तेलंगाना को बनाया सक्षम

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
किसान आंदोलन से उपजे तेलंगाना राज्य को बने 8 साल हो गये और स्थापना काल से ही के. चंद्रशेखर राव इसके मुख्यमंत्री हैं। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) एक क्षेत्रीय दल है लेकिन उसने दिग्गज दलों को पराजित कर सरकार बनायी और लगातार दूसरी बार सत्ता हासिल की। तेलंगाना राज्य बनने में कितने ही लोगों को बलिदान भी देना पड़ा। आंध्र प्रदेश का हिस्सा रहते तेलंगाना को राजनीतिक दलों के झूठे आश्वासन ने कई वर्षों तक ठगा लेकिन के. चंद्रशेखर राव ने हार नहीं मानी और 2 जून 2014 को नया राज्य बन गया। जनता ने राव की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा जताया था और चंद्रशेखर राव ने भी उस भरोसे को टूटने नहीं दिया। सबसे पहले किसानों को नकद सहायता देने की योजना उन्होंने ही शुरू की। इसके अलावा बिजली, सिंचाई, सड़क और चिकित्सा, शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। चावल उत्पादन के मामले में इस राज्य का विशेष रूप से उल्लेख किया जाता है। अभी राज्य में कई समस्याएं भी हैं जिनका समाधान करना है।
2 जून 2014 को तेलंगाना का गठन देश के 28 वें राज्य के तौर पर हुआ। इसी उपलक्ष्य में हर साल 2 जून को तेंलगाना स्थापना दिवस मनाया जाता है। पहले तेलंगाना आंध्र प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। तेलंगाना दिवस के दिन उन सभी लोगों के बलिदान और सहयोग को याद किया जाता है जिन्होंने इस अलग राज्य को बनाने में जी जान लगा दिया। 1 नवंबर 1956 को तत्कालीन मद्रास से विभाजित कर तेलुगु बोलेने वाले लोगों का आंध्र प्रदेश के साथ विलय कर दिया गया था । 1969 में अलग तेलंगाना क्षेत्र में एक नए राज्य के लिए आंदोलन शुरू हुआ। यह विरोध इतना हिंसक था कि पुलिस फायरिंग में कई लोग मारे गए। यह आंदोलन जारी रहा और समय-समय पर अलग राज्य के मांग की आवाज धीमी नहीं पड़ी। फरवरी 2014 में तेलंगाना के अलग राज्य का बिल तत्कालीन मनमोहन सरकार ने लोकसभा में पारित कराया और उसी साल आंध्र प्रदेश रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट को स्वीकृति मिल गई। 2 जून 2014 को तेलंगाना के रूप में एक अलग राज्य का गठन हुआ।
तेलंगाना किसान सशस्त्र संघर्ष तेलंगाना क्षेत्र के सामंती प्रभुओं के खिलाफ एक किसान विद्रोह था जो बाद में 1946 और 1951 के बीच हैदराबाद राज्य के खिलाफ लड़ा गया।कम्युनिस्ट आश्चर्यचकित थे क्योंकि हर कोई अपने प्रयासों को देखने के लिए जमीन के विद्रोह और वितरण के आयोजन में सफल प्रयासों की एक श्रृंखला में समाप्त हुआ। भारतीय आजादी की घोषणा के बाद भी निजाम के साथ, कम्युनिस्टों ने अपना अभियान बढ़ाया और कहा कि भारतीय संघ का ध्वज हैदराबाद के लोगों का झंडा भी था, जो सत्तारूढ़ असफ जाही की इच्छाओं के खिलाफ था। किसानों और मजदूरों ने स्थानीय सामंती मकान मालिकों (जगीरदार और देशमुख) के खिलाफ विद्रोह किया, जो गांवों पर शासन कर रहे थे। मकान मालिकों को या तो मार दिया गया था या बाहर निकाला गया था और भूमि को फिर से वितरित किया गया था। इन विजयी गांवों ने अपने क्षेत्र को प्रशासित करने के लिए सोवियत मिरस की याद दिलाते हुए संवाददाताओं की स्थापना की। इन सामुदायिक सरकारों को क्षेत्रीय रूप से एक केंद्रीय संगठन में एकीकृत किया गया था। विद्रोह का नेतृत्व आंध्र महासभा के बैनर के तहत भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने किया था। विद्रोह के बाद पुलिस कार्रवाई ने 17 सितंबर 1948 को निजाम के शासन से हैदराबाद राज्य पर कब्जा कर लिया और सैन्य लॉन्च के बाद, प्रभुत्व को अंततः भारतीय संघ में विलय कर दिया गया। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी, हालांकि आज कमजोर है, फिर भी तेलंगाना के जमीनी स्तर पर मजबूत समर्थन बरकरार रखती है। पुचचलपल्ली सुंदरीया स्वतंत्र भारत में विपक्ष के पहले नेता बने।
अंतिम निजाम असफ जाह को 26 जनवरी 1950 से 31 अक्टूबर 1956 तक हैदराबाद राज्य का राजप्रमुख बनाया गया था। 1952 के चुनावों से हैदराबाद राज्य में कांग्रेस पार्टी की जीत हुई। 1952 से 1956 तक बर्गुला रामकृष्ण राव हैदराबाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे। 1956 में हैदराबाद राज्य आंध्र प्रदेश बनाने के लिए आंध्र प्रदेश के साथ विलय कर दिया गया था। 2014 में तेलंगाना राज्य स्थापित करने के लिए इसे फिर से आंध्र प्रदेश से अलग कर दिया गया था।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव तभी से सरकार चला रहे हैं। मुख्यमंत्री दलित कल्याण योजना समेत कई योजनाएं चला रहे हैं। दलित कल्याण योजना के बारे मंे सीएम ने कहा, ‘‘अनुमान है कि हम इसमें 1.70 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। कुछ लोग कहते हैं कि हम यह कैसे कर सकते हैं। जब हमने (अलग) तेलंगाना के लिए लड़ाई शुरू की थी तो कुछ ने कहा कि आप इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए हिम्मत चाहिए।’ उन्होंने कहा कि राज्य में आगामी सात वर्षों में सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के मौजूदा कार्यकाल में लगभग दो साल और अगले पांच साल में 23 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है। उन्होंने दिसंबर, 2023 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव में टीआरएस की जीत के बारे में विश्वास व्यक्त किया। राव टीआरएस कार्यालय में एक सभा को संबोधित कर रहे थे, जहां पूर्व मंत्री और दलित समुदाय के नेता मोटकुपल्ली नरसिम्हुलु सत्तारूढ़ दल में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि धीरे-धीरे ‘दलित बंधु’ योजना का लाभ पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जनजाति और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों तक बढ़ाया जाएगा। दलित बंधु योजना के तहत, लाभार्थी को गरीबी से बाहर निकलने के लिए अपनी पसंद का व्यवसाय या व्यापार शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये मिलेंगे।
तेलंगाना मंे के. चंद्रशेखर राव ने जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास 8 वर्षों तक किया है। उनकी सरकार ने कल्याण लक्ष्मी योजना, एकल महिला पेंशन योजना, पेंशन योजना, शादी मुबारक येाजना, बतुकम्मा साड़ी योजना, भेड़ पालन योजना, केसीआर किट योजना और ई लाभ योजना चला रखी है। ई लाभ योजना मंे सरकार ने पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य विभाग के लिए एक साफ्टवेयर विकसित किया है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को मवेशी पालन के लिए प्रोत्साहित करना है। इसी प्रकार सौ दिन रोजगार योजना के तहत बेरोजगारी को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। भेड़ पालन योजना तो 20 जून 2017 से ही चल रही है। बतुकम्मा साड़ी योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं को साड़ियां प्रदान की जाती हैं। केसीआर सरकार ने चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र मंे भी सराहनीय कार्य किये हैं। राज्य के हर जिले मंे एक जिला मेडिकल कालेज खोला गया है। गांव-गांव चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है। जनता ने इसलिए चंद्रशेखर राव को दुबारा सरकार बनाने का अवसर भी दिया। (हिफी)