लेखक की कलम

राष्ट्रीय सुरक्षा का आत्मनिर्भर अभियान

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

भारत अपनी सेनाओं को नए और अत्याधुनिक तरीकों से सुसज्जित करने के लिए लगातार उपाय कर रहा है। अत्याधुनिक मिसाइलों की टेस्टिंग के बाद अब सेना की ताकत ड्रोन के जरिए बढ़ाने पर भी काम किया जा रहा है। रूस और यूक्रेन युद्ध में तुर्की के ड्रोन का जिस तरह से सफलतापूर्वक इस्तेमाल हुआ है, वो सभी के सामने है। भारत की सेना में भी 4 ऐसे ड्रोन हैं, जो दुश्मन को मजा चखा सकते हैं। इनमें से एक तो 100 किमी की रेंज तक तबाही मचाने में सक्षम है। एक ही ड्रोन से जासूसी, निगरानी और हमला करने जैसे कई काम किए जा सकते हैं। यदि फाइटर जेट में लगाकर इसे उड़ाया जाए तो इसकी रेंज और सटीकता और भी बढ़ जाती है।भारत के पास एक ऐसा ड्रोन है जिसकी अनूठी खूबियां है। अगले 2 या 3 सालों में इसे सेना के बेड़े में शामिल किया जा सकेगा। इसे तेजी से विकसित किया जा रहा है। इस ड्रोन का उपयोग कई तरह से किया जा सकता है। इसका नाम कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम यानी कैट्स वॉरियर है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल और डीबारडीओ व अन्य दो संस्थाओं ने मिलकर बनाया है। इनका उपयोग भारतीय वायुसेना और नौसेना करेंगे। जानिए चार खास ड्रोन के बारे में।इनमें सीएटीएस के चार वैरिएंट्स पर काम किया जा रहा है। ये हैं कैट्स वॉरियर, कैट्स हंटर, कैट्स अल्फा और कैट्स इन्फिनिटी। इन चारों का अलग अलग उपयोग किया जा सकता है। या फिर एक ही काम के लिए भी इनका उपयोग किया जा सकता है। 2018 से ही इन ड्रोन को बनाने का काम शुरू हो गया था।
कैट्स वॉरियर: इस ड्रोन में पीटीएई।7 ट्विन टर्बोजेट इंजन लगा है। ये वॉरियर ड्रोन 2।4 का फॉर्मेशन बनाकर अटैक करता है। यह स्टेल्थ ड्रोन है। यानी रडार को चकमा देने में माहिर है। इसकी रेंज 150 किलोमीटर की है। यह निगरानीए जासूसीए हमला और आत्मघाती हमला करने में पूरी तरह सक्षम है। किसी बड़े मिशन पर इसकी रेंज को बढ़ाकर 700 किलोमीटर भी किया जा सकता है। यह ऐसा ड्रोन है जिसमें दो कैट्स अल्फा ड्रोन भी भेजे जा सकते हैं। ये इन दोनों ड्रोन्स को दुश्मन पर दागकर वापस आ सकता है। इस ड्रोन पर 390 करोड़ रुपए का इन्वेस्ट किया जा रहा हैै।
कैट्स हंटर: कैट्स हंटर ड्रोन का वजन 600 किलो के करीब है।। यह भी पीटीएई।7 ट्विन टर्बोजेट इंजन से उड़ता है। इसका डिजाइन भी मिसाइल की तरह है। इसे क्रूज मिसाइल की तरह दागा जाता है। इसे भारतीय वायुसेना अपने फाइटर जेट्स मिराज 2000ए जगुआर या सुखोई सू30 एमकेआई में भी लगा सकती है। इसके विंग्स मुड़ भी जाते हैं। यह 250 किलो वजन का हथियार उठाने में सक्षम है। यह खुद ही आत्मघाती हथियार बन सकता है। इसकी मारक रेंज 200 से 300 किमी है।
कैट्स अल्फा: कैट्स अल्फा स्वार्म अटैक के लिए बनाया गया है। यह एयर लॉन्च्ड फ्लेक्सिबल एसेट स्वार्म यानी अल्फा।एस के नाम से जाना जाता है। यह भी आत्मघाती हथियार है। एक बार छोड़ दिया जाए तो दुश्मन के टारगेट पर जाकर खुद के साथ उसे भी नेस्तनाबूत कर देता है। यह 100 किलोमीटर की रेंज तक जा सकता है। 8 किलोग्राम तक विस्फोटक अपने साथ लेकर 100 किमी प्रतिघंटे की गति से हमला करने में सक्षम है। इसका वजन 25 किलोग्राम है। सुखोई फाइटर जेट से 30 से 40 अल्फा ड्रोन दागे जा सकते हैं।
कैट्स इन्फिनिटी: इसे न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी विकसित करने में लगी है। यह हाई एल्टीट्यूट सुडो सैटेलाइट के तौर पर उपयोग की जाएगी। यह ऐसा ड्रोन होगा जो 70 हजार फीट की हाईट पर तीन महीने तक लगातार उड़ने की काबिलियत रखता है। इसका वजन 500 किलोग्राम है। यह इतनी हाइट से लगातार निगरानी भी रख सकता है। इसका विंग स्पैन 50 मीटर का होगा। स्पीट 90 से 100 किलोमीटर होगी और इसका खास काम जासूसीए निगरानी रखना होगा। इसे आने वाले समय में हमला करने के लिए भी तैयार किया जा सकता है।

राज्य की सुरक्षा और प्रजा के संरक्षण की जिम्मेदारी राजा की होती है। सम्राट अशोक के नियन्त्रण में विशाल साम्राज्य था। अहिंसा पर अमल के बाद भी उन्होने पराक्रमी सम्राट के रूप में अपनी छवि को कमजोर नहीं होने दिया था। आज का भारत भी शांतिवादी। यह भारत की विरासत है। यह भारतीयों के संस्कार में है। लेकिन जिसके पड़ोसी चीन और पाकिस्तान जैसे देश हों, उसे अपने शौर्य को सदैव जागृत रखना चाहिए। इसी भावना के चलते विगत आठ वर्षों में सीमा क्षेत्र पर बेमिसाल ढांचागत निर्माण हुआ है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रगति पर हैं। आज करीब पचहत्तर देशों को भारत रक्षा उत्पाद का निर्यात कर रहा है। वह सीमापार के आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक करता है। डोकलाम में दृढ़ता के साथ चीन को जवाब देता है। यह सब राष्ट्रीय शौर्य और स्वाभिमान की विचारधारा के कारण सम्भव हो रहा है। इसी भावना के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत अभियान चल रहा है। इस क्रम में तीनों सेनाओं के लिए चार लाख से अधिक स्वदेशी कार्बाइन का निर्माण किया जायेगा। इतनी बड़ी संख्या में कार्बाइन के उत्पादन में समय लगेगा, इसीलिए यह परियोजना निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के दो निर्माताओं के साथ अनुबंध किये जाने की योजना है। परियोजना के लिए पांच हजार करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन होने जा रहा है। सेना, नौसेना और वायु सेना इस हथियार के डिजाइन और विकास में एक साथ काम करेंगी। भारतीय सेना की जरूरतों को देखते हुए संयुक्त अरब अमीरात से सीबीक्यू कार्बाइन और दक्षिण कोरिया से सेल्फ प्रोपेल्ड एयर डिफेंस गन मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए दो अरब डॉलर से अधिक का सौदा तय किया गया था। यूएई की हथियार निर्माता कंपनी काराकल को सेना के लिए करीब चैरानवे हजार क्लोज क्वार्टर कार्बाइन की आपूर्ति के लिए चार वर्ष पहले शॉर्टलिस्ट किया गया था। दोनों सौदे लगभग आखिरी चरण में थे लेकिन इसी बीच दो साल पहले रक्षा मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा उद्योग को मजबूत करने के लिए हथियारों के आयात पर प्रतिबन्ध लगा दिया। दोनों आयात अनुबंधों को रद्द कर दिया गया। यूएई की कंपनी काराकल से कार्बाइन का सौदा रद्द करने के बाद अब आत्मनिर्भर भारत की दिशा में तीनों सेनाओं के लिए स्वदेशी कार्बाइन का निर्माण किया जायेगा। सेना को कार्बाइन के एक चैथाई हिस्से की तत्काल जरूरत है, इसलिए फास्ट ट्रैक प्रक्रिया के तहत यह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी की जाएगी। सेना, नौसेना और वायु सेना इस हथियार के डिजाइन और विकास में एक साथ काम करने की योजना बना रही है।
केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष भारत में कलाश्निकोव शृंखला की एके-203 राइफलों का निर्माण करने को मंजूरी दी थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई की बैठक में डील अंतिम रूप दिया। दोनों देशों ने पांच हजार करोड़ रुपये के सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। रूस के सहयोग से उत्तर प्रदेश के अमेठी स्थित कोरवा ऑर्डिनेंस फैक्टरी में छह लाख से अधिक असॉल्ट राइफलों का उत्पादन प्रस्तावित है। रूसी मिसाइल डिफेन्स सिस्टम एस-400 का नया स्क्वाड्रन अगले कुछ महीनों में चीन के साथ उत्तरी सीमा पर तैनात किया जायेगा। सतह से हवा में मार करने वाली इस मिसाइल प्रणाली से भारत की क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
भारतीय वायु सेना लंबी दूरी पर दुश्मन के लड़ाकू विमानों, मिसाइलों और ड्रोन का पता लगाकर उन्हें नष्ट कर सकेगी। एयर डिफेंस सिस्टम पाकिस्तान और चीन दोनों के खतरों से निपट सकता है। मिसाइल डिफेन्स सिस्टम की फ्लाइट में आठ लॉन्चर हैं। हर लॉन्चर में दो मिसाइल हैं। चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए भारत को रूस में बने इस ताकतवर एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की बहुत जरूरत थी। केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले तीनों सेनाओं के लिए करीब उनतीस हजार करोडो रुपये से झुंड ड्रोन, कार्बाइन और बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने को मंजूरी दे दी है। चीन और पाकिस्तान सीमा पर हाइब्रिड युद्ध और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए तीनों सेनाओं को लगभग चार लाख क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन उपलब्ध होगी। छोटे हथियारों के निर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। (हिफी)

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