींव डाली गई है। मंदिर की फर्श इक्कीस फुट ऊंची बनाई गयी है।
राम जैसा आचरण दुनिया में कहीं नहीं मिलता है। अच्छा समाज,अच्छा परिवार बनाने के लिए राम ने मर्यादाएं निर्धारित कीं। स्वानुशासन का पालन राम ने जीवनभर किया। श्री राम के सम्पूर्ण जीवन में समरसता दिखती है। निषादराज, शबरी, हनुमान सबसे उन्होंने स्नेह किया। राम की पूजा करने वालों में भी राम व शबरी का व्यवहार देखना चाहिए। राम को राज्य सत्ता का मोह नहीं था। त्याग के बल पर भारतीय संस्कृति टिकी है। (हिफी)

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