लेखक की कलम

कश्मीर में खतरा बनीं रोहिंग्या दुल्हनें

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
देश में मानव तस्करी का एक बड़ा जाल बिछ चुका है। इस नेटवर्क से जुड़े लोग दूसरे देशों से लडकियां लाकर देश के कई हिस्सों में बेच रहे हैं इसका ताजा मामला 20,000 में रहीं दुल्हन बेचने का सामने आया है। एक ओर भारत सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के दस साल पूरे होने का जश्न मना रही है दूसरी ओर आरजी कर की डाक्टर बेटी के साथ हुई घिनौनी वारदात हो या जम्मू-कश्मीर में खरीदी गई लड़की को दुल्हन बनाने का मामला- भारत में बेटियों की सुरक्षा का काला सच बयान कर रहे हैं।
देश में इस नेटवर्क से जुड़े लोग दूसरे देशों से लडकियां लाकर देश के कई हिस्सों में बेच रहे हैं।
रोहिंग्या शरणार्थी महिलाओं को अच्छे जीवन का लालच देकर जम्मू-कश्मीर में दुल्हन के रूप में बेचा जा रहा है। दो दिन पहले कोलकाता में रेलवे पुलिस ने अब्दुल रहमान नाम के शख्स को दो बच्चियों के साथ गिरफ्तार किया है। वह इन बच्चयों को कश्मीर ले जाने की जुगत में था। जम्मू कश्मीर में रोहिंग्या महिलाओं की भारी मांग है। 52 साल के एक आदमी की फैमिली लंबे टाइम से शादी के लिए लड़की ढूंढने में लगी थी, लेकिन दुल्हन नहीं मिली। वह मानसिक रूप से कमजोर था। यहां तक कि वह खुद उठकर पानी भी नहीं पी सकता था। अचानक एक दिन मोहल्ले को पता चला कि उसकी शादी हो गई। बातें खुलीं तो निकला कि लड़की रोहिंग्या है। 20,000 में कोई उसे यहां बेच गया। जम्मू- कश्मीर में ऐसे ढेरों मामले देखने को मिल रहे हैं।
कोलकाता में पकडा गाय अब्दुल रहमान बांग्लादेश का रोहिंग्या मुस्लिम है और कई साल से कश्मीर में मजदूरी करता है। उसके साथ करीब 12- 12 साल की दो बच्चियां थीं, जिन्हें वो अपने साथ कश्मीर ले जा रहा था। आए दिन न जाने ऐसी कितनी ही रोहिंग्या लड़कियों को अवैध तरीके से जम्मू-कश्मीर समेत देश के कई राज्यों में लाकर जबरदस्ती दुल्हन बना दिया जा रहा है। जम्मू कश्मीर में यह रैकेट लंबे समय से चल रहा है। पहले बांग्लादेश और अब म्यांमार से भी रोहिंग्या लड़कियों को यहां लाकर उनकी शादी उम्र से दोगुने शख्स से करा दी जाती है। यही नहीं दिव्यांग या मानसिक रूप से अक्षम लोग, जिनकी शादी जम्मू-कश्मीर में नहीं हो पाती है, वो भी इस अवैध तरीके से दुल्हन खरीद रहे हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस के राडार पर ऐसे कई नेटवर्क हैं जिनकी पहचान कर ली गई है, जो एनजीओ की ओट में यह काम कर रहे थे। दिसंबर, 2024 तक 24 रोहिंग्या लड़कियां जम्मू में और 124 कश्मीर में दुल्हन बन चुकी हैं। कई लड़कियां अच्छी लाइफ की तलाश में अपनी जिंदगी नरक बना चुकी हैं। बांग्लादेश और म्यांमार में रोहिंग्या बस्तियों में एनजीओ की आड़ में तस्कर लड़कियों की पहचान करते हैं। कम उम्र की लड़कियों पर इनकी नजर ज्यादा रहती है। मानव तस्करी में लगे लोग हर जगह फैले हैं। खासतौर से जहां रोहिंग्या मुसलमानों की बस्ती हैं तस्कर लड़कियों को पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के रास्ते अवैध तरीके से भारत में लाते हैं। फिर यहां से देश के अलग-अलग राज्यों में इन्हें भेजा जाता है। असम पुलिस के मुताबिक रोहिंग्या खासतौर से जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद और केरल जाते हैं।
रोहिंग्या अवैध तरीके से राशन कार्ड से लेकर आधार कार्ड तक बनवा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में अपनी लड़कियों की शादी कराकर भी रोहिंग्या वहां की नागरिकता हासिल करने की कोशिश में जुटे रहते हैं। पुलिस को दिसंबर में ही 61 से ज्यादा अवैध आधार कार्ड जम्मू में और 97 आधार कार्ड कश्मीर में मिले। जम्मू कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस.पी. वैद के मुताबिक यहां के लोकल लोगों से रोहिंग्या लड़कियों की शादियां लंबे समय से हो रही हैं। कश्मीर से ज्यादा ये जम्मू में देखने को मिल रहा है। हमें इन्हें वापस भेजना चाहिए। हमें भी अमेरिका, यूरोप की तरह सख्त कदम उठाना चाहिए। बांग्लादेश और म्यांमार में पहले ही रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति सही नहीं है, ऐसे में अच्छे जीवन की तलाश में रोहिंग्या महिलाएं एक ऐसे मकड़जाल में फंस रही हैं, जिनसे बाहर निकलना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। कुछ महिलाओं की आपबीती रोंगटे खड़े करने वाली है। एक महिला बताती है, उसे कहा गया कि बंगाल में नौकरी दिलाएंगे। फिर बस और ट्रेन से लंबा सफर कर कश्मीर ले आए। अपने से तीन गुना उम्र के शख्स के साथ शादी करा दी गई। वापस जाने की बात करो तो पति बहुत मारता है। तस्करों के चंगुल में फंसी ऐसी ही दूसरी महिलाओं की भी यही कहानी है। बताते चलें कि साल 2009 में पहली बार जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्याओं का आना शुरू हुआ था। देश में जो संख्या कभी 200 थी, वो अब 50,000 के पार हो चुकी है। अकेले जम्मू-कश्मीर में ही 11,000 से ज्यादा रोहिंग्या हैं। आर्मी कैंप, रेलवे स्टेशन, पुलिस लाइन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के पास भी इनकी बस्तियां बन रहीं हैं।
मानव तस्करी, ड्रग्स तस्करी और कई अन्य अपराधों में रोहिंग्या के शामिल होने के भी आरोप है। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में बढ़ते रोहिंग्या की संख्या का फायदा उठा सकता है। जम्मू कश्मीर में बसने वाला पहला रोहिंग्या सईद हुसैन था, जिसे 2009 में यहां की राज्य सरकार ने बसाया था। रोहिंग्या मुसलमान अवैध तरीके से राशन कार्ड से लेकर आधार कार्ड तक बनवा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में अपनी लड़कियों की शादी कराकर भी रोहिंग्या वहां की नागरिकता
हासिल करने की कोशिश में जुटे रहते हैं।
मानव तस्करी में लगे लोग हर जगह फैले हैं। खासतौर से जहां रोहिंग्या मुसलमानों की बस्ती हैं। तस्कर लड़कियों को पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के अवैध तरीके से रास्ते भारत में लाते हैं। दिल्ली, हरियाणा, असम, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में रोहिंग्याओं की संख्या बढ़ रही है। जो सरकार के लिए भी चिंता की बात है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एस.पी. वैद्य का कहना है कि यह स्थिति सही नहीं है। हमें इन्हें वापस भेजना चाहिए। वह कहते हैं कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है। जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या की संख्या तेजी से बढ़ी है। यह सही नहीं है। हमें भी अमेरिका, यूरोप की तरह सख्त कदम उठाना चाहिए। खासतौर से संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन की दखलअंदाजी पूरी तरह से बंद होनी चाहिए। (हिफी)

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