लेखक की कलम

साईं भक्त गहतोड़ी ने धामी के लिए छोड़ी सीट

उत्तराखण्ड राजनीति गर्मा गयी

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

उत्तराखण्ड मंे एक बार फिर राजनीति गर्मा गयी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी विधानसभा चुनाव हार गये थे। उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भाजपा ने यह कहकर बैठाया कि धामी को कार्य करने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। ध्यान रहे कि तकनीकी कारणों से ही तीरथ सिंह रावत को हटाकर चुनाव से डेढ़ महीने पहले ही मुख्यमंत्री बनाया गया था। भाजपा ने राज्य मंे सरकार तो बहुमत से बनायी लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गये थे। अब उन्हें विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य होना है। धामी ने इच्छा जतायी थी कि वे जनता के माध्यम से चुनकर आएंगे और अपनी जनप्रियता साबित करेंगे। उसी समय से उनके लिए सुरक्षित सीट की तलाश की जा रही थी। पहले यह रणनीति बनायी गयी कि कांग्रेस के किसी विधायक को अपने पाले में लाकर उसकी सीट खाली करायी जाए लेकिन वहां गोटी फिट नहीं बैठी। इसके बाद सुरक्षित सीट तलाशी जाने लगी और अंततः चंपावत के भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी ने यह ‘त्याग’ किया। लहतोड़ी साईं भक्त हैं, इसलिए उन्होंने 21 अप्रैल वृहस्पतिवार को अपना इस्तीफा दिया है। उधर, कांग्रेस ने भी विधानसभा चुनाव हारने के बाद नेतृत्व परिवर्तन किया है। कांग्रेस ने करन महारा को प्रदेश की बागडोर सौंपी है और महारा को चम्पावत में पहली परीक्षा देनी है। उन्होंने कहा है कि
हम जब तक दम है, तब तक
लड़ेंगे। महारा का कहना है कि यह उपचुनाव कांग्रेस के लिए कोई
चुनौती नहीं है क्योंकि पुष्कर धामी को कांग्रेस प्रत्याशी ने ही पराजित किया था। बहरहाल, उत्तराखण्ड मंे एक तरफ आकाश में सूर्य तप रहा है तो नीचे वादियों में राजनीति भी गर्म हो रही है।
उत्तराखंड के भाजपा विधायक कैलाश चंद्र गहतोड़ी ने 21 अप्रैल को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को विधानसभा का सदस्य बनाने के लिए चंपावत सीट से इस्तीफा दे दिया। अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के वहां से उपचुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचने का रास्ता साफ माना जा रहा है। गहतोड़ी के एक दिन पहले बयान के हवाले से ही यह चर्चा हो रही थी और उसी के मुताबिक अगले दिन सुबह गहतोड़ी ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दिया। इस घटनाक्रम के बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि एक दर्जन ऐसे विधायक थे, जिन्होंने सीएम धामी के लिए सीट छोड़ने की पेशकश की थी। बहरहाल, चंपावत से विधायक कैलाश गहतोड़ी ने आखिरकार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट छोड़ दी। उन्होंने गुरुवार 21 अप्रैल को सुबह करीब नौ बजे विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी को अपना इस्तीफा सौंपा। इस दौरान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, महामंत्री संगठन अजेय कुमार, मंत्री सौरभ बहुगुणा, चंदन राम दास, गणेश जोशी, विधायक खजानदास भी मौजूद रहे। कौशिक ने गहतोड़ी को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी हित में बड़ा दिल दिखाया। वहीं, इस्तीफे के बाद कैलाश गहतोड़ी प्रेस से मुखातिब हुए। गहतोड़ी ने कहा कि पिछली सरकार में अपने छह महीने के कार्यकाल में पुष्कर धामी ने जो ताबड़तोड़ विकास कार्य किए, इससे जनता का उनके प्रति लगाव बढ़ा। ये अलग बात है कि धामी खटीमा से चुनाव हार गए, लेकिन उत्तराखंड ने उनके नेतृत्व में विश्वास जताया। गहतोड़ी ने कहा कि चंपावत बॉर्डर एरिया है और विकास की दृष्टि से काफी पिछड़ा है। यहां की 80 किलोमीटर सीमा नेपाल से शेयर होती है। कई विधायक आए और गए, लेकिन विकास नहीं हो पाया। यह सीएम का चुनाव क्षेत्र बनेगा, तो क्षेत्र का तेजी के साथ विकास होगा।
यह तो सभी जानते हैं कि राजनीति में त्याग नाम की कोई चीज नहीं बची है। सीट छोड़ने के बाद कैलाश गहतौडी के सरकार में क्या भूमिका होगी इस सवाल पर गहतोड़ी कहते हैं कि सीट छोड़ने के पीछे क्षेत्र के विकास के अलावा उनका कोई स्वार्थ नहीं है। रिजाइन के बाद गहतोड़ी सीधे सीएम आवास चले गए। माना जा रहा है कि विधायकी छोड़ने के एवज में सरकार में उन्हें महत्वपूर्ण दायित्व दिया जा सकता है। चर्चा है कि उन्हें वन विकास निगम का अध्यक्ष बनाने के साथ ही कुछ और जिम्मेदारियों से नवाजा जा सकता है। रिजाइन करने से पहले गहतोड़ी राजपुर रोड स्थित साईं मंदिर पहुंचे। यहां मंदिर के बाहर चैखट पर अपने रिजाइन लेटर पर साइन किए। इसके बाद उन्होंने खंडूरी के आवास पर पहुंचकर यह लेटर सौंपा। गहतोड़ी साईं भक्त हैं इसलिए उन्होंने गुरुवार का दिन खास तौर पर चुना और इस्तीफे के मौके पर पीला कुर्ता भी पहना।
उधर, चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी के विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने भी उपचुनाव में दमखम दिखाने की ताल ठोक दी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार हल्द्वानी पहुंचे करन माहरा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि उपचुनाव कांग्रेस के लिए कोई चुनौती नहीं है क्योंकि पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री रहते हुए खटीमा से कांग्रेस के हाथों ही चुनाव हार चुके हैं। धामी के उपचुनाव के साथ ही कांग्रेस के संगठन को लेकर चल रही अंदरूनी उठापटक के बारे में भी माहरा ने टीम में बदलाव के संकेत दिए। माहरा ने कहा, धामी चूंकि अपने विधानसभा क्षेत्र खटीमा से हार गए इसलिए अब सीट बदलकर चंपावत से चुनाव लड़ने के मूड में हैं, लेकिन कांग्रेस दमखम के साथ उनका मुकाबला करने के लिए तैयार है। भाजपा के टिकट पर गहतोड़ी चंपावत से दूसरी बार विधायक चुने गए थे। इस बार उन्होंने कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल को 5000 से ज्यादा वोटों से हराया था। अब माहरा ने चंपावत से दमदार कैंडिडेट उतारने की बात भी कही। कांग्रेस में नए प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालते ही यह चर्चा भी गर्म है कि आखिर प्रदेश कांग्रेस की नई टीम कैसी होगी? जवाब खुद नए प्रदेश अध्यक्ष ने देकर साफ कर दिया है कि कई पुराने और सुस्त लोगों का सफाया होना है। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार कुमाऊं दौरे पर पहुंचे माहरा का फूलों से स्वागत करने पहुंचे कार्यकर्ताओं से माहरा ने कहा कि इन फूलों से काम नहीं चलेगा बल्कि उनकी टीम में वही जगह पाएगा, जो काम का होगा। दूसरी तरफ, कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी नए प्रदेश अध्यक्ष से पार्टी ढांचे में बदलाव की आस लगाए बैठे हैं। जाहिर है करन माहरा को प्रदेश अध्यक्ष और यशपाल आर्य के नेता प्रतिपक्ष बनाने के साथ ही कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है। कांग्रेस को इस मुश्किल दौर में ऐसे ही तेवरों की जरूरत भी है, जैसे करन माहरा जाहिर कर रहे हैं। इसलिए मुख्यमंत्री
पुष्कर धामी की दूसरी पारी आसान नहीं होगी। (हिफी)

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