लेखक की कलम

बड़ी उपलब्धि है सोनमर्ग टनल

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में सोनमर्ग टनल का बहुत महत्त्व है जिसका उद्घाटन ठीक उस दिन किया गया जब पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में रह रहे सिक्ख भाई लोहड़ी मना रहे थे और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का श्रीगणेश हुआ था। गांदर बल जिले में सोनमर्ग टनल का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया। इन टनल का शिलान्यास भी मोदी ने ही किया था। वह अक्सर कहा करते हैं कि मैं जिस काम का शिलान्यास करता हूं, उसका उद्घाटन भी मैं ही करता हूं। दरअसल कई योजनाएं शिलान्यास के बाद लटकी रहती हैं और उनकी लागत भी बढ़ जाती है। सोनमर्ग टनल का कार्य निर्धारित समय में ही पूरा हो गया है। इस टनल ने लद्दाख की यात्रा को बहुत आसान कर दिया है। पहले जहां पहुंचने में एक घंटे का समय लगता था अब 15 मिटन में वहां पहुंचा जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह कि इस सुरंग से हर मौसम में यात्रा की जा सकती है। इस टनल में 80 कि.मी. की रफ्तार से 11 हजार वाहन गुजर सकते हैं। अब अमरनाथ यात्रा में भी सुगमता रहेगी। इस टनल का निर्माण 2015 में प्रारंभ हुआ था। नेशनल हाईवे एण्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) ने इस टनल को इंजीनियरिंग का चमत्कार बताया है। इस टनल के साथ ही जोजिला टनल का काम भी 2028 तक पूरा
होने की संभावना है। यह टनल क्षेत्रीय रक्षा रसद और यातायात को सुगम बनाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 जनवरी गांदरबल जिले में सोनमर्ग टनल का उद्घाटन किया। ऐसे में अब गगनगीर और सोनमर्ग से जोड़ने वाली यह सुरंग गर्मियों में लद्दाख की यात्रा को आसान बनाएगी। इस टनल को 80 किलोमीटर की क्षमता से लगभग 11,000 वाहनों को संभालने के लिए डिजाइन किया है। ये टनल 12 किलोमीटर लंबी है। इस टनल की सबसे ज्यादा खासियत ये है कि अब हर मौसम में आसानी से सोनमर्ग जा सकते हैं। जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ये टनल भारत सरकार की ओर से सबसे बड़ा तोहफा होगा। टनल का प्रोजेक्ट 2,700 करोड़ रुपए से अधिक का था। टनल के निर्माण की शुरुआत साल 2015 में हुई थी। इसमें 6.4 किलोमीटर लंबी सोनमर्ग मुख्य सुरंग है, जिसमें एंट्री और एग्जिट मार्ग शामिल हैं। यह टनल श्रीनगर और सोनमर्ग के बीच ट्रांसपोर्टेशन को बढ़ावा देगी। जिसमें सभी मौसम में श्रीनगर और सोनमर्ग आ-जा सकते हैं। बता दें, इस टनल का असर टूरिज्म के क्षेत्र पर भी पड़ेगा। सोनमर्ग टनल के उद्घाटन का लाभ कश्मीर के लोगों को भी पहुंचेगा। माना जा रहा है टनल के उद्घाटन से कश्मीर को नई रफ्तार मिलेगी, बल्कि वहां के लोगों को जीवन में और अधिक सुधार भी लाएगी। यही नहीं अब टनल के जरिए कश्मीर में जाने वाले टूरिस्ट्स की संख्या में भी बढ़ोतरी आने की उम्मीद है।
बर्फबारी के कारण रास्ते ब्लॉक हो जाया करते थे, जिसका सबसे ज्यादा नुकसान स्थानीय लोगों और टूरिस्ट्स को उठाना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। बर्फबारी,बारिश के दौरान भी अब कई सारे वाहन आसानी से इस टनल से गुजर सकते हैं।अधिकारियों का कहना है कि ये एक ऐतिहासिक पल होगा, जब टनल का उद्घाटन किया था। यूं तो टनल के उद्घाटन से कई लोगों को फायदा होगा, लेकिन मुख्य रूप से इन टनल का फायदा कारगिल लद्दाख को होगा, क्योंकि, सर्दियों के दौरान कारगिल लद्दाख का एक हिस्सा पूरी तरह से डिस्कनेक्ट रहता था, जो अब इस टनल के कारण नहीं होगा। उस हिस्से पर टूरिस्ट्स, भारतीय सेना पहुंच नहीं पाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। सोनमर्ग टनल के जरिए देशभर से अब कहीं ज्यादा श्रद्धालु अमरनाथ के दर्शन कर सकेंगे। बालटाल सोनमर्ग के माध्यम से पवित्र अमरनाथ यात्रा भक्तों के लिए एक और लोकप्रिय तीर्थयात्रा मार्ग है। अगर आप भी लंबे समय से अमरनाथ यात्रा पर जाने का प्लान कर रहे हैं, तो अब आपको काफी आसानी होने वाली है।ये तो हम आपको बता चुके हैं, कि यह टनल कश्मीर और लद्दाख के बीच की कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगा और ठंड के मौसम में अंदरूनी कश्मीर से देश के बाकी हिस्सों को जोड़ने में मदद करेगा, लेकिन सबसे खास बात ये है कि टनल के कारण यात्रा का समय भी कम हो जाएगा। टनल के कारण गगनगीर और सोनमर्ग के बीच फासला करीब 6 किलोमीटर घटेगा, पहले जहां यह दूरी तय करने में एक घंटे का वक्त लगता था, अब 15 मिनट का लगेगा। इसका मतलब साफ है कि गाड़ियों के डीजल-पेट्रोल की खपत भी कम होगी।
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जेड मोड़ सोनमर्ग सुरंग को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित कर दिया। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद प्रधानमंत्री का यह पहला दौरा है। पर्यटन और रणनीतिक तौर पर यह सुरंग अति महत्वपूर्ण है।
यह टनल परियोजना जोजिला टनल के साथ मिलकर कश्मीर घाटी और लद्दाख के बीच यात्रा को और आसान बनाएगी, साथ ही रक्षा, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक एकता में भी योगदान करेगी।
जेड-मोड़ टनल पर काम मई 2015 में शुरू हुआ था और यह परियोजना पहले 2016-2017 में पूरी होनी थी, लेकिन वित्तीय संकट के कारण काम 2018 में रुक गया था। इसके बाद 2019 में परियोजना को फिर से टेंडर किया गया और इसे एपीसीओ इंफ्राटेक को सौंपा गया।
देश में सबसे लंबी सुरंग के तौर पर अटल टनल को जाना जाता है लेकिन आने वाले वर्षों में यह खिताब जोजिला टनल को मिल जाएगा। क्योंकि, लेह-लद्दाख हाईवे पर बनाई जाने वाली यह सुरंग करीब 14.15 किलोमीटर लंबी होगी। यह भारत की सबसे लंबी रोड टनल और एशिया की सबसे बड़ी बीडायरेक्शनल टनल होगी। इस सुरंग का निर्माण 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि, इसकी डेडलाइन हालात के हिसाब से बदली है क्योंकि, इस टनल का निर्माण समुद्र तल से 11,000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर किया जा रहा है, जहां सर्दियों में काम करना मुश्किल हो जाता है। जोजिला टनल का निर्माण 11,578 फीट की ऊंचाई पर हो रहा है और यह श्रीनगर-कारगिल-लेह नेशनल हाईवे के लिए बायपास काम करेगी। दरअसल इस हाईवे के जरिए श्रीनगर से लेह जाने में 10 घंटे का समय लगता है। इसमें से 3 घंटे से ज्यादा जोजिला पास को पार करने में लग जाते हैं, क्योंकि यह दर्रा बहुत ही खतरनाक है और यहां जरा-सी चूक जानलेवा साबित होती है। लेकिन, जोजिला टनल के बनने के बाद सिर्फ 15 मिनट में इस सफर को तय किया जा सकेगा। यह सुरंग बालटाल को द्रास से जोड़ने का काम करेगी। बालटाल से मिनी मार्ग की दूरी 40 किलोमीटर है, लेकिन सुरंग बनने के बाद यह केवल 13 किलोमीटर रह जाएगी। जोजिला टनल का निर्माण कार्य अप्रैल 2021 में शुरू किया गया। एक अधिकारी के अनुसार, इस अहम सुरंग का 40 फीसदी काम पूरा हो गया और निर्माण कार्य तेजी से जारी है, जिसे 2026 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। जोजिला प्रोजेक्ट के तहत 33 किलोमीटर के दायरे में 3 सुरंगें बनाई जा रही हैं। यह टनल 2 डिवीजन में बंटी है। पहले डिवीजन में 18.5 किलोमीटर में 2 सुरंग है, इनमें पहली सुरंग 435 मीटर लंबी है और दूसरी 1,950 मीटर लंबी है। वहीं, दूसरे डिवीजन में यू-शेप में 9.5 मीटर चौड़ाई और 7.57 मीटर ऊंचाई वाले दो-लेन में 14.15 किमी की सुरंग है, जो मुख्य सुरंग है। इस सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड से किया जा रहा है, जो कि सुरंग निर्माण की एक उन्नत तकनीक है। (हिफी)

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