लेखक की कलम

जयराम आश्रम पर भइ संतन की भीर

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

देव प्रदेश उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उपचुनाव में शानदार जीत हासिल कर विरोधी दल कांग्रेस की बोलती बंद कर दी है। तीन महीने पूर्व हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने धामी को पराजित कर दिया था। उपचुनाव में भी कांग्रेस के नेता डींग मार रहे थे कि इस बार भी धामी को पराजित करेंगे? अन्तर्कलह में उलझी कांग्रेस को यह पता नहीं कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती। धामी की सरकार राज्य के विकास की योजनाएं बना रही है तो कांग्रेस में एक दूसरे की टांग खीची जा रही है। पिछले दिनों हरिद्वार स्थित जयराम आश्रम में करीब आधा दर्जन कांग्रेस नेताओं ने गुटबाजी की ही रणनीति तैयार की। कांग्रेस के संतों में सबसे प्रमुख नाम हरक सिंह रावत का है जो इस दल से उस दल में परिक्रमा करते ही रहते हैं। हरक सिंह के अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भी थे जो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के धुर विरोधी माने जाते हैं। जाहिर है कि कांग्रेसी संतो न हरीश रावत के विरोध में कोई चक्रव्यूह बनाया है। ध्यान रहे कि हरक सिंह भाजपा की पिछली सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उनके परिवार वाद को मान्यता नहीं मिली तो वे भाजपा छोड कर कांग्रेस में शामिल हो गये हैं। हरिद्वार के जयराम आश्रम में जो कूटनीति सी बनी है, उसका खुलासा शीघ्र ही हो जाएगा। इससे पूर्व हरक सिंह के घर पर बैठक हो चुकी है। कांग्रेस के तीन नेता आम आदमी पार्टी में शामिल हो चुके हैं। बहरहाल, प्रीतम सिंह और हरक सिंह रावत कह रहे हैं कि राज्य में कांग्रेस शीघ्र ही एक मजबूत विपक्ष के रूप में दिखेगी।
उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर भारी हलचल पैदा हो गई है क्योंकि पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह समेत कई नेता एक साथ हरिद्वार में मंथन करने पहुंचे हैं। हरिद्वार स्थित जयराम आश्रम में करीब आधा दर्जन कांग्रेसी नेताओं के पहुंचने से सियासी खेमों में कई तरह की अटकलें तेज हो गई हैं। अटकलों का बाजार इसलिए भी गर्म है क्योंकि इससे पहले हरक सिंह के घर ये सभी नेता जुटे थे और हरक सिंह बीजेपी नेता भगत सिंह कोश्यारी के घर जाकर मुलाकात भी कर चुके हैं।
हरिद्वार में जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर और पूर्व कांग्रेसी नेता ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी से मुलाकात करने पहुंचे कांग्रेसी नेताओं में हरक सिंह और प्रीतम सिंह के अलावा उत्तराखंड विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, पूर्व विधायक राजकुमार, विजयपाल सजवाण आदि शामिल रहे। इन्हीं तमाम नेताओं ने गत 11 जुलाई को हरक सिंह के घर पर जुटकर एक बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और मौजूदा कांग्रेस प्रदेश
अध्यक्ष करन मेहरा पर कमजोर संगठन बनाने के खुलकर आरोप लगाए थे। माना जा रहा है कि पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हरक सिंह अब कांग्रेस में सक्रिय होने के मूड में हैं और इसी लिहाज से वह नये सिरे से अपनी एक खेमाबंदी कर रहे हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के घर जाकर मुलाकात की। बीजेपी के वरिष्ठ नेता कोश्यारी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का राजनीतिक गुरु भी बताया जाता है। कोश्यारी कुछ दिनों से देहरादून में थे, लेकिन उनके घर मुलाकातियों की भीड़ लगी रहने की वजह से हरक सिंह 11 जुलाई की सुबह सुबह ही पहुंचे। एक खबर के मुताबिक मुख्य दरवाजे की जगह हरक रसोईघर वाले गेट से बाहर निकले। इस तरह की मुलाकात के बाद कई अटकलें तो लग ही रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि राजनीति में चैंकाने के लिए मशहूर हरक सिंह जल्द ही कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
हालांकि कहा यह जा रहा है कि उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नेता अब जल्द ही राज्य में मजबूत विपक्ष के तौर पर दिखेंगे और सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी उतरेंगे। यह बात पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने गत दिनों एक मीटिंग के बाद कही। दरअसल, 11 जुलाई सुबह से ही कांग्रेस के खेमे में भारी गहमागहमी रही। सुबह ही कांग्रेस से 45 साल से जुड़े रहे आरपी रतूड़ी व अन्य नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया और दोपहर में आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। इसके बाद शाम को हरक सिंह के घर पर कई कांग्रेसी नेता बैठक करते हुए दिखे।
हरक सिंह के घर पहुंचने वालों में प्रीतम सिंह गुट के कई नेता शामिल थे। उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण पूर्व विधायक राजकुमार आदि नेताओं की इस बैठक के बाद हरक ने कहा, अब उत्तराखंड में विपक्ष कमजोर दिख रहा है। ‘मैं जब नेता विपक्ष था, कांग्रेस सड़क से सदन तक लड़ती थी। इस वक्त प्रदेश में खालीपन दिख रहा है।’ इन नेताओं ने आपस में बातचीत कर एक बड़ी पहल या फैसला करने का इशारा दिया। असल में कांग्रेस ने पिछले दिनों युवा चेहरे करन मेहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी के भीतर की गुटबाजी को खत्म करने के लिए एक बड़ा दांव खेलते हुए मेहरा से उम्मीद लगाई थी। दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिछले दिनों यह बयान देकर सबके कान खड़े कर दिए थे कि 2027 का चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा। अब हरक सिंह ने इन दोनों नेताओं को निशाना बनाते हुए कहा, ‘अब हरीश रावत की उम्र काफी हो गई है और भले ही युवा को कमान दी गई हो, लेकिन कई बार नये नेता भी बड़े काम नहीं कर पाते।’ हरक सिंह ने कहा, ‘एक पड़ाव पर पहुंचने और बड़े पदों पर रहने के बाद गंभीरता होनी चाहिए। अब टोटकों की राजनीति का समय नहीं है।’ हरक के बयान का समर्थन करते हुए प्रीतम सिंह ने भी कहा कि हरक ठीक कह रहे हैं। ‘हमें किसी का डर नहीं है और हम जल्द सड़कों पर दिखेंगे।’ असल में इस मीटिंग को बड़े रोल में हरक की वापसी के तौर पर समझा जा रहा है।
राजेंद्र प्रसाद रतूड़ी के साथ ही प्रदेश महिला कांग्रेस उपाध्यक्ष कमलेश रमन और कांग्रेस के सोशल मीडिया सलाहकार कुलदीप चैधरी ने आम आदमी पार्टी जॉइन की तो इसे कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उत्तराखंड आप के संयोजक और पूर्व कांग्रेसी जोत सिंह बिष्ट ने बताया कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में तीनों को पार्टी की सदस्यता दिलाई गई। बताया जा रहा है कि तीनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव में हारने के बावजूद कांग्रेस के भीतर चल रही कलह को पार्टी से खिन्नता की वजह बताया। इन तीन नेताओं के कांग्रेस छोड़ने के बाद हरक सिंह के घर हुई बैठक ने भी राज्य की राजनीति में हलचलों व अटकलों का बाजार गर्म कर दिया। कुछ लोग तो यहां तक कहते दिखे कि जल्द ही कांग्रेस के दिग्गज नेता भी पार्टी से अलग नजर आएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए। कांग्रेसी संत जो न करें सो थोड़ा है। (हिफी)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button